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भारत और अमेरिका के बीच कल से शुरू होगा साझा युद्धभ्यास, राजस्थान पहुंची अमेरिकी सेना की घोस्ट ब्रिगेड

चीन से चल रहे टकराव के बीच अमेरिका सेना भारत के साथ साझा युद्धभ्यास के लिए राजस्थान पहुंच गई है. भारत और अमेरिका की सेनाओं के बीच सोमवार से सालाना ज्वाइंट मिलिट्री एक्सरसाइज, ‘युद्धभ्यास’ की शुरूआत हो रही है. यह 21 फरवरी चलेगी. इस एक्सरसाइज में अमेरिकी सेना की स्ट्राइकर-ब्रिगेड हिस्सा ले रही है, जिसे घोस्ट-ब्रिगेड के नाम से जाना जाता है. कोविड महामारी के दौरान भारतीय सेना को किसी दूसरे देश के साथ ये पहला युद्धभ्यास है.

भारत और अमेरिका की सेनाओं के बीच ‘युद्धभ्यास’ का ये 16वां संस्करण है.इस ज्वाइंट एक्सरसाइज का नाम, युद्धभ्यास ही है. ये एक्सरसाइज एक साल भारत में होती है और एक साल अमेरिका में. इस बार ये एक्सरसाइज राजस्थान के थार रेगिस्तान स्थित महाजन रेंज में होने जा रही है. इस एक्सरसाइज में कुल 500 सैनिक हिस्सा लेंगे. दोनों सेनाओं के 250-250 सैनिक. ये एक्सरसाइज “यूएन (संयुक्त राष्ट्र) चार्टर के तहत वैश्विक तौर से ताकतवर दो सेनाओं के बीच आपसी सहयोग और पारस्परिकता बढ़ाने के उद्देश्य से की जा रही है.”

अमेरिकी सेना की वन-कोर की 1-2 स्ट्राइकर ब्रिगेड कॉम्बेट टीम (घोस्ट ब्रिगेड) इस एक्सरसाइज के लिए अपने स्ट्राइकर-व्हीकल्स (इंफेंट्री कॉम्बेट व्हीकल्स) के साथ भारत पहुंची है. इस वन (1) कोर का मुख्यालय अमेरिका के सिएटल शहर के करीब ज्वाइंट बेस लुईस मैकक्रोर्ड (जेबीएलएम बेस) में है. अमेरिकी सेना सी-17 ग्लोबमास्टर एयरक्राफ्ट से इन स्ट्राइकर व्हीकल्स लेकर पहुंची है.

सैन्य-प्रशिक्षण के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी
इस एक्सरसाइज के बाबत राजधानी दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा कि इस सालाना युद्धभ्यास से दोनों सेनाओं की क्षमताएं तो बढेंगी ही “इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में स्थायी रक्षा उद्देश्य को बढ़ावा मिलेगा.” दूतावास के मुताबिक, युद्धभ्यास में सैन्य-प्रशिक्षण पर तो जोर दिया ही जाएगा, इससे दोनों देशों के बीच पेशेवर और सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी होगा.

फील्ड ट्रेनिंग एक्सरसाइज एक-एक कंपनी होगी शामिल
युद्धभ्यास के दौरान कमांड पोस्ट एक्सरसाइज (सीपीएक्स) की जाएगी जिसमें यूएन पीसकीपिंग ऑपरेशन को दोनों देश के सैनिकों को एक साथ करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा. फील्ड ट्रेनिंग एक्सरसाइज (एफटीएक्स) में दोनों देशों के एक-एक कंपनी (करीब 100-100 सैनिक) साझा युद्ध-कला में हिस्सा लेंगे, ताकि ऑपरेशन्स क्षमताएं बढ़ाई जा सकें.

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