उषा पान का आयुर्वेदिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है। हमारे ऋषि-मुनि और प्राचीनकाल के लोग उषा पान करके सेहतमंद बने रहते थे। परंतु आधुनिक युग में व्यक्ति यह सबकुछ भूल गया है। क्या आपको पता है कि उषा पान क्या होता और क्या आपको यह भी पता है कि उषापान करने के क्या फायदे हैं। यदि नहीं तो जानिए कि यह क्या होता है।
उषा पान क्या होता है?
हिन्दू धर्मानुसार दिन-रात मिलाकर 24 घंटे में आठ प्रहर होते हैं। औसतन एक प्रहर तीन घंटे या साढ़े सात घटी का होता है जिसमें दो मुहूर्त होते हैं। एक प्रहर एक घटी 24 मिनट की होती है। दिन के चार और रात के चार मिलाकर कुल आठ प्रहर।…आठ प्रहर के नाम : दिन के चार प्रहर- 1.पूर्वान्ह, 2.मध्यान्ह, 3.अपरान्ह और 4.सायंकाल। रात के चार प्रहर- 5. प्रदोष, 6.निशिथ, 7.त्रियामा एवं 8.उषा।
इसमें से जो उषा काल है उस दौरान उठकर पानी पीने को ही उषा पान कहते हैं। परंतु आजकल लोग ऐसा नहीं करते क्योंकि लोगों की दिनचर्या बदल गई है और वे सुबह जल्दी नहीं उठ पाते हैं। ऐसे में जब वे देर रात को खाना खाते हैं तो उस दौरान पानी पी लेते हैं और फिर उन्हें उषा काल में पानी की प्यास नहीं लगती है। यदि लगती भी है तो वे नींद के आलस के मारे उठकर पानी नहीं पीते हैं।
उषा पान के 10 फायदे :
1. रात के चौथे प्रहर को उषा काल कहते हैं। रात के 3 बजे से सुबह के 6 बजे के बीच के समय को रात का अंतिम प्रहर भी कहते हैं। यह प्रहर शुद्ध रूप से सात्विक होता है। इस प्रहर में जल की गुणवत्ता बिल्कुल बदल जाती है। इसीलिए यह जल शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होगा है।
2. शरीर की जैविक घड़ी के अनुसार इस समय में फेफड़े क्रियाशील रहते हैं। यदि हम इस काल में उठकर गुनगुना पानी पीकर थोड़ा खुली हवा में घूमते या प्राणायाम करते हैं तो फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ती है, क्योंकि इस दौरान उन्हें शुद्ध और ताजी वायु मिलती है।
3. यदि ऐसा करते हैं तो जब प्रात: 5 से 7 बजे के बीच हमारी बड़ी आंत क्रियाशील रहती है तब इस बीच मल त्यागने में किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होती है। जो व्यक्ति इस वक्त सोते रहते हैं और मल त्याग नहीं करते हैं उनकी आंतें मल में से त्याज्य द्रवांश का शोषण कर मल को सुखा देती हैं। इससे कब्ज तथा कई अन्य रोग उत्पन्न होते हैं।
4. ‘काकचण्डीश्वर कल्पतन्त्र’ नामक आयुर्वेदीय ग्रन्थ के अनुसार रात के पहले प्रहर में पानी पीना विषतुल्य, मध्य रात्रि में पिया गया पानी दूध सामान और प्रात: काल (सूर्योदय से पहले उषा काल में) पिया गया जल मां के दूध के समान लाभप्रद कहा गया हैं।
5. आयुर्वेदीय ग्रन्थ ‘योग रत्नाकर’ के अनुसार जो मनुष्य सूर्य उदय होने के निकट समय में आठ प्रसर (प्रसृत) मात्रा में जल पीता हैं, वह रोग और बुढ़ापे से मुक्त होकर 100 वर्ष से भी अधिक जीवित रहता हैं।
6. उषापान करने से कब्ज, अत्यधिक एसिडिटी और डाइस्पेसिया जैसे रोगों को खत्म करने में लाभ मिलता है।
7. उषापान करने वाले की त्वचा भी साफ और सुंदर बनी रहती है।
8. प्रतिदिन उषापान करने से किडनी स्वस्थ बनी रहती है।
9. प्रतिदिन उषापान करने से आपको वजन कम करने में भी लाभ मिलता है।
10. उषापान करने से पाचन तंत्र दुरुस्त होता है।
खास बातें :
1. तांबे के लोटे में पीए पानी। रात में तांबे के बरतन में रखा पानी सुबह पीएं तो अधिक लाभ होता है।
2. वात, पित्त, कफ, हिचकी संबंधी कोई गंभीर रोग हो तो पानी ना पीएं।
3. अल्सर जैसे कोई रोग हो तो भी पानी ना पीएं।