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प्रदेश को टीबी मुक्त बनाने में केजीएमयू निभाएगा बड़ी जिम्मेदारी

लखनऊ। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अंर्तगत स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार की एडिशनल हेल्थ सेक्रेटरी एण्ड डी.जी. ट्यूबरकुलोसिस, आरती आहूजा, ज्वाइंट डायरेक्टर डा. रघुराम राव एवं केजीएमयू के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल (डा.) बिपिन पुरी के साथ बैठक हुई।

बैठक में आरती आहूजा ने उत्तर प्रदेश के सभी 61 मेडिकल कॉलेजों से उन्हें अपने-अपने जिले को टी.बी. मुक्त करने की अपील की । डा. रघुराम राव ने केजीएमयू के कुलपति को टी.बी. उन्मूलन में सहयोग करने के लिए विशेष आभार प्रकट किया। केजीएमयू के कुलपति ने टी.बी. उन्मूलन के लिए पूर्ण सहयोग करने का आश्वासन दिया। इसमें रेस्पिरेटरी मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डा. सूर्यकान्त ने टीबी उन्मूलन में विभाग द्वारा किये जा रहे विभिन्न कार्यों जैसे- गाँव अर्जुन पुर व मलिन बस्ती ऐशबाग एवं टी.बी. रोग से पीड़ित 52 बच्चों को गोद लेना, विभिन्न माध्यमों से टी.बी. के प्रति लोगों को जागरूक करना आदि से अवगत कराया । बैठक में निर्णय लिया गया कि कुलपति के मार्गदर्शन में डा. सूर्यकान्त पूरे प्रदेश को टीबी मुक्त बनाने में अपना योगदान देंगें।

डा. सूर्यकान्त जो यूपी स्टेट टास्क फोर्स (क्षय उन्मूलन) के चेयरमैन भी हैं ने कहा कि हम प्रदेश के सभी 75 जिलों के क्षय उन्मूलन कार्यकर्ताओ को प्रशिक्षण देंगें जिससे कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के टीबी मुक्त भारत के सपने को साकार कर सकें। प्रोफेसर सूर्यकांत ने बताया कि जब टी.बी. रोग से ग्रसित व्यक्ति खांसता, छींकता या बोलता है तो उसके साथ संक्रामक न्यूक्लीआई उत्पन्न होता है, जो हवा के माध्यम से फैल सकता है। विश्व में टी.बी. का हर चौथा मरीज भारतीय है।

विश्व में प्रतिवर्ष 14 लाख मौत टी.बी. से होती हैं, उनमें से एक चौथाई से अधिक मौतें अकेले भारत में होती हैं। भारत विश्व का टी.बी. रोग से सर्वाधिक प्रभावित देश है। हमारे देश में लगभग 1000 लोगों की मृत्यु प्रतिदिन टी.बी रोग के कारण होती है। उन्होनें आगे बताया कि लगातार दो हफ्ते तक खांसी आना, खांसी के साथ साथ खून का आना, छाती में दर्द होना, वजन कम होना, शाम को बुखार का आना, रात में पसीना होना जैसे लक्षण होने पर मरीज को तुरन्त टी.बी. की जांच करानी चाहिए। टी.बी. रोग की जांच एवं उपचार सभी सरकारी अस्पतालों में मुफ्त उपलब्ध है। प्रधानमंत्री ने वर्ष 2025 तक टी.बी. मुक्त भारत बनाने का सपना देखा है।

टी.बी. के इलाज में पिछले कुछ वर्षों से बहुत प्रगति हुई है, पहले बड़ी टी.बी. या एम.डी.आर. टी.बी. के इलाज में दो साल तक का समय लग जाता था, परन्तु अब नई दवाओं के आने से एक साल से कम समय में मरीज का इलाज हो जाता है। पिछले कुछ वर्षों में एम.डी.आर. टी.बी. के रोगियों को सुई लगने वाले इलाज से मुक्ति मिली है, अब इनका इलाज खाने की गोलियों से हो जाता है। इस अवसर पर डा. सूर्यकान्त ने स्वलिखित पुस्तक “क्षय रोग; प्रश्न आपके उत्तर हमारे” आरती आहूजा को भेंट किया।

आरती आहूजा ने कहा कि इस पुस्तक को पढ़ने से लोगों में टी.बी. के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। राज्य क्षय रोग अधिकारी डा. संतोष गुप्ता, जिला क्षय रोग अधिकारी डा. ए.के. चौधरी, डब्लूएचओ कंसलटेन्ट- डा. प्रदीप कुमार, डा. श्रृष्टि, डा. अपर्णा, केजीएमयू के माईक्रोबायोलोजी की विभागाध्यक्ष डा. अमिता जैन एवं केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग, माइक्रोबायोलोजी विभाग, पीडियाट्रिक विभाग  के फैकल्टी सदस्य उपस्थित रहे।

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