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आयात की जगह आत्मनिर्भरता

केंद्र को मोदी सरकार भारत को सामरिक रूप से मजबूत बनाने के प्रति कटिबद्ध रही है। पिछले छह वर्षो में इसके दृष्टिगत अनेक कारगर कदम उठाए गए है। इसके अगले कदम के रूप में भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसका मंसूबा बनाया है।उन्होंने नई दिल्ली में आत्मनिर्भर भारत सप्ताह का उद्घाटन किया। कहा कि यदि हम अपने सभी साजो सामान अपने देश में ही निर्मित करने में सक्षम होते हैं,तो देश की पूंजी का एक बड़ा हिस्सा बच सकता है।

आत्मनिर्भर का मतलब कभी भी स्वयं को दुनिया से अलग करना नहीं होता है। भारत दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते हुए भी अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाए रखने में कामयाब होगा। आत्मनिर्भर सप्ताह ऐसे कदम उठाए जाएंगे जो देश को स्वदेशीकरण रक्षा बुनियादी ढांचे में निवेश तथा रक्षा विनिर्माण क्षमता में विस्तार की ओर ले जाएगाI फिलहाल इस सूची में करीब सौ वस्तु शामिल है। भविष्य में इसे बढ़ाया जाएगा। आयात की जगह आत्मनिर्भरता को महत्व दिया गया है।

भारतीय सेनाएं सेनाएं सीमा पर निर्भयता के साथ देश की सुरक्षा में लगी हैं। कोविड संकट में भी इन उद्योगों के विभिन्न प्रकार के योगदानों को भुलाया नहीं जा सकता। स्थानीय विनिर्माण से मैन पावर को बढ़ा सकते हैं। जिससे हमारी घरेलू रक्षा उद्योग और जीवंत हो जायेगी। पहली बार एक सौ एक सामानों की ऐसी सूची निकाली है जिसे अब हम आयात नहीं करेंगेI इसमें सिर्फ छोटे आइटम ही नहीं बल्कि बड़े और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी वाली हथियार प्रणाली भी हैं।

अत्याधुनिक तकनीक के प्रयोग का रक्षा उद्योग बहुत महत्व है। रक्षा प्रौद्योगिकियों का प्रयोग सिविल क्षेत्रों में भी किया जाता है। इसलिए रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना केवल रक्षा ही नहीं, बल्कि सिविल सोसायटी के लिए भी बहुत लाभकारी हो सकता है। दूसरों के बल पर निर्भर रहकर कभी भी अपना आत्मविश्वास नहीं बनाया जा सकता है। उसके लिए स्वयं का आत्मनिर्भर होना ही एकमात्र रास्ता है।

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

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