नई दिल्ली। अपोलो अस्पताल लाने पर नहीं चल रही थीं जयललिता की सांसें जयललिता की मौत को लेकर अपोलो अस्पताल की एक शीर्ष अधिकारी ने बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं दिवंगत जे जयललिता को पिछले साल 22 सितंबर को जब अस्पताल लाया गया था, तब उनकी सांस नहीं चल रही थी।
उपचार के दौरान :—
उन्होंने बताया कि उपचार के दौरान उनके साथ वही लोग थे, जिनके नामों की उन्होंने मंजूरी दी थी। अन्नाद्रमुक सुप्रीमो जयललिता 75 दिन अस्पताल में भर्ती रहीं। इसके बाद पांच दिसंबर को उनका निधन हो गया। अपोलो अस्पताल की उपाध्यक्ष डॉ प्रीता रेड्डी ने नई दिल्ली में एक निजी टीवी चैनल को बताया, ‘जब जयललिता को अस्पताल लाया गया था, तो उनकी सांसें नहीं चल रही थीं। इसके बाद उनका उचित इलाज किया गया और उनकी स्थिति बेहतर हुई।’
कोई नहीं चाहता है :—
उन्होंने कहा कि आखिरकार दुर्भाग्यवश वही हुआ, जो कोई नहीं चाहता था। वह कुछ ऐसा था, जिस पर किसी का वश नहीं था। उनकी मौत की परिस्थितियों को लेकर कुछ लोगों की ओर से सवाल खड़े किए जाने से जुड़े एक अन्य सवाल के जवाब में रेड्डी ने कहा कि अस्पताल ने नई दिल्ली और विदेश के सर्वश्रेष्ठ चिकित्सकों से उनका उपचार करवाया।
रहस्य सुलझ जाएंगे :—
उन्होंने कहा, ‘जांच हो रही है और मुझे लगता है कि वह सबसे अच्छी चीज है, उनको आंकड़े देखने दीजिए। मेरे ख्याल से उसके बाद सारे रहस्य सुलझ जाएंगे।’ रेड्डी से जब पूछा गया कि जयललिता के उपचार के समय उनके साथ कौन-कौन थे, तो उन्होंने कहा कि जरूरत के मुताबिक और दिवंगत मुख्यमंत्री ने जिन लोगों की स्वीकृति दी थी, वे ही इलाज के दौरान उनके साथ थे।
फिंगरप्रिंट लेने के समय :—
उनसे जब यह सवाल किया गया कि फिंगरप्रिंट लेने के समय क्या जयललिता को यह बताया गया था कि उनकी उंगली के निशान लिए जा रहे हैं, तो उन्होंने कहा, ‘मैं इस सवाल का जवाब नहीं दे सकती, क्योंकि मैं तब उनके बेड के पास नहीं थी।’ यह आरोप लगाया जाता है कि तब उपचुनावों में अन्नाद्रमुक के उम्मीदवार तय किए जाने वाले दस्तावेजों पर जयललिता की उंगलियों के निशान लिए गए थे।