तीन दिवसीय 8वें राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव का आगाज
लखनऊ। रंगमंच के क्षेत्र में अग्रणी नाट्य संस्था आकांक्षा थिएटर आर्टस के तत्वावधान और भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय, संस्कृति विभाग नई दिल्ली के सहयोग से भृगुदत्त तिवारी प्रेक्षागृह डीएवी पी जी कालेज लखनऊ में मंगलवार से आरम्भ हुए त्रि दिवसीय आठवें राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव-21 में मंचित तीन नाटकों ने राजनेताओं की कार्यशैली पर करारा व्यंग्य किया।
तीन दिवसीय 8वें राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव का आगाज मुख्य अतिथि मनमोहन तिवारी प्रबंधक डीएवी पीजी कालेज और अंजनी कुमार मिश्र ने दीप प्रज्वलित कर किया। नाट्य महोत्सव की शुरुआत आकांक्षा थिएटर आर्ट्स की प्रस्तुति के तहत पी.वी.अमन द्वारा लिखित एवं प्रभात कुमार बोस द्वारा निर्देशित नाटक “खेत कितना बड़ा होता है” से हुई।
अध जल गगरी छलकत जाए जैसी कहावत को चरितार्थ करते नाटक “खेत कितना बड़ा होता है” ने जहां एक ओर बताया की आधी अधूर जानकारी से अहित हो सकता है, वहीं दूसरी ओर राजनेता की कार्यशैली पर करारा व्यंग्य किया। सशक्त कथानक से परिपूर्ण नाटक “खेत कितना बड़ा होता है” में ऋषभ तिवारी, मोहित यादव, सौरभ सिंह, सचिन कुमार और संदीप कुमार ने अपने दमदार अभिनय से दर्शकों को देर तक अपने आकर्षण के जाल मे बांधे रखा।
राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव की दूसरी प्रस्तुति के रूप में देवसु थिएटर आर्ट्स सोसाइटी ने पी.वी.अमन द्वारा लिखित एवं अशोक लाल द्वारा निर्देशित नाटक ” तमाशा” का मंचन किया। राजनेता के खोखले दावों और वायदों पर प्रहार करते नाटक तमाशा ने उनके दिखावे की राजनीति और सत्तासुख की संलिप्तता पर तीखा व्यंग्य किया। उत्कृष्ट संवादों और कुशल अभिनय से परिपूर्ण नाटक ” तमाशा ” मे अशोक लाल और मोहित यादव ने अपने सशक्त अभिनय की छाप दर्शकों पर छोड़ी।
8वे राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव की आज की तीसरी प्रस्तुति के रूप में स्वर्ण संगीत एवं नाट्य समिति ने पी.वी.अमन के लिखे और तरुण मुखर्जी के निर्देशन मे नाटक “कुर्सी से विवाह” का मंचन किया। सशक्त कथानक से परिपूर्ण नाटक “कुर्सी से विवाह” ने बताया कि नेताओं को कुर्सी से कितना लगाव होता है जिसके लिए वह किसी भी हद तक जा सकते हैं। चाहे उसके लिए उन्हें तन्त्र-मन्त्र का सहारा भी लेना पड़े, वह उसमे भी नही हिचकते। व्यंग्यात्मक शैली में अभिनीत इस प्रस्तुति मे सौरभ सिंह, मोहित यादव और संदीप कुमार ने अपने कुशल अभिनय क्षमता का परिचय दिया।