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राहुल गांधी ने पीएम मोदी की सद्दाम हुसैन और गद्दाफी से तुलना, कहा- चुनाव वो भी करवाते थे

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का केंद्र सरकार, बीजेपी और आरएसएस पर हमले गुजरते वक्त के साथ तीखे होते जा रहे हैं। अब उन्होंने केंद्र सरकार के साथ-साथ भारतीय लोकतंत्र को लेकर ऐसा बयान दिया है जिस पर बड़ा विवाद खड़ा हो सकता है। उन्होंने इशारों-इशारों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना सद्दाम हुसैन और गद्दाफी से कर दी और भारत को इराक और लीबिया बता दिया।

राहुल ने भारत को बताया इराक और लीबिया– उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान जो कहा, उसका मतलब तो यही है कि इराक में सद्दाम हुसैन और लीबिया में गद्दाफी भी चुनाव करवाते थे, इसका मतलब यह तो नहीं कि वहां लोकतंत्र था। राहुल ने कहा, “चुनाव सिर्फ यह नहीं है कि लोग गए और वोटिंग मशीन का बटन दबा दिया। कौन सा नैरेटिव गढ़ा जा रहा है, देश के शासन-प्रशासन के सभी तंत्र ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं, न्यायपालिका निष्पक्ष है कि नहीं और संसद में किन मुद्दों पर बहस हो रही है, चुनाव का संबंध इन सबसे होता है।”

राहुल का आरोप- भारत में लोकतंत्र नहीं बचा– उन्होंने आगे कहा, “सद्दाम हुसैन और गद्दाफी भी चुनाव करवाते थे। तब लोग वोट तो डालते थे, लेकिन सच में अपना मत नहीं देते थे क्योंकि उनके हितों का संरक्षण सुनिश्चित करने वाली कोई संस्था वहां काम नहीं कर रही थी। मुझे लगता है कि भारत को यह तलाश करना चाहिए कि कहीं यह इस सीमा रेखा से भी बहुत नीचे तो नहीं चला गया है?” राहुल गांधी का ये ताजा बयान कुछ विदेशी संस्थाओं की तरफ से लोकतांत्रिक देश के नजरिए से भारत की रेटिंग कम करने के हवाले आया है।

हालांकि, वो बहुत पहले से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उनकी पार्टी बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को कोसते रहे हैं और इन सब पर देश में लोकतंत्र की जड़ें हिलाने का आरोप लगाते रहे हैं। राहुल और कांग्रेस पार्टी के अन्य नेता प्रधानमंत्री मोदी की तुलना पहले भी हिटलर जैसी शख्सियत से कर चुके हैं। स्वाभाविक है कि राहुल के ताजा बयान पर बीजेपी की ओर से भी तीखी प्रतिक्रिया आ सकती है।

दरअसल, राहुल ने जिस सद्दाम हुसैन का हवाला दिया है, उसका भारत और खासकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से बेहतरीन संबंध था। कहा जाता है कि 1975 में इंदिरा गांधी इराक गईं तो मेजबान सद्दाम हुसैन ने उनका सूटकेस उठा लिया। कहा यह भी जाता है कि इंदिरा जब रायबरेली से लोकसभा चुनाव वे हार गईं तो सद्दाम ने उन्हें इराक की राजधानी बगदाद में स्थाई आवास की पेशकश कर दी। इतना ही नहीं, सद्दाम के नेतृत्व वाली बाथ सोशलिस्ट पार्टी के प्रतिनिधि कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशनों में शामिल हुआ करते थे।

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