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विकास की मुख्यधारा में वनवासी

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

भारत के वनवासी क्षेत्र प्राकृतिक व सांस्कृतिक रूप से समृद्ध रहे है। कालांतर में विकास की उपभोगवादी अवधारणा में इन इलाकों को उपेक्षा का सामना करना पड़ा। इससे इनकी प्रगति बाधित हुई। शिक्षा स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं का यहां नितांत अभाव रहा। रोजगार के अवसर भी न्यूनतम हो गए। ईसाई मिशनरियों ने इस परिस्थिति का भरपूर लाभ उठाने का प्रयास किया। पहले की सरकारों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।ऐसे में वनवासी कल्याण आश्रम ने मोर्चा संभाला।

इसकी ओर से वनवासी क्षेत्रों में सेवा कार्यों की श्रृंखला चलाई गई। आदिवासी शब्द भेदभाव पर आधारित था। अंग्रेजों ने बांटों व राज करो की नीति के अंतर्गत इसको शुरू किया था। वनवासी शब्द एकात्मता पर आधारित है। जैसे शहरी,ग्रामीण है,उसी प्रकार वनवासी है। सभी लोग भारतीय है। निवास स्थान अलग होने से ये संबोधन बने। सेवा आश्रम आठ करोड वनवासियों के सर्वांगीण विकास के प्रति समर्पित है। वनवासियों व सूदूर जनजातीय गांवों के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिये अनेक प्रकार कार्यक्रम संचालित किए जाते है। विभिन्न राज्यों में यह संगठन वनवासी कल्याण परिषद के रूप में भी कार्यरत है।

इसका ध्येयवाक्य है नगरवासी ग्रामवासी वनवासी हम सभी हैं भारतवासी। लगभग तेरह हजार प्रकल्पों के माध्यम से वनवासी कल्याण आश्रम का सम्पर्क और कार्य है। इस संस्था ने वनवासियों पर कुछ थोपा नहीं। उनकी सभ्यता संस्कृति को सम्मान दिया। क्योंकि यह सभी भारत की विविधता के अनुरूप है। वनवासी समाज में अपनी आस्थाओं परम्पराओं और मान्यताओं के प्रति विश्वास, पहचान की स्वाभिमान और आत्म गौरव का भाव दृढ किया गया। वनवासी समाज को शिक्षा, संस्कार तथा स्वावलंबन से अपना अवम अपने समाज का सर्वांगीण विकास प्रेरित किया जा रहा है।वनवासी और शहरवासी के बीच सामंजस्य एकत्व और स्नेहिल बंधुत्व भाव निर्माण पर बल दिया गया। उनके आर्थिक शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कार, संस्कृति के संवर्धन संबन्धी कार्यक्रम संचालित किए जा रहे है। शिक्षा प्रकल्पों के माध्यम से वनवासी क्षेत्र में शिक्षा और ज्ञान का प्रसार किया जा रहा है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोनभद्र के बभनी विकासखंड के चपकी कारीडाड़ गांव में सेवा कुंज आश्रम में सोलह कक्ष तीन हॉस्टल व भोजनालय का लोकार्पण किया। रामनाथ कोविंद तीन दशकों से यहां आते रहे है। उन्होंने सन 1999 का प्रसंग याद किया। कहा कि उस समय लोगों से पूछा था कि जंगल में आप बच्चों को कैसे पढ़ाएंगे,तो आश्रम के लोगों ने बताया कि यदि यहां पर एक भवन बन जाए तो बच्चों को बहुत सुविधा होगी। इसको देखते हुए मैंने इस स्कूल के लिए पहला भवन बनवाया है।राष्ट्रपति ने कहा कि अब यहां के बच्चों को इंटर के बाद की पढ़ाई के लिए लखनऊ और दिल्ली नहीं जाना पड़ेगा। सोनभद्र में ही मेडिकल सहित तमाम शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। राष्ट्रपति ने बताया कि देश की आत्मा ग्रामीण व वनवासी क्षेत्र में बसती है।

इसलिए जिसको देश के बारे में जानना हो वह एक बार सोनभद्र अवश्य आए। राष्ट्रपति ने बताया के यह क्षेत्र बिहार,झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश से घिरा हुआ है और यह बहुत जल्द विकास का हब बनने वाला है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहा कि यहां शीघ्र ही शूटिंग रेंज का निर्मांण होगा। मुख्यमंत्री ने जिले को एक और मेडिकल कालेज की सौगात दी। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने बताया कि शिक्षा से व्यक्ति समाज और देश का विकास होता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति सोनभद्र और यहां के आदिवासी बच्चों के बीच में रहे हैं। उनका इनसे लगाव रहा है। वह इससे पहले भी तीन बार जिले में आ चुके हैं।

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