लखनऊ। उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी (एसएमएफ) प्रत्येक वर्ष लैब टेक्नीशियन, एक्स रे टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, फिजियोथैरेपिस्ट आदि प्रशिक्षण कोर्स की परीक्षा आयोजित करवाकर प्रशिक्षण के लिए विभिन्न चिकित्सालयों में भेजती आई है। लेकिन इस बार उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी में शिक्षा माफियाओं की मिलीभगत से कई प्रतिभावान बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है, जिस पर रोक लगाई जाये। दरअसल पिछले 10 वर्षों में 10वीं एवं 12वीं की परीक्षाएं नकल माफिया एवं शिक्षा माफिया के दम पर कराई गई है। जिसमें 10वीं एवं 12वीं में वही बच्चे 70% से 90% तक नंबर पाए हैं, जिन्होंने कापी तक नहीं लिखी परीक्षा केंद्र तक नहीं गए हैं। यहां तक कि उन्हें अपने विद्यालयों का नाम तक नहीं पता है। परीक्षा कहां से दी है, परंतु वह मेरिट में है। वहीं जो ईमानदारी से मेहनत के दम पर 10 वीं एवं 12 वीं की परीक्षा उत्तीण किया है वह प्रतिभावान और गरीब बच्चे हैं। इसमें अगर उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी इन प्रशिक्षण कोर्सों की परीक्षा आयोजित कराएं तो 90% मैरिट में आए छात्र फेल हो जाएंगे और जो बच्चे द्वितीय श्रेणी एवं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए हैं अपनी मेहनत से यह परीक्षा भी पास कर लेंगे।
5 नवंबर 2017 को चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने जीएनएम एवं एएनएम की लिखित परीक्षा करवाकर परीक्षा परिणाम घोषित किया है जिसमें 70% से 80% तक नंबर पाने वाले बच्चे फेल हो गए और 45% से 55% तक नंबर पाने वाले बच्चे पास हुए हैं।
उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी की ओर से प्रत्येक वर्ष निकाली जा रही इस प्रशिक्षण कोर्सों को मेरिट के आधार पर चयन किए जाने को लेकर कई जनप्रतिनिधियों ने विरोध जाहिर किया है और मुख्यमंत्री को लिखित में भी दिया गया है कि इस प्रशिक्षण प्रतियोगिता का आधार मेरिट ना होकर परीक्षा ही हो, जिसमें सभी वर्ग के बच्चे भाग ले सके और अपनी योग्यता के अनुसार उत्तीर्ण हो सके।
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