Gujarat दंगे के बाद नरोदा पाटिया केस में वर्ष 2002 में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी। इसके साथ 33 लोग घायल हुए थे। जिस पर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है। जिसमें बाबू बजरंगी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई और विधायक माया कोडनानी को कोर्ट ने बरी कर दिया है। माया कोडनानी के खिलाफ घटना स्थल पर शामिल होने के सबूत नहीं मिले हैं। जिसके आधार पर कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया।
Gujarat, हाईकोर्ट ने सबूतों के आधार पर सुनाया फैसला
इस केस में प्रेमचंद तीवारी नरसंहार के दोषी करार पाए गए। कोर्ट ने बाबू बजरंगी, सुरेश छारा और प्रकाश कोराणी के खिलाफ साक्ष्य के आधार पर षड्यंत्रकारी मानते हुए सजा सुनाई। जबकि हाईकोर्ट में माया कोडनानी के खिलाफ 11 गवाहों में से किसी ने भी उनकी घटना स्थल पर उपस्थित साबित नहीं किया। जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया। जबकि अन्य को सजा सुनाई। इसके साथ हाईकोर्ट ने गणपत छारा को निर्दोष करार दिया है। मनु भाई केशा भाई के खिलाफ 8 गवाहों में से एक भी गवाह उनके मामले में शामिल होने की बात साबित नहीं कर सका। जिससे मनु भाई केशा और बाबू मारवाड़ी को शक का फायदा देते हुए हाईकोर्ट ने निर्दोष करार दिया।
- जबकि नवाब कालू भाई 5 गवाहों में से 5 ने उनकी उपस्थिति को सही ठहराया और सुरेश मराठी को 22 गवाहों में से 4 ने उपस्थित बताया गया।
- इसके साथ प्रकाश राठौर के खिलाफ कोई गवाही नहीं दी गई।
दोषियों ने हाईकोर्ट में दी थी चुनौती
इस केस में हाईकोर्ट के दो जजों की बेंच ने पिछले साल अगस्त में फैसला सुरक्षित रख लिया था। दरअसल, इस केस में एसआईटी स्पेशल कोर्ट ने बीजेपी विधायक माया कोडनानी और बाबू बजरंगी समेत 32 को दोषी ठहराया था। इनमें से कोडनानी को 28 साल की कैद और बाबू बजरंगी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। बाकी सात दोषियों को 21 साल की जेल और अन्य को 14 साल की सजा सुनाई गई थी। वहीं सबूतों के अभाव में 29 अन्य आरोपी बरी हो गए थे। निचली अदालत में दोषी करार दिए जाने के बाद दोषियों ने फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (SIT) ने 29 लोगों को बरी किए जाने के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
- इस केस में हाईकोर्ट के जस्टिस हर्षा देवानी और जस्टिस एएस सुपेहिया की बेंच ने मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद पिछले वर्ष अगस्त में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।