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चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से… राकेसवा अपने बाप महेन्द्र केर नाव डुबोय रहा हय

नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान

ककुवा ने किसान आंदोलन के नाम पर हो रही राजनीति की चर्चा करते हुए कहा- सगरे देस कय किसान अपनी खेती मा बाझा हय। कोऊ का सांस लेय क फुर्सत नाइ हय। ई कहाँ क किसान आयँ, जाउनु दिल्ली बार्डर पय कयू महीना ते बैइठ हयँ। किसानी का पंजाब, हरियाणा अउ पच्छमी यूपी मा ही होत हय? किसानन केरे नाम पय विपक्षी अपन राजनीतिक रोटी सेंकि रहे।

विपक्षी संसद मा हंगामा कय रहे। राहुल बाबा संसद केरे बाहर टेक्टर अउ सइकिल चलाय रहे। अब किसान आंदोलन केरी नौटंकी दिल्ली ते नखलऊ (लखनऊ) आय रही। इहिते साफ होय रहा कि किसान आंदोलन केरे नाम पय निखालिस राजनीति कीन जाय रही।

चतुरी चाचा आज अपने प्रपंच चबूतरे पर बड़े इत्मिनान से पालथी मारे बैठे थे। पुरई उनके लिए हुक्का तैयार कर रहे थे। भोर में सावन की रिमझिम होने के बाद मौसम बड़ा खुशगवार था। चबूतरे के समीप पड़े झूले पर बच्चे झूल रहे थे। ककुवा, मुंशीजी, कासिम चचा व बड़के दद्दा चबूतरे पर विराजमान थे। मेरे चबूतरे पर पहुंचते ही पीछे से चकपुरवा के भन्नू महाराज भी पधार गए। ककुवा आज किसान आंदोलन को लेकर बड़े उद्देलित थे। उन्होंने किसान आंदोलन पर कई सवाल खड़े कर दिए।

ककुवा ने कहा- राकेसवा अपने बाप महेन्द्र टिकैत केर नाव डुबोय रहा हय। राकेस का विपक्षी अपन मोहरा बनाय लिहिन हय। विपक्षी यहिका दिल्ली ते पच्छिम बंगाल लइगे रहयँ। अब यहिका यूपी मा इस्तेमाल करिहैं। राकेस अब नखलऊ म डेरा डराय जाय रहा।

चतुरी चाचा

चतुरी चाचा ने ककुवा की बातों का समर्थन करते हुए कहा- ककुवा भाई, तुमरी बात मा बड़ी दम हय। युहु सारा खेलु कांग्रेस कय रही हय। मोदी सरकार नए कृषि कानून लाई हय। देस भर मा तीनों कानूनन का स्वागत भवा रहय। सब जने नए कृषि कानूनन का लाभकारी बताईन। मुला, कांग्रेस अउ अन्य विपक्षी दलन का ई कानून हजम न भये। विपक्षी पंजाब, हरियाणा अउ पच्छमी यूपी केरे कुछ किसान संगठन का जोड़य कय धरना-प्रदर्शन कराय रहे। नए कृषि कानूनन केरी आड़ मा भाजपा अउ मोदी क्यारु विरोध कीन जाय रहा। देस का किसान ई बात का जानि चुका हय। लखनऊ मा धरना देय केरी बाति ते सारा पोल खुलि गवा। मुला, लखनऊ मा योगी बाबा बैइठ हयँ। हिंया राकेश टिकैत केरी हुलिया बैरंग होय जाई।

मुंशीजी ने कहा- आजकल की राजनीति में जन सामान्य के मुद्दों पर बात होती ही नहीं है। कुर्सी के मामले में सभी राजनैतिक दल एक जैसे हैं। चुनाव जीतने के लिए कभी जाति-धर्म के आधार पर लोगों को बांटते हैं। कभी क्षेत्र-भाषा के नाम पर मतदाताओं को खेमे में बांट देते हैं। अब देखो न, यूपी में विधानसभा चुनाव की आहट सुनते ही सपा व बसपा ब्राह्मण सम्मेलन करने लगी हैं। भाजपा पहले ही रामधुन सुना रही है। कॉंग्रेस के नेता भी चुनाव के वक्त मन्दिरों में पूजा-पाठ करने लगते हैं। कोई दल महंगाई, बेरोजगारी, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे मूलभूत मुद्दों की बात नहीं करता है। सबकी अंग्रेजों वाली पॉलिसी ‘जनता को बांटों और राज करो’ है। हम मतदाता खुद ही जागरूक नहीं हो रहे हैं। हम लोग राजनीतिज्ञों के मकड़जाल में हर बार उलझ जाते हैं।

इस पर भन्नू महाराज बोले- आखिर राजनैतिक दल ब्राह्मणों को क्या समझ रहे हैं? क्या हम ब्राह्मण मतदाता अनपढ़ जाहिल हैं? यह सिर्फ और सिर्फ ख्याली पुलाव है कि ब्राह्मण किसी एक पार्टी के पक्ष में शत-प्रतिशत मतदान कर देगा। ब्राह्मणों को रिझाने से यूपी में सरकार बन जाएगी। ब्राह्मण मतदाता सपा हो, या बसपा, या फिर कॉंग्रेस सबको देख चुके हैं। भाजपा से भी ब्राह्मणों का पुराना रिश्ता है। ब्राह्मण सिर्फ अपने हित में मतदान कभी नहीं करता है। हमारा समाज जागरूक है। हम लोग हमेशा राष्ट्र और समाज हित में मतदान करते हैं। ब्राह्मण सम्मेलन से ब्राह्मण एकजुट होने से रहे। ब्राह्मणों को अपने पाले में करने का मुगलाता पालने वाले दलों को यह भी सोचना होगा कि क्या ब्राह्मण ही उन्हें राजगद्दी पर बैठा देगा? इसी बीच चंदू बिटिया जलपान की ट्रे लेकर आ गयी। हम सबने कटहल की कुरकुरी पकौड़ियाँ ख़ाकर पानी पीया। फिर कुल्हड़ वाली स्पेशल चाय के साथ प्रपंच आगे बढ़ा।

चतुरी चाचा

कासिम चचा ने विषय परिवर्तन करते हुए कहा- कुछ राज्यों में कोरोना के मरीज फिर बढ़ने लगे हैं। देश में अभी आवश्यकता के अनुरूप वैक्सीन उपलब्ध नहीं हो पा रही है। डेल्टा प्लस वैरियंट का खतरा मंडरा रहा है। उधर, ब्रिटेन में टीकाकरण करवा चुके लोगों को भी डेल्टा प्लस कोरोना हो रहा है। ऐसे में हम लोगों को अधिक सावधान रहना चाहिए। दो गज की दूरी और मॉस्क ही सबको सुरक्षित रख सकता है। अगर हम लोग लापरवाह रहे तो कोरोना की तीसरी लहर आ ही जाएगी। हमें यह सोचना चाहिए कि कोरोना महामारी के चलते देश में कितनी ताबाही हो चुकी है। कोरोना की दो लहरों में कितनी जानें जा चुकी हैं। भारत में कितनी महंगाई और बेरोजगारी आ गयी है।

बड़के दद्दा ने कासिम चचा की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा- दो साल से स्कूल/कॉलेज बन्द हैं। बच्चों की पढ़ाई और खेलकूद सब प्रभावित चल रहा है। बिना परीक्षा दिए बच्चे अगली कक्षा में पहुंच रहे हैं। यह स्थिति ठीक नहीं है। पिछले दो सत्रों से बच्चों की आन लाइन क्लॉस चल रही हैं। अब बच्चे मोबाइल फोन के आदी होते जा रहे हैं। बच्चों की आंखों को नुकसान हो रहा है। वहीं, तमाम बच्चे मोबाइल फोन के चलते बिगड़ रहे हैं। वे आन लाइन पढ़ाई के बाद फोन में आपत्तिजनक चीजें देखते हैं। सच पूछिए तो अब स्कूल खुलने की स्थिति बनना बहुत जरूरी है।

हमने सबको कोरोना का अपडेट देते हुए बताया- विश्व में अबतक 20 करोड़ 24 लाख से अधिक लोगों को कोरोना हो चुका है। इनमें से करीब 43 लाख लोगों की जान जा चुकी है। कई देशों में कोरोना का डेल्टा प्लस वैरियंट कहर बरपा रहा है। इसी तरह भारत में अबतक तीन करोड़ 18 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से चार लाख 27 हजार से अधिक लोगों को बचाया नहीं जा सका। विश्व के अन्य देशों की भांति भारत में भी कोरोना की वैक्सीन लगाई जा रही है। अबतक 50 करोड़ से ज्यादा लोगों को टीका लगाया जा चुका है।

केंद्र सरकार दिसम्बर, 2021 तक 18 वर्ष आयु से ऊपर वाले सभी नागरिकों को वैक्सीन देना चाह रही है। परन्तु, मांग के अनुरूप देसी टीके का उत्पादन नहीं हो पा रहा है। ऐसे में विदेशी वैक्सीन उपलब्ध करवाने की प्रक्रिया चल रही है। बच्चों की वैक्सीन पर भी परीक्षण हो रहा है। अंत में सभी प्रपंचियों ने भारतीय राष्ट्रगान के रचयिता एवं नोबल पुरस्कार से सम्मानित गुरुवर रविन्द्र नाथ टैगोर को उनकी जयंती पर याद किया। टोक्यो ओलंपिक, पेगासस जासूसी कांड, राम मंदिर निर्माण और महाराष्ट्र, बिहार, उत्तराखंड, उप्र सहित अन्य राज्यों की बाढ़ विभीषिका पर भी चर्चा की गई। इसी के साथ आज का प्रपंच समाप्त हो गया। मैं अगले रविवार को चतुरी चाचा के चबूतरे पर होने वाली बेबाक बतकही को लेकर फिर हाजिर रहूँगा। तबतक के लिए पँचव राम-राम!

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