तीन तलाक कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अहम फैसला दिया. उच्चतम न्यायालय ने केरल के एक दम्पति के मामले में फैसला सुनाते हुए बुधवार को साफ कर दिया कि तीन तलाक के आरोपी पति को अदालत अग्रिम जमानत दे सकती है. इससे पहले ये समझा जाता था कि अगर कोई मुस्लिम महिला या उसके रिश्तेदार किसी व्यक्ति पर तीन तलाक देने की शिकायत पुलिस में दर्ज कराते हैं तो उस व्यक्ति को सीधा जेल भेजा जाएगा.
उसे अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी. यानी उस आरोपी को पुलिस में सरेंडर करना होगा, जेल जाना होगा और फिर अदालत महिला का पक्ष सुनने के बाद ये तय करेगा कि आरोपी पति को ज़मानत दी जाएगी या नहीं.
मोदी सरकार ने पिछले साल Muslim Women कानून लाकर मुस्लिम महिलाओं को सुरक्षा देने की बात कही थी. इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है और कहा गया था कि ये कानून एकतरफा है. इसे संतुलित करने की ज़रूरत है. फिलहाल ये मामला संविधान पीठ में लंबित है.
उस याचिका से अलग हटकर आज सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ ज़मानत के मामले में फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि आरोपी पति अग्रिम जमानत की याचिका दाखिल कर सकता है. यानी उसे बिना सरेंडर किया ज़मानत याचिका दाखिल करने का अधिकार होगा. फिर अदालत शिकायतकर्ता महिला का पक्ष सुनेगा और इसके बाद अदालत तय करेगा की पति को ज़मानत दी जाएगी या नहीं.