लखनऊ। तम्बाकू सेवन से केवल फेफड़ों को ही नुकसान नही होता है बल्कि हृदय के रोग, सांस की दिक्कत, दिमागी समस्याएं, कैंसर और स्मोकिंग से निकलने वाले धुएं से पूरा परिवार प्रभावित होता है। इसलिए तंबाकू के नुकसान को ध्यान में रखकर तत्काल प्रभाव से, तंबाकू की आदत को त्यागने का संकल्प ले। यह बात केजीएमयू में पूर्व कुलपति और रेडियोथेरेपी विभागाध्यक्ष प्रो.एमएलबी भटट् ने विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में कही।
रेडियोथेरेपी और एंडोक्राइन सर्जरी विभाग द्वारा सोमवार को आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में प्रो. भट्ट ने कहा कि तम्बाकू जनित रोगों से बचना है तो इसे छोड़ने के लिए दिन निर्धारित न करें, बल्कि तुरंत से प्रयास शुरु कर दें। इंडोक्राइन विभागाध्यक्ष प्रो. आनंद मिश्रा ने बताया कि तंबाकू से होने वाली बीमारियां परिवार की आर्थिक स्थिति दयनीय बना देती हैं। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। कार्यक्रम संचालक रेडियोलॉजी के डॉ.सुधीर सिंह ने कहा कि तंबाकू छुड़वाने की पहल खुद करें। कार्यक्रम में डॉ. अभिषेक, डॉ.जागृति, रचना, दानिश, ऋतु और नेहा की मौजूदगी सराहनीय रही।
तंबाकू छोंड़ने से धड़कन सामान्य और फेफड़ों की कार्य क्षमता बढ़ती है
कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. बिपिन पुरी ने कहा तम्बाकू के सेवन से न केवल हम अपने आप को कठिनाई में डालते है बल्कि अपने परिवार को भी कठिनाई में डालते है। इसे त्यागने के लिए मजबूत इच्छा शक्ति की आवश्यकता रखनी होगी। इसके दुषपरिणामो से लोगो को जागरूक करना होगा तभी हमारा भारत स्वस्थ भारत, स्वच्छ भारत एवं सुनहरा भारत बन सकेगा।
केजीएमयू पैरामेडिकल साइंसेस के डीन एवं कार्यक्रम आयोजक डॉ.विनोद जैन ने कहा कि धूम्रपान छोड़ते ही 20 मिनट में ही ह्रदय गति सामान्य हो जाती है, 12 घंटे के भीतर रक्त में कार्बन का स्तर कम हो जाता है। 2-12 सप्ताह के बीच परिसंचरण में सुधार होता है एवं फेफड़ो की कार्य शक्ति बढ़ जाती है। 1-9 महीने के भीतर खांसी व सांस लेने की तकलीफ कम हो जाती है । 5-15 वर्षों के भी भीतर स्ट्रोक का जोखिम घट जाता है व ह्रदय रोग का जोखिम भी आधा रह जाता है। कार्यक्रम में डॉ.रमाकांत, पदमश्री डॉ.एसएस सरकार, प्रो. अनित परिहार, प्रो. अतिन सिंघई व संचालक सोनिया शुक्ल समेत कई विशेषज्ञ व 300 लोग शामिल रहें।