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छात्रों ने दी अपने ही देश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने की प्राथमिकता

लखनऊ। हाल में किये गए एक सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 11वीं और 12वीं कक्षा के 3000 छात्रों में से करीब 68 प्रतिशत छात्रों ने कहा कि उन्होंने अपने देश में ही उच्च शिक्षा प्राप्त करने को प्राथमिकता दी है। यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में 24 प्रतिशत अधिक है। ‘स्टूडेंट क्वेस्ट सर्वे रिपोर्ट’ शीर्षक वाले सर्वेक्षण में भारत और दक्षिण एशिया के 2,000 स्कूलों के नौवीं से 12वीं कक्षा के 6,600 से अधिक छात्रों ने जवाब दिया। कुल मिलाकर इस साल कुल छात्रों में से 25 फीसदी उच्च अध्ययन के लिए विदेश जाने की योजना बना रहे हैं, जो पिछले साल की तुलना में चार फीसदी कम है।

यह सर्वेक्षण शिव नादर विश्वविद्यालय, नोएडा और एक स्वंयसेवी संगठन इंटरनेशनल करियर एंड कॉलेज काउंसलिंग (आईसी3) संस्थान द्वारा किया गया था। यह संगठन हाई स्कूल प्रशासकों, शिक्षकों और परामर्शदाताओं के लिए मार्गदर्शन और प्रशिक्षण संसाधनों के माध्यम से दुनिया भर के उच्च विद्यालयों को सहायता प्रदान करता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि नौवीं और 10वीं कक्षा के छात्रों में से 49 प्रतिशत ने अपने देश में पढ़ाई करने को तरजीह दी जबकि 24 प्रतिशत ने अभी कोई निर्णय नहीं लिया।सर्वेक्षण के अनुसार, छात्र हाई स्कूल में ही अपने करियर और संबंधित नौकरी की संभावनाओं के बारे में सोचना शुरू कर देते हैं।

सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘71 प्रतिशत छात्रों ने पहले ही अपने भविष्य के रोजगार के बारे में सोचना शुरू कर दिया है। विश्वविद्यालय को चुनने में शीर्ष तीन कारकों में संस्थान का प्लेसमेंट रिकॉर्ड, रैंकिंग और कार्यक्रम डिजाइन शामिल हैं. चौथे स्थान पर फीस थी, उसके बाद संकाय सदस्यों की गुणवत्ता रही।’’ सर्वेक्षण के अनुसार 83 प्रतिशत छात्र दूसरे देश में पढ़ाई करने का सबसे बड़ा कारण ‘‘शिक्षा की गुणवत्ता’’ को मानते हैं।

          दया शंकर चौधरी

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