लखनऊ। भारत पाकिस्तान युद्ध 1971 के स्वर्णिम विजय वर्ष की स्मृति में, स्वर्णिम विजय मशाल ने शनिवार को अपने कार्यक्रम के हिस्से के रूप में लखनऊ का दौरा किया। कार्यक्रम का आयोजन लखनऊ विश्वविद्यालय में 64 यूपी एनसीसी बटालियन और विश्वविद्यालय के साथ और 71 इन्फैंट्री ब्रिगेड के 1/11 जीआर बटालियन द्वारा किया गया।
इस अवसर पर 64 यूपी एनसीसी बटालियन के कैडेटों द्वारा विजय मशाल के आगमन पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया । हमारे युद्ध नायकों के सम्मान में श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए दो मिनट का मौन रखा गया। इस दौरान ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) एके सिन्हा और उनकी पत्नी मिसेज सिन्हा, मुख्यालय मध्य कमान के ब्रिगेडियर एसडी वैद, कर्नल गौरव कार्की (सीओ 64 यूपी बटालियन) और विश्वविद्यालय के वीसी द्वारा की गई थी।
64 यूपी एनसीसी बटालियन के दो कैडेटों ने 1971 के युद्ध, स्वर्णिम विजय वर्ष और विजय मशाल के संचालन के बारे में जानकारी दी। एएमसी के ब्रिगेडियर एके सिन्हा (सेवानिवृत्त), 1971 के युद्ध के एक अनुभवी, सम्मानित अतिथि थे और उन्होंने 14 राजपूत रेजिमेंट के आरएमओ के रूप में सेवा करते हुए पश्चिमी क्षेत्र के एक ऑपरेशन में 7/8 दिसंबर 1971 की रात में ‘हताहतों की निकासी’ के संचालन की अपनी यादों को ताजा किया। उनके साथ उनकी पत्नी कर्नल डॉ.निर्मल सिन्हा (सेवानिवृत्त) भी थीं।
लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। उन्होंने देश के लिए उनके योगदान के लिए अपनी प्रशंसा व्यक्त की और सैनिकों को सलाम किया। उन्होंने विश्वविद्यालय के सभी एनसीसी कैडेटों के अनुशासन की भी सराहना की और अपनी गहरी इच्छा व्यक्त की कि सभी छात्र एनसीसी की ट्रेनिंग अवश्य लें। 64 यूपी एनसीसी बटालियन के कैडेटों और अमीरुद्दौला इस्लामिया कॉलेज के छात्रों द्वारा कविता, एकल और समूह गीतों के पाठ सहित सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए।
कार्यक्रम का समापन 1/11 जीआर बटालियन के पाइप बैंड के साथ सभी उपस्थित लोगों द्वारा राष्ट्रीय गान के गायन के साथ हुआ। 1/11 जीआर ने हथियारों के प्रदर्शन के स्टाल लगाए थे। एआरओ लखनऊ ने सेना में भर्ती होने की जानकारी देने के लिए अपना स्टॉल लगाया था। 3 यूपी नौसेना इकाई लखनऊ ने भी जहाज मॉडल के साथ अपना काउंटर स्थापित किया था।
लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रों की अधिक संख्या के साथ-साथ एनसीसी की सभी शाखाओं अर्थात सेना, नौसेना और वायु सेना के कैडेट बड़ी संख्या में मौजूद थे। कार्यक्रम समापन के बाद पूरे सैन्य सम्मान के साथ सभी आगंतुकों ने विजय मशाल को विदा किया।