इन दिनों भारत में हिन्दू देवी-देवताओं का अपमान करने का मानों ट्रेंड सा चल पड़ा है। हर कोई, चाहे फिर वो कॉमेडियन हो, राजनीतिज्ञ हो या फिर पत्रकार, इस देश के बहुसंख्यकों की आस्था के साथ खिलवाड़ करने से पहले एक बार भी नहीं सोचता। इसका हालिया और भौंडा उदहारण ‘द प्रिंट’ के लिए लेख लिखने वाले दिलीप मंडल के एक ट्वीट से सामने आया है, जिसके बाद ट्विटर पर #ArrestDilipMandal टॉप ट्रेंड कर रहा है।
दरअसल, दिलीप मंडल ने आज बसंत पंचमी के अवसर पर अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए माँ सरस्वती के लिए बेहद अभद्र और अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया है। दिलीप ने अपने ट्वीट में लिखा है कि, ”सरस्वती को मैं शिक्षा की देवी नहीं मानता। उन्होंने न कोई स्कूल खोला, न कोई किताब लिखी। ये दोनों काम माता सावित्रीबाई फुले ने किए। फिर भी मैं सरस्वती के साथ हूँ। ब्रह्मा ने उनका जो यौन उत्पीड़न किया, वह जघन्य है। – संदर्भ Phule J. , Slavery(1991), Govt of Maharashtra Publication।”
दिलीप मंडल के इस ट्वीट के बाद ट्विटर पर उनकी गिरफ़्तारी की मांग जोर शोर से की जा रही है। वहीं दूसरी तरफ अपने ट्विटर बायो में बीबीसी, इंडिया टुडे, द क्विंट का पत्रकार लिखने वाले दिलीप मंडल माफ़ी मांगने के बजाए, उलटा उनकी गिरफ़्तारी मांग करने वालों को धमकी देते हुए ट्वीट किया है। जिसमे उन्होंने लिखा है कि ‘ये हैशटैग बंद कीजिए। वरना मैं कबीर, संत रविदास महाराज, ज्योतिबा फुले, बाबा साहब, पेरियार, ललई यादव, जगदेव प्रसाद का लिखा हुआ सब उनकी किताबों से उठाकर पोस्ट कर दूँगा। फिर समेटते रहना। इनमें से ज़्यादातर किताबें सरकारों ने छापी हैं।
‘ लेकिन इस पूरे मामले में सवाल यह उठता है कि, भारत जैसे देश में जहां हर धर्म को एक समान दर्जा दिया गया है, वहां क्यों बार-बार एक धर्म का मज़ाक बनाया जा रहा है, वो भी उस धर्म का जिसकी गिनती विश्व के प्राचीन ग्रंथों में होती है और जो ‘वसुधैव कुटुंबकम’ तथा ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ की कामना करता है। और ये अपमान करने वाला भी कोई अनपढ़ जाहिल नहीं, बल्कि देश का पढ़ा-लिखा पत्रकार है।