लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने प्रदेश में हो रही यूरिया की कालाबाजारी के कारण किसानों की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि प्रदेश सरकार की लगातार अनदेखी से किसानों की दशा विगत कई वर्षो से सोचनीय होती जा रही है।
डीजल की बढ़ी हुयी कीमतों ने फसल का लागत मूल्य पहले ही बहुत बढ़ा दिया है। यूरिया की कालाबाजारी ने किसानों के कष्टों को और बढ़ा दिया है। सहकारी समितियों के माध्यम से मिलने वाली खाद की बोरियां मात्र कुछ अपने चहेतों को वितरित कर दी गयी हैं और उन्हीं चहेतों के माध्यम से प्रति बोरी 40 से 50 रूपये अधिक कीमत पर बेची जा रही है और किसान की मजबूरी का फायदा बिचैलिये उठा रहे हैं।
श्री दुबे ने कहा कि एक तरफ उर्वरक मंत्रालय यह कह रहा है कि यूरिया की कमी नहीं है परन्तु दूसरी तरफ किसानोें को उसकी उपलब्धता सुनिश्चित नहीं है। यही कारण है कि बिचैलिये सक्रिय हैं। हैरत की बात है कि मुख्यमंत्री के गृह जनपद गोरखपुर में भी यूरिया खाद की कालाबाजारी धडल्ले से हो रही है।
प्रदेश में 623 खाद विक्रेताओं के लाइसेंस निलम्बित हो चुके है और 35 विक्रेताओं पर एफआईआर हो चुकी है। 17 दुकाने सील की जा चुकी हैं। यह सभी आंकड़े इस बात का स्वयं प्रमाण है कि प्रदेश में चारो और खाद का बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया है।
रालोद प्रवक्ता ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से तत्काल प्रभावी करने की मांग करते हुये कहा कि यह बात र्निविवाद सत्य है कि जब तक किसान की आत्मा भूखी रहेगी तब तक प्रदेश का कल्याणकारी मार्ग बाधित रहेगा। प्रदेश के किसान भाजपा शासन के कार्यकाल में बिजली मूल्य वृद्धि, नोटबंदी तथा डीजल मूल्य वृद्धि से लगातार त्रस्त रहा है और अब 2019 से लगातार खाद घोटाला सक्रिय रूप से किसानों को शोषण कर रहा है।