सुशासन व प्रबंधन के योगी मॉडल की चर्चा विदेशों तक है। इसमें विगत चार वर्षों की अभूतपूर्व उपलब्धियां शामिल है। उत्तर प्रदेश की ही पिछली कई सरकारों का समस्त कार्यकाल इसकी बराबरी में नहीं है।
पश्चिम बंगाल व केरल के चुनाव में भी यह मुद्दा बना है। दोनों ही प्रदेशों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जनसभाओं और रोड शो में भारी भीड़ उमड़ रही है। इसका कारण है कि योगी आदित्यनाथ केंद्र व अपनी सरकार की उपलब्धियां बता रहे है।
यूपीए सहित विपक्ष की प्रदेश सरकारें इस मामले में बहुत पीछे छूट गई है। इसके साथ ही योगी आदित्यनाथ राष्ट्रीय संस्कृति की सन्देश देते है। वह श्री राम मंदिर निर्मांण का उल्लेख करते है,पूरा सभा स्थल जय श्री राम के उद्घोष से गूंज जाता है। वस्तुतः योगी आदित्यनाथ ने केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं का सफलता के साथ क्रियान्वयन किया।
गरीबों व किसानों तक शत प्रतिशत राहत पहुंचाई गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यही सपना रहा है। योगी आदित्यनाथ इसको साकार कर रहे है। योगी ने चुनावी भाषणों में यूपी के विकास मॉडल की चर्चा करते है।
यहां माफियाओं और अपराधियों पर नकेल कसी गई। हजारों करोड़ रुपये की उनकी अवैध सम्पत्ति जब्त की गई। दूसरी तरफ बंगाल में बदह़ाली है। कांग्रेस कम्युनिस्ट और तृणमूल कांग्रेस की राजनीति व शासन में मूलभूत अंतर नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ममता बनर्जी सरकार पर प्रहार करते है। नरेंद्र मोदी की मंशा के अनुरूप योगी आदित्यनाथ ने जो सुधार किए,ममता बनर्जी राजनीतिक कारणों से उसका विरोध करती है। इसका नुकसान बंगाल के लोगों को उठाना पड़ा। नरेंद्र मोदी ने कहा कि कट मनी,बिचौलियों को खत्म करने का सशक्त माध्यम है डिजिटल इंडिया।
इससे टीएमसी को नफरत है। टीएमसी यहां हर योजना का लाभ अपने कैडर को ही देती है। जबकि केंद्र की भाजपा सरकार की जो भी योजना है, उसमें पैसा सीधे बैंक खाते में जाता है।गरीब से गरीब व्यक्ति को इलाज पर कम से कम खर्च करना पड़े, इसके लिए हरसंभव कोशिश केंद्र सरकार कर रही है। जन औषधि केंद्र के माध्यम से दवाई सस्ती की गयी है। पश्चिम बंगाल के लोग इन लाभों से वंचित है।