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गोरखपुर के इस बेटे का आईएएस में हुआ चयन, कहा-सपने मायने रखते हैं गरीबी नहीं

गोरखपुर। जिंदगी में कुछ सार्थक करने मायने रखते हैं, गरीबी नहीं। शुरुआती दिनों में गरीबी से जूझते हुए किसान के बेटे ने संघर्ष के बल पर वह मुकाम हासिल किया है जो युवाओं के लिए नजीर है। यह कहानी है, सिविल सेवा परीक्षा 2019 में सफल विवेक चंद्र यादव की। उन्होंने इस परीक्षा में 425वीं रैंक हासिल की है।गोरखपुर शहर के पादरी बाजार स्थित जंगल हकीमपुर नंबर दो निवासी विवेक वर्तमान में आईपीएस की ट्रेनिंग कर रहे हैं। उनके पिता रमाशंकर यादव साधारण किसान और मां श्यामा देवी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं। विवेक ने वैकल्पिक विषय के रूप में केमिस्ट्री लिया था। उनका कहना है कि लगन, कड़ी मेहनत की बदौलत कठिन लक्ष्य को भी हासिल किया जा सकता है।

मुफलिसी के बीच भी रमाशंकर यादव ने बेटे की पढ़ाई में कोई बाधा नहीं आने दी। बचपन से ही मेधावी रहे विवेक ने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई सेंट मेरी स्कूल, पादरी बाजार से की। उसके बाद उनका चयन आईआईटी, दिल्ली के लिए हो गया है।

वर्ष 2015 में बीटेक की पढ़ाई पूरी की और जापान में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में एक वर्ष तक नौकरी की। लेकिन सपना आईएएस बनने का था। यही इच्छा उन्हें अपने वतन खींच लाई।

वर्ष 2018 की सिविल सेवा परीक्षा में उन्होंने कामयाबी हासिल की। 458 वीं रैंक हासिल कर वे आईपीएस में चयनित हुए। बावजूद इसके विवेक रुके नहीं, उन्होंने अपनी तैयारी जारी रखी। वर्ष 2019 की सिविल सेवा परीक्षा में अब उन्हें 425वीं रैंक हासिल हुई है।

विवेक के एक भाई उमेश चंद्र यादव स्टेशनरी की दुकान चलाते हैं। विवेक ने अपनी इस सफलता का श्रेय माता-पिता के अलावा सरस्वती आईएएस के निदेशक राकेश सारस्वत, भाई उमेश चंद्र यादव, सुधीर यादव एवं अन्य परिजनों को दिया है

रिपोर्ट-रंजीत जायसवाल

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