लखनऊ। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) के ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल और एएसएमई के तत्वावधान में मंगलवार को एक दिवसीय संगोष्ठी एम्पावरिंग दी नेक्स्ट जेनेरेशन इंजीनियर्स का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में नये उभरती तकनीकी और उद्योगों की मांग के अनुसार इंजीनियरिंग के छात्रों को सशक्त बनाने पर विशेषज्ञों ने मंथन किया। चर्चा हुई कि तकनीकी शैक्षणिक संस्थानों और उद्योगों के बीच आपसी सहयोग और साझेदारी से काफी हद तक समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
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उद्योगों की जरूरत के मुताबिक कोर्स डिजाइन करने का सुझाव दिया गया। जिससे कि छात्र पढ़ाई के दौरान ही व्यवहारिक ज्ञान और स्किल सीख सकें। इस दौरान पैनल डिस्कशन भी आयोजित हुआ। जिसमें पैनलिस्टों ने शैक्षणिक संस्थानों और उद्योगों के बीच के गैप को कम करने पर विचार रखा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो जेपी पांडेय ने कहा कि किसी भी देश की तरक्की में वहां के शोध और उनके पेटेंट की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जिस देश में जितना अधिक प्रोडक्ट होगा वहां की अर्थव्यवस्था उतनी ही मजबूत होगी। उन्होंने अमेरिका जैसे देशों का उदाहरण भी दिया। कहा कि यह दौर नई उभरती तकनीकी का है। ऐसे में इंजीनियरिंग शिक्षा जगत को तत्पर रहना होगा। अपने कोर्स में जरूरत के मुताबिक बदलाव करने होंगे। जिससे कि छात्र सीधे नई तकनीकी में दक्ष होकर उद्योगों में जा सके।
कहा कि विकसित देश में उद्योगों और शैक्षणिक संस्थानों के बीच आपसी समन्वय और तालमेल होता है। हमारे देश में भी अब यह परंपरा विकसित हो रही है। हालांकि इसकी रफ्तार थोड़ी धीमी है। एकेडमिया और इंडस्ट्री के बीच साझेदारी जरूरी है। उद्योगों के विशेषज्ञ शिक्षण संस्थानों में फैकल्टी के तौर पर शिक्षकों के साथ ही छात्रों को प्रशिक्षित कर सकते हैं। उद्योगों के मुताबिक कोर्स डिजाइन कराने में अपना सहयोग प्रदान कर सकते हैं। साथ ही उद्योगों के सहयोग से नवाचार और उद्यमिता को भी बढ़ावा दिया जा सकता है।
बतौर मुख्य अतिथि पूर्व आईएएस और नेशनल सोलर एनर्जी फाउंडेशन ऑफ इंडिया के डायरेक्टर जनरल दीपक गुप्ता ने सौर उर्जा और इस क्षेत्र में नई तकनीकी व रोजगार की संभावनाओं पर प्रकाश डाला। कहा कि कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए सोलर एनर्जी को बढ़ावा देना होगा। सोलर मशीन, डिजाइन, मैनुफैक्चरिंग के उद्योग तेजी से लग रहे हैं। इन उद्योगों में स्किल्ड लोगों की काफी मांग है। ऐसे में तकनीकी संस्थानों को अपने यहां इसे ध्यान में रखकर कोर्स बनाने होंगे। ताकी छात्र इन अवसरों का लाभ ले सकें। कहा कि इन सभी क्षेत्रों में नवाचार की भी जरूरत है। संस्थान समस्याओं को रेखांकित कर उनके समाधान खोजनें में छात्रों को लगायें। कहा कि इंजीनियरिंग में स्थिरता मॉडल और मानवीय दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में ऑनलाइन माध्यम से जुड़े एआईसीटीई के मेंबर सेक्रेटरी प्रो राजीव कुमार ने कोर इंजीनियरिंग को नई उभरती तकनीकी से जोड़ने पर बल दिया। कहा कि इंजीनियरिंग छात्रों को सशक्त बनाने के लिए जरूरी है कि उन्हें वर्तमान की जरूरत के अनुसार नर्चर किया जाये। उन्होंने नई उभरती तकनीकी को ध्यान में रखकर कोर्स तैयार करने का सुझाव भी दिया।
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इसके पहले कार्यक्रम की रूपरेखा और विषय स्थापना एएसएमई इंडिया के प्रेसिडेंट मधुकर शर्मा ने किया। एएसएमई की डिप्टी डायरेक्टर अवनी मल्होत्रा ने एएसएमई के कार्यों पर प्रकाश डाला। वहीं पैनल डिस्क्शन में उद्योगों के विशेषज्ञों में संजय प्रकाश, डॉ नरेंद्र कुमार, पुनीत शर्मा, रमेश बीएस शामिल रहे। इसका संचालन दीपांकुर भट्टाचार्या ने किया।कार्यक्रम का संचालन प्रतिभा शुक्ला ने किया। जबकि धन्यवाद डीन ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट प्रो नीलम श्रीवास्तव ने दिया। इस मौके पर संबद्ध संस्थानों के निदेशक, एचओडी, शिक्षक, टीपीओ सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।