लखनऊ। महिला सशक्तीकरण के प्रशिक्षण के लिये सर्वाधिक प्रभावशाली स्थल है विश्वविद्यालय उत्पीडन के विरूद्ध लडकियों के सशक्तीकरण विषयक प्रशिक्षण के सर्वाधिक प्रभावशाली स्थल विद्यालय और विश्वविद्यालय होते हैं, क्योंकि यहाँ ऐसे प्रशिक्षण को आत्मसात् करने और उन्हें प्रयोग में लाने के लिये अपेक्षित आत्मविश्वास जाग्रत करने के प्रयासों की दृष्टि से सबसे अनुकूल और व्यावहारिक परिस्थितियाँ हो सकती हैं।
यह विचार निर्भया केस की वकील रहीं उच्चतम न्यायालय की अधिवक्ता सीमा समृद्धि ने व्यक्त किये। वे मिशन शक्ति कार्यक्रम के अन्तर्गत लखनऊ विश्वविद्यालय के तिलक महिला छात्रावास में आयोजित शक्ति-संवाद में मुख्य अतिथि तथा परिचर्चाकार के रूप में छात्राओं को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि केवल शिक्षित या उच्चशिक्षित होने मात्र से महिलाओं को वास्तविक सशक्तीकरण और सुरक्षा प्राप्त नहीं हो जाती है।
निर्भया फीजियोथेरेपिस्ट थी, हैदराबाद की प्रियंका डाक्टर थी, लेकिन अपराधियों के दुस्साहस के कारण उनके साथ दुर्घटनाएँ घटीं। इसलिए केवल सिद्धान्त और लिखापढी के स्तर पर ही नहीं बल्कि व्यावहारिक स्तर पर भी प्रशिक्षित और तैयार रहने की आवश्यकता होती है। मानसिक दृढता और आत्मविश्वास जाग्रत करने के उपाय करने होते हैं।
इस लिहाज से मुख्यमन्त्री योगी द्वारा प्रारम्भ की गई मिशन शक्ति की पहल प्रशंसनीय है। शैक्षणिक संस्थाओं के नेतृत्व की भूमिका इस दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण है,क्योंकि यदि दुस्साहस का दमन इसी स्तर पर होता हुआ दिखेगा, तो इससे पूरी पीढी और समाज को संदेश पहुँचेगा।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में तिलक छात्रावास की प्रोवोस्ट डा. भुवनेश्वरी भारद्वाज ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि मिशन शक्ति स्त्री की सुरक्षा,सम्मान और स्वावलम्बन से सम्बन्धित है। सुरक्षा उसी की हो सकती है, जिसका पहले से वजूद हो, व्यवस्था में वही बना रह सकता है, जो एक व्यवस्था के अन्तर्गत हो। व्यवस्था के लिये मर्यादा तथा अनुशासन आवश्यक है, और अनुशासन के लिए इसके उल्लंघन का दुस्साहस करने वालों का दमन। शंका समाधान सत्र में छात्राओं के सवालों के जबाव सीमा समृद्धि के द्वारा दिये गये। छात्रावास की अन्तेवासिनी छात्राओं द्वारा मिशन शक्ति से सम्बन्धित रंगोली तथा पुष्पसज्जा की गई। सोनाली और संसृता ने कार्यक्रम का संचालन तथा धन्यवाद ज्ञापन किया।