यह रावण का भाई था, जो 6 महीने बाद 1 दिन जागता और भोजन करके फिर सो जाता, क्योंकि इसने ब्रह्माजी से इंद्रासन की जगह निद्रासन का वरदान मांग लिया था। इसका शरीर विशालकाय था। युद्ध के दौरान किसी तरह कुंभकर्ण को जगाया गया। कुंभकर्ण ने युद्ध में अपने विशाल शरीर से वानरों पर प्रहार करना शुरू कर दिया इससे राम की सेना में हाहाकार मच गया। सेना का मनोबल बढ़ाने के लिए राम ने कुंभकर्ण को युद्ध के लिए ललकारा और भगवान राम के हाथों कुंभकर्ण वीरगति को प्राप्त हुआ। आओ जानते हैं उसकी पत्नी के बारे में
मय दानव की पुत्री मन्दोदरी से विवाह करके रावण ने दैत्यपति विरोचन की दौहित्री वज्र ज्वाला से अपने भाई कुम्भकर्ण का और गन्धर्वों के राजा शैलूष की पुत्री सामा (सरमा) से विभीषण का विवाह किया था। कहते हैं कि वज्रज्वाला महाबली बाली की पुत्री थी। बाली विरोचन का पुत्र था। वामन अवतार ने बाली से जब तीन पग भूमि दान में मांगी थी तब उस वक्त वज्रज्वाला वहां मौजूद थीं।
कुंभकर्ण की पत्नी बाली की कन्या वज्रज्वाला थीं। उसकी एक दूसरी पत्नी का नाम कर्कटी था। कुंभपुर के महोदर नामक राजा की कन्या तडित्माला से भी कुंभकर्ण का विवाह हुआ। कुंभकर्ण के एक पुत्र का नाम मूलकासुर था जिसका वध माता सीता ने किया था। दूसरे का नाम भीम था। कहते हैं कि इस भीम के कारण ही भीमाशंकर नामक ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई थी। वज्रज्वाला के पुत्र का नाम कुंभ और निकुंभ था।
रावण की सेना में अस्त्र-शस्त्र या यंत्र बनाने वाले एक से एक वैज्ञानिक थे। जैसे शुक्राचार्य भार्गव, शंबूक और कुंभकर्ण और वज्रज्वला। कुंभकर्ण अपनी पत्नी वज्रज्वाला के साथ अपनी प्रयोगशाला में तरह-तरह के अस्त्र-शस्त्र और यंत्र बनाने में ही लगे रहते थे जिसके चलते उनको खाने-पीने की सुध ही नहीं रहती थी। कुंभकर्ण की यंत्र मानव कला को ‘ग्रेट इंडियन’ पुस्तक में ‘विजार्ड आर्ट’ का दर्जा दिया गया है। इस कला में रावण की पत्नी धान्यमालिनी भी पारंगत थी। वरदान के पहले और एक दिन जागने के दौरान कुंभकर्ण यह कार्य करता था।