काफी लोग कोरोना वायरस की वजह से घबराये हुए हैं और भ्रमित हैं कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं! मेरे अनुसार इस समय में अगर हम कुछ कर सकें तो, वो दो चीज़ें हैं – “एक तो किसी को यह बीमारी देना मत और किसी से यह बीमारी लेना मत।“ बस! ना दो, ना लो। यह कैसे संभव होगा! यह तभी संभव होगा “जब आप दूसरे लोगों के पास नहीं जायेंगे और दूसरे लोग आपके पास नहीं आएंगे। आइसोलेशन (एकांत) में रहेंगे, हाथ धोयेंगे और स्वच्छ रहेंगे। घबराने की कोई बात नहीं है, क्योंकि घबराने से कोई चीज़ हासिल नहीं होती है। यह घबराने का समय नहीं है, बल्कि सब्र रखने का है। जो अंदर से आपकी ताक़त है, जिसे हिम्मत कहते है, उससे काम लेने की ज़रुरत है। घबराने से कुछ नहीं होगा। बस आपको सावधानियां बरतनी है ताकि यह बीमारी आप तक ना पहुंचे।
हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अंदर वह ताक़त है, जिससे कि आप इन परिस्थितियों में, इस समय को अच्छे तरीके से आनंद से गुज़ार सकते हैं। परिस्थिति ठीक नहीं है, बहुत कुछ हो रहा है, फिर भी हृदय को तो आनंद चाहिए और वह आनंद बाहर से नहीं आएगा, वह आपके अंदर है। इसके लिए हमें अपने आपको जानना होगा, अपने आपको समझना होगा।
अपने आपको इन परिस्थितियों के कारण यह कहना कि मेरा यह दुर्भाग्य है, यह अच्छी बात नहीं है। यह स्वांस, जो आपके अंदर आ रहा है, जा रहा है, यह परमेश्वर का आशीर्वाद है, क्योंकि जब आप पैदा हुए, तब सबसे बड़ी बात यही थी कि आप स्वांस ले रहे है या नहीं। डर से कुछ नहीं होगा। सब्र करें, यह समय भी जायेगा। यह सब्र करने का मौका है, सीखने का मौका है। यह धीरज से, हिम्मत से काम लेने का समय है। इसलिए जीते जी आनंद में अपना जीवन बितायें। अपने परिवार के साथ मिल-जुलकर यह समय बितायें।
प्रेम रावत मानवता एवं शांति के विषय पर चर्चा करने वाले अन्तर्राष्ट्रीय वक्ता हैं। उन्हें इस कार्य के लिए कई संस्थानों द्वारा शान्तिदूत की उपाधि भी प्रदान की गई है। अपने संदेश की चर्चा के अलावा, वे एक परोपकारी संस्था ‘‘द प्रेम रावत फाउंडेशन‘‘ का भी संचालन करते हैं। इस संस्था के अनेक योजनाओं में से एक है – ‘‘जनभोजन योजना’’ जिसके तहत जरूरतमंद लोगों एवं बच्चों को रोजाना पोषक भोजन एवं साफ पीने का पानी उपलब्ध कराया जाता है।