पटना। लालू यादव को चारा घोटाला मामले में आज सीबीआइ की विशेष अदालत ने शाम चार बजे वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सजा सुना दी। लालू को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई गई है। इस कारण से अब उन्हें जमानत के लिए हाईकोर्ट में जाना होगा। वहीं अन्य अरोपी महेंद्र, राजाराम, सुनील कुमार सिन्हा, सुशील कुमार को भी साढ़े तीन साल की सजा और 5 लाख जुर्माना देना होगा।
चारा घोटाले से जुड़े कोषागार
मामला चारा घोटाले से जुड़े देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये की अवैध निकासी का है जिसमें रांची की सीबीआई कोर्ट आज बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव समेत 16 दोषियों की सजा पर फैसला आया। चारा घोटाले में शुक्रवार को लालू प्रसाद यादव की सजा पर बहस पूरी हो गई थी और शनिवार को आखिरकार उन्हें सजा सुनाई दी गई।
- शुक्रवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई पूरी हुई।
- लालू के वकील ने सीबीआई कोर्ट में कम सजा की मांग की थी।
- छह दोषियों के खिलाफ सजा के बिंदु पर हुई सुनवाई।
- सजा का ऐलान की संभावनाओं के बीच कोर्ट परिसर में गहमागहमी का माहौल रहा।
- इसके पूर्व पिछले दो दिनों में दस अभियुक्तों के खिलाफ सजा के बिंदु पर सुनवाई हो चुकी थी।
- सुनवाई दो बजे से शुरु हुई और ढाई बजे खत्म भी हो गई।
- शनिवार की सुनवाई भी वीडियो कांफ्रेंसिंग से ही हुई।
- अनुमान लगाया जा रहा था कि सभी दोषियों की उपस्थिति सशरीर अदालत में पेश किया जाएगा
- लेकिन इनकी पेशी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई।
- आज जिन अभियुक्तों के खिलाफ सजा के बिंदु पर सुनवाई हुई।
- उसमें अधिसंख्य आपूर्तिकर्ता शामिल थे।
इन दोषियों के सजा के बिंदु पर हुई सुनवाई
1. त्रिपुरारी मोहन प्रसाद: प्रोपराइटर मेसर्स बिहार सर्जिको मेडिको एजेंसी, एसके पुरी पटना
2. सुशील कुमार झा: मैनेजिंग पार्टनर मेसर्स श्री गौरी डिस्ट्रीब्यूटर हेड ऑफिस एमबीडी रोड, भागलपुर
3. सुनील कुमार सिन्हाः प्रोपराइटर मेसर्स श्री बाबा केमिकल वक्र्स श्री कृष्णापुरी पटना
4. संजय कुमार अग्रवाल: प्रोपराइटर मेसर्स संजय कुमार, जिलानपाड़ा रोड, दुमका
5. सुनील गांधी: प्रोपराइटर, मेसर्स मगध डिस्ट्रीब्यूटर राजेंद्र नगर, पटना
6. सुबीर भट्टाचार्य,
यह है मामला
- बता दें कि वर्ष 1990 से 1994 के बीच देवघर कोषागार में फर्जीवाड़ा किया गया।
- इसमें पशु चारे के नाम पर 89 लाख, 27 हजार रुपये की फर्जीवाड़ा कर अवैध ढंग रूपया निकला गया।
- इस मामले में कुल 38 लोग आरोपी थे ।
- जिनके खिलाफ सीबीआई ने 27 अक्तूबर 1997 को मुकदमा दर्ज किया था
- और लगभग 21 साल बाद इस मामले में गत 23 दिसंबर को फैसला आया था ।
- लालू सहित कई अन्य दोषी करार दिए गए थे ।
- वहीं जगन्नाथ मिश्रा बरी कर दिए गए थे।