लखनऊ। धर्म, मर्यादा, चरित्र, संस्कार के स्वरूप श्री राम के इस मंदिर से प्रत्येक व्यक्ति को स्वेच्छा से जोड़ने का अभियान मकर संक्रांति से प्रारंभ होगा जो माघ पूर्णिमा तक चलेगा। घर- घर जाकर सहयोग मांगने के इस कार्य के पीछे निहितार्थ यह है कि प्रभु श्री राम के काज से हर एक व्यक्ति को जोड़ने का सौभाग्य प्राप्त हो।
आज लखनऊ में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चंपत राय ने पत्रकारों से बात की उन्होंने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर से जुड़े इतिहास की सच्चाई को सर्वोच्च अदालत ने स्वीकार किया। उसके निर्देश पर भारत सरकार ने श्रीराम जन्मभूमि के लिए ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ नाम से ट्रस्ट गठित किया। पीएम मोदी ने 05 अगस्त को अयोध्या में पूजन करके मंदिर निर्माण की प्रक्रिया को गति प्रदान की है।
उन्होंने बताया कि मंदिर के वास्तु का दायित्व अहमदाबाद के चंद्रकांत सोमपुरा पर है। वह वर्ष 1986 से जन्मभूमि मंदिर निर्माण की देखभाल कर रहे हैं। ‘लॉरेंस एंड टूब्रो कंपनी’ को मंदिर निर्माण का कार्य दिया गया है, जबकि निर्माता कंपनी के सलाहकार के रूप में ट्रस्ट ने ‘टाटा कंसलटिंग इंजिनियर्स’ को चुना गया है।
उन्होंने बताया कि संपूर्ण मंदिर पत्थरों से बनेगा। मंदिर तीन मंजिला होगा। प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट होगी, मंदिर की लंबाई 360 तथा चौड़ाई 235 फीट है, भूतल से 16.5 फीट ऊंचा मंदिर फर्श बनेगा, भूतल से गर्भ गृह के शिखर की ऊंचाई 161 फीट होगी। धरती के नीचे 200 फीट गहराई तक मृदा परीक्षण तथा भविष्य के संभावित भूकंप के प्रभाव का अध्ययन हुआ है।
उन्होंने बताया कि जमीन के नीचे 200 फीट तक भुरभुरी बालू पाई गई है, गर्भ ग्रह के पश्चिम में कुछ दूरी पर ही सरयू नदी का प्रवाह है। इस भौगोलिक परिस्थिति में 1000 वर्ष आयु वाले पत्थरों के मंदिर का भार सहन कर सकने वाली मजबूत और टिकाऊ नीव की ड्राइंग पर आईआईटी मुंबई, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी चेन्नई, आईआईटी गुवाहाटी, केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की, लॉरेंस टुब्रो व टाटा के इंजीनियर आपस में बराबर परामर्श कर रहे हैं। बहुत शीघ्र नींव का प्रारूप तैयार होकर निर्माण कार्य प्रारंभ होगा।
महामंत्री चंपत राय ने बताया कि भारतवर्ष की वर्तमान पीढ़ी को इस मंदिर के इतिहास की सच्चाइयों से अवगत कराने की योजना बनी है। देश की कम से कम आधी आबादी को श्रराम जन्मभूमि मंदिर की ऐतिहासिक सच्चाई से अवगत कराने के लिए देश के प्रत्येक कोने में घर-घर जाकर संपर्क अभियान चलाया जायेगा, ये संपर्क अभियान न सिर्फ यूपी बल्कि देश के अन्य राज्यो जैसे अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, अंडमान निकोबार, रणकच्छ, त्रिपुरा अदि देश के सभी कोनों पर जाएंगा। समाज को राम जन्म भूमि के बारे में पढ़ने के लिए साहित्य भी दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि देश में समाज की गहराई तक इच्छा है कि भगवान की जन्मभूमि पर मंदिर बने। जिस प्रकार जन्मभूमि को प्राप्त करने के लिए लाखों भक्तों ने कष्ट सहे, सतत सक्रिय रहे, सहयोग किया, उसी प्रकार करोड़ों लोगों के स्वैच्छिक सहयोग से मंदिर बने।
स्वभाविक है, जब जनसंपर्क होगा लाखों कार्यकर्ता गांव और मोहल्ले में जाएंगे तो समाज स्वेच्छा से कुछ ना कुछ निधि समर्पण करेगा। भगवान का काम है, मंदिर भगवान का घर है, भगवान के कार्य में धन बाधा नहीं हो सकता, समाज का समर्पण कार्यकर्ता स्वीकार करेंगे, आर्थिक विषय में पारदर्शिता बहुत आवश्यक है।
उन्होंने बताया कि पारदर्शिता बनाए रखने के लिए हमने ₹10 ₹100 ₹1000 के कूपन व रसीद छापी है। समाज जैसा देगा उसी के अनुरूप कार्यकर्ता कूपन व रसीद उसे दी जायेगी। इस अभियान के माध्यम से करोड़ों घरों में भगवान के मंदिर का चित्र पहुंचेगा। जनसंपर्क का यह कार्य मकर संक्रांति से प्रारंभ करेंगे और माघ पूर्णिमा तक पूर्ण होगा श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र, ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने सभी जन-मानस व राम भक्तो से आग्रह किया है कि इस ऐतिहासिक अभियान के लिए अपना पूर्ण समय समर्पित करें।