दिल्ली। पुस्तक मेला-2018 में आज ‘बुके नहीं बुक’ विषय एक वैचारिक गोष्ठी का आयोजन किया। यह गोष्ठी अखिल भारतीय समाजसेवी संस्था वैभव वेलफेयर सोसाइटी ने प्रगति मैदान में आयोजित कराई।
दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन
पुस्तक मेला-2018 में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व संस्था के संरक्षक श्याम जाजू ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
- मुख्य अतिथि पद्मभूषण विन्देश्वर पाठक रहे तथा अध्यक्षता संस्था के चेयरमैन व भापजा जिलाध्यक्ष रोशन कंसल ने की।
- संस्था के अध्यक्ष व वरिष्ठ साहित्यकार भुवनेश सिंघल ने कार्यक्रम का संचालन किया।
- साथ ही वक्ता के रूप में बोलते हुए कहा कि क्योंकि इस बार मेले की थीम पर्यावरण पर आधारित है ।
- इसलिए मोदी जी का यह कथन कि ‘बुक्के नहीं बुक भेंट करें’ एक महाकथन हो जाता है।
- क्योंकि पुस्तकें भेंट करने की परम्परा न केवल ज्ञानार्जन की दृष्टि से सार्थक है।
- बल्कि इसका अर्थ अत्यंत व्यापक है और पर्यावरण की दृष्टि से भी अत्यंत सार्थक है।
- बुक्के बनाने के लिए पुष्पों व पत्तियों को तोड़ा जाता है जो पर्यावरण के लिए हानिकारक है।
- श्याम जाजू ने कहा कि विश्व पुस्तक मेले के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के कथन को विषय बनाकर प्रस्तुत करना आयोजन की वैचारिक उंचाई को दर्शाता है।
- ‘बुक्के नहीं बुक’ इस कथन को विश्व पुस्तक मेले में रेखांकित करने से बेहतर और कोई स्थान व अवसर नहीं हो सकता था।
- संस्था अध्यक्ष भुवनेश सिंघल जो स्वयं साहित्यकार भी है।
- इन्होने इस विषय के महत्व को समझकर अपनी दूरदर्शी सोच का परिचय दिया है ।
- और देश के हित में इस कथन के महत्व को आगे बढ़ाया है।
- पुस्तकों से प्राप्त ज्ञान के बल पर देशवासी न सिर्फ निजी जीवन में सफल नहीं होगे बल्कि देश को भी आगे बढाने में सहायक होगें।
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आधा घंटा प्रतिदिन किताबें पढ़ने का आह्वान
- उन्होने प्रधानमंत्री मोदी के आधा घंटा प्रतिदिन किताबें पढ़ने का आह्वान को भी रेखांकित किया।
- उन्होनें यह भी बताया कि 90 के दशक में रिबन काटकर उदघाटन करने की विचारधारा भारत में पैर पसारने लगी थी।
- मगर स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ करने की परम्परा को स्थापित किया।
- जब मोदी जी ने स्वच्छता की बात की तो पूरा देश हाथ में झाड़ू थामें स्वच्छता दूत के रूप में राष्ट को स्वच्छ बनाने में सहयोगी बनकर खड़ा दिखाई देने लगा।
- ऐसे ही प्रधानमंत्री मोदी ने ‘बुके नहीं बुक’ भेंट करने का आह्वान कर देश में एक ऐसी परम्परा को स्थापित करने का काम किया है।
- जिसके दूरगामी परिणाम हमें मिलेंगे और भारत विश्व का सिरमौर होकर उभरेगा।
- मोदी उसी असाधारण प्रतिभा के धनी व्याक्ति का नाम है ।
- जो छोटी-छोटी बातों पर गौर कर देश को बड़े बदलाव की ओर ले जाते हैं ।
- और यही मुख्य कारण है कि लोग उनकी नेतृत्व क्षमताओं के कायल हैं।
- इस अवसर पर डाॅ. यू.के चैधरी, डाॅ. बृजेन्द्र सिंह, रिचा सूद, अशोक कुमार ज्योति आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।