देश में कोरोना के मामलों में लगातार गिरावट जारी है। मई में जहां रोजाना 4 लाख के आसपास नए केस आ रहे थे, तो वहीं अब यह संख्या घटकर एक लाख के आसपास पहुंच गई है। ऐसे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना के इलाज के लिए संशोधित गाइडलाइंस जारी की हैं। इसके तहत एंटीपाइरेटिक और एंटीट्यूसिव को छोड़कर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन, आइवरमेक्टिन, डॉक्सीसाइक्लिन समेत कई दवाओं को हटा दिया है।
केंद्र सरकार की ओर से जारी नई गाइडलाइंस के मुताबिक, जिन मरीजों में कोरोना संक्रमण के लक्षण नजर नहीं आते या हल्के लक्षण हैं, उन्हें किसी तरह की दवाइयां लेने की जरूरत नहीं है। हालांकि, दूसरी बीमारियों की जो दवाएं चल रही हैं, उन्हें जारी रखना चाहिए। ऐसे मरीजों को टेली कंसल्टेशन (वीडियो के जरिए उपचार) लेना चाहिए। अच्छी डाइट लेनी चाहिए। साथ ही मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग जैसे जरूरी नियमों का पालन करना चाहिए।
कब ले सकते हैं कौन सी दवा
हल्के मामलों में बुखार, सांस फूलने, ऑक्सीजन लेवल या किसी भी लक्षण पर खुद निगरानी रखने की सलाह दी गई है। नई सरकारी गाइडलाइंस के मुताबिक, कोरोना के लक्षण दिखने पर लोग एंटीपायरेटिक और एंटीट्यूसिव दवाएं ले सकते हैं, वहीं खांसी के लिए 5 दिनों तक दिन में दो बार 800 एमसीजी की डोज पर बुडेसोनाइड ले सकते हैं। इन सब के अलावा किसी और दवा की जरूरत नहीं है। अगर लक्षण बने रहते हैं या और बिगड़ते हैं, तो मरीज की तुरंत जांच की जानी चाहिए।
जरूरी न होने पर न करवाएं सीटी स्कैन
सरकार की नई गाइडलाइंस में डॉक्टरों से कहा गया है कि वे जरूरी न होने के मरीज को सीटी स्कैन कराने की राय भी न दें। मालूम हो कि कई रिपोर्ट्स में ये बताया गया है कि सीटी स्कैन मशीन से निकलने वाले रेडिएशन काफी नुकसानदायक होते हैं, जो कैंसर का खतरा बढ़ा देते हैं। वहीं, मास्क, हाथों की स्वच्छता और फिजिकल डिस्टेंस के पालन करने के महत्व पर जोर देते हुए मरीजों को बॉडी हाइड्रेशन के साथ स्वस्थ और संतुलित खानपान की सलाह दी गई है। इसी के साथ, मरीजों और उनके परिवारों को फोन, वीडियो-कॉल आदि के जरिए जुड़े रहने और पॉजिटिव बातचीत करने के लिए भी कहा गया है।