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प्रदेश में गन्ना किसानो का हाल बेहाल, सरकार के दावे झूठे

मोहम्मदी-खीरी। प्रदेश एवं केन्द्र की भाजपा सरकार कितनी किसान हितैशी है ये मोहम्मदी के गन्ना किसानो से पूछे जिन्हे अभी पिछला गन्ना मूल्य बकाया भुगतान मिला नहीं और इस वर्ष वो प्रदेश सरकार, गन्ना विभाग और सहकारी गन्ना समिति के कारण मिलो को गन्ना आपूर्ति के लिये पर्चियो के लिये परेशान है। आधा पेराई सत्र बीत चुका खेतो में गन्ना सूखने के कगार पर पहुंच गया। खड़े गन्ने का सर्वे भी हुआ सर्वे पूरी खड़ी गन्ने भूमि पर हुआ और अभिलेखो में कम दर्ज किया गया। किसान पर्चियो के लिये मारा-मारा घूम रहा है।

जिलाधिकारी से मुख्यमंत्री तक किसान गुहार लगा चुका है लेकिन अमेरीकी राष्ट्रपति की उत्तर प्रदेश में मात्र दो घण्टे की यात्रा पर 120 करोड़ रूपये खर्च करने वाली प्रदेश सरकार अपने निरीह किसानो की सुध लेने को तैयार नहीं। एक ओर गन्ना किसान पर्चियो के लिये परेशान घूम रहे वही गन्ना माफियाओ के पास पर्चिया पहंुच रही जैसे उनके पास आसमान से पर्चिया आ रही हो ?

क्षेत्र का गन्ना किसान पिछले कई वर्षो से अपनी सहकारी गन्ना समिति प्रशासन के सौतेले व्यवहार, वहां व्याप्त भ्रष्टाचार एवं समिति पर गन्ना माफियाओ की मजबूत पकड़ के कारण खासे परेशान है। गेहूं, धान मे बिचैलियो के कारण सरकारी क्रय केन्द्रो पर लुट चुके किसानो को अब गन्ना समिति के कारण खून के आंसू बहाने पड़ रहे है। मिलो में पिराई का आधा सत्र बीत चुका है गन्ना खेतो में खड़ा है। छोटे एवं मध्यवर्गी किसानो के सामने पर्चियो का गम्भीर संकट है। पिराई सत्र शुरू होते ही समिति पर हावी गन्ना माफियाओ के कारण व्याप्त घोर अनियमित्ताओ पर जब किसानो ने आवाज़ उठाई तो जिलाधिकारी के आदेश पर जिला गन्ना अधिकारी ने यहां तैनात समिति के सचिव राजीव कुमार सिंह को घोर अनियमित्ताये पाये जाने पर सस्पेंड कर दिया था और इकलौते गन्ना पर्यवेक्षक धनंजय सिंह को यहां से हटाकर जिला कार्यालय से सम्बद्ध कर दिया था।

एक माह से अधिक का समय हो गया यहां न दूसरे सचिव की नियुक्ति हुई न गन्ना प्रवेक्षक भेजा गया। समिति में सब कुछ राम भरोसे हो गया और सीजनल कर्मचारियो के सहारे समिति कार्य रेगंने सा लगा। इन पर गन्ना माफिया एवं सम्पन्न कृषको का इतना गलत दवाब कि वो इस दवाब से छटपटा तो रहे है लेकिन आवाज नहीं निकाल सकते। सचिव न होने से आम किसानो की समस्याओ का समाधान नहीं हो पा रहा।

गन्ना समिति में अनियमित्ताओ का आलम ये है कि सर्वे होने के बाद भी किसानो के सटटे में गन्ने की फसल का पूरा रकबा ही नहीं दर्ज किया गया, इन्तिखाब आदि लगाने व सर्वे के उपरान्त भी कम रकबा दर्ज किया गया क्यो ऐसा किया गया। इसका जवाब तलाश करने पर भी नही मिल रहा। सटटो में भूमि का रकबा कम दर्शाने से किसानो में खलबली सी मची है। किसान एक-एक पर्ची के लिये मारा-मारा घूम रहा है।

उसकी समस्या कोई सुनने वाला नहीं। इस समस्या का समाधान कैसे होगा पर सीडीआई अंगद सिंह का कहना है कि जब तक यहां गन्ना प्रवेक्षक की नियुक्ति नहीं होती इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता। प्रवेक्षक की नियुक्ति शासन स्तर से ही होगी कब होगी पता नहीं। जंगबहादुरगंज गन्ना समिति के सचिव को यहां का अतिरिक्त चार्ज सौपा गया था जो यहां आते नहीं। लेकिन कहते है कि गन्ना किसानो की समस्याओ का समाधान किया जायेगा। कब पता नहीं ? वही गन्ना किसान अपने सूखने लगे गन्ने को लेकर खासे चिन्तित है। नकदी फसल के रूप में पहचाने जाने वाला गन्ना कही खेतो में तो खड़ा नहीं रह जायेगा और मिले बन्द हो जायेगी ? अगर कही ऐसा हुआ तो किसान बेमौत मर जायेगा।

रिपोर्ट-सुखविंदर सिंह कम्बोज

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