लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि ‘भाजपा सरकार‘ ने उत्तर प्रदेश को बर्बादी के मुहाने पर खड़ा कर दिया है। सड़क पर, ट्रैन में, शहर में, गांव में हर जगह अव्यवस्था और अराजकता के हालात हैं। समाज का हर तबका निराश और परेशान है। गरीब भुखमरी का शिकार है। मजदूरों की रोजी-रोटी छिन गई है। किसान, नौजवान की आंखों के आगे अंधेरा हैं। प्रदेश में विकास ठप्प है। आखिर परेशानी और हताशा में डूबे लोग कहां जाए?
उत्तर प्रदेश में अन्य प्रदेशों से आए श्रमिकों को रोजगार नहीं मिल रहा है। यह बात तो स्वयं उपराष्ट्रपति जी ने भी मान ली है कि गरीब, दिहाड़ी मजदूर, किसान और छोटे कारोबारी सभी बुरी तरह प्रभावित हुए है। सरकार की गलत नीतियों के शिकार ये लोग सरकारी बेरूखी झेल रहे हैं। जनता के सुख-दुःख से भाजपा का कोई मतलब नहीं वह तो बस सत्ता से ही वास्ता रखती है। श्रमिक और कारोबारी तंगहाली में आत्महत्याएँ कर रहे हैं, व्यापार चौपट है। समाजवादी पार्टी वैश्विक महामारी के नियंत्रण के बाद भाजपा की कुनीतियों और जन समस्याओं को लेकर सड़कों पर उतरेगी।
भाजपा सरकार में स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा की इससे ज्यादा शर्मनाक प्रमाण और क्या होगा कि नोएडा गाजियाबाद के 8 अस्पतालों में खौड़ा कालोनी की एक गर्भवती महिला प्रसव के लिए मारी-मारी फिरती रही कहीं उसे इलाज नहीं मिला। अंततः एम्बूलेंस में उसकी मौत हो गई। सरकार दावा करती है कि कोरोना बीमारों के लिए उसने एक लाख बेडों का इंतजाम कर रखा है तो आने वाली पीढ़ियों के लिए उसने कुछ बेड क्यों नहीं आरक्षित कर रखे है? भाजपा सरकार बताए कि उसने कितने अस्पताल बनाए हैं? समाजवादी सरकार के कार्यकाल में बने अस्पतालों के बूते ही उसकी स्वास्थ्य सेवाएं चल रही है। खुद तो भाजपाराज में स्वास्थ्य सेवाएं बिगाड़ने का ही काम हो रहा है। भाजपा राज में न तो अस्पतालों में सही इलाज हो रहा है और नहीं दवाइयां मिल रही है। कोरोना योद्धाओं को भी सही किट नहीं मिल रहे हैं। संक्रमितों की देखभाल में भी लापरवाही बरती जाती है।
प्रदेश में छोटे व्यापारी पूंजी की कमी से असहाय हैं। कामधंधा बंद है। भवन निर्माण का काम ठप्प है। तथाकथित आर्थिक पैकेज सिर्फ बड़े उद्योगपतियों को खुश करने के लिए है। श्रमिक का शोषण करने की मालिकों को छूट देने के लिए श्रम कानून बदले जा रहे है। 90 दिन के काम के एवज में 5 लाख का बीमा भूखे श्रमिकों के साथ छलावा के अलावा और कुछ नहीं। जनता की दुश्वारियों और परेशानियों से बेखब़र भाजपा दूर से ही डिजिटल चुनावी रैली कर रही है क्योंकि उसने देश और देशवासियों की जो बर्बादी की है उसकी वजह से वह जनता के बीच सीधे जाने के लायक भी नहीं बची है। करोड़ों लोगों की जिन्दगी को रास्ते पर लाने की तैयारी में जुटने के बजाय भाजपाई चुनावी तैयारियों में जुट गए है। अगर जरा भी लोकलाज होती तो भाजपा कोरोना संकट के समय में हो रही मौतों के दौर में अभी चुनावी अभियान से बचती और देश की बर्बादी का जश्न नहीं मनाती।