देशभर में किसानों के आंदोलन को लेकर राष्ट्रीय पंचायती राज संगठन के अध्यक्ष व लोकदल अध्यक्ष सुनील सिंह ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने केंद्र सरकार को अहंकार में डूबे होने की वजह से वाजिब मांग पर ध्यान नहीं देने पर कोसा और किसान विरोधी काले कानूनों के विरोध पूरे देशवासियों के समर्थन की बात कही है। संसद में पास केंद्र सरकार के तीन कृषि कानून को लेकर पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश समेत कई राज्य के किसान आंदोलन कर रहे हैं।
किसानों का यह आंदोलन दिल्ली की सीमाओं तक पहुंच गया है। किसानों ने दिल्ली को लगभग चारों ओर से घेर रखा है। किसानों ने केंद्र सरकार की बातचीत की शर्त को ठुकरा दिया है। संगठन के अध्यक्ष एवं किसानों का कहना है कि शर्तों के आधार पर बातचीत नहीं होगा।
देश के अन्नदाता किसानों के खिलाफ हिंसा और अत्याचार बंद करने की मांग की है राष्ट्रीय पंचायती राज संगठन के अध्यक्ष एवं लोकदल अध्यक्ष सुनील सिंह ने आगे कहा है कि अन्नदाता की रीढ़ को कमजोर करने का अर्थ है इस देश की आर्थिक नींव को कमजोर करना। अहंकार में डूबे लोग अभी अपने पूंजीपति मित्रों के हितों के आगे किसी की न तो सुन रहे हैं, न सच स्वीकार रहे हैं। किसान विरोधी काले कानूनों के विरोध में पूरा देश आज किसानों के साथ है।
श्री सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी की किसान आंदोलन पर चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि मन की बात और हर मुद्दे पर ट्वीट करने वाले प्रधानमंत्री जी आज जो किसान आंदोलन कर रहे हैं, जो किसानों पर अत्याचार हो रहा है, उसपर गहरी चुप्पी साध कर बैठे हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी जी के पास इतना समय नहीं है कि वह किसानों की बात सुन सकें और उनकी पीड़ा पर कुछ कहें। प्रधानमंत्री जी को किसानों की नहीं सिर्फ अपने पूंजीपति मित्रों की चिंता है। इसी कारण भाजपा सरकार किसान आंदोलन को दमनकारी नीतियों से दबाने और किसानों की आवाज कुचलने पर आमादा है।
प्रधानमंत्री जी ने चुनाव में हजारों की संख्या में लोगों को जुटाकर रैलियां की थी, भाजपा द्वारा कार्यक्रमों में भीड़ जुटाई जा रही है, रोड शो निकाले जा रहे हैं, तो क्या इनसे कोरोना नहीं फैल रहा। आज जब किसान अपने हकों के लिए आंदोलन करना चाहते हैं तो कोरोना का बहाना लगाकर उन्हें कुचला जा रहा है। यह भाजपा सरकार के दोहरे चरित्र को उजागर करता है।