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ब्रह्मसागर महासंघ की पहल: एक अनूठा ऋषिकुल वैदिक विश्व विद्यालय बनाने पर बनी सहमति

लखनऊ। ब्रह्मसागर महासंघ के संरक्षक पूर्व वरिष्ठ अन्तरिक्ष वैज्ञानिक आदरेय डॉ. ओम प्रकाश पाण्डेय के लखनऊ शुभागमन पर उत्तर प्रदेश सहकारी आवास संघ (निकट सचिवालय एनेक्सी) के सभागार में राष्ट्र निर्माण के लिए सनातन संस्कृति एवं वैदिक मूल्यों की पुनर्स्थापन हेतु नैमिष तीर्थ क्षेत्र में एक नालंदा या तक्षशिला विश्वविद्यालय की तर्ज पर एक ऋषिकुल वैदिक विश्वविद्यालय की स्थापना के संकल्प को लेकर देश के कोने कोने से पधारे प्रबुद्ध जनों ने एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया । इस विषय पर एक कांसेप्ट पेपर भी प्रस्तुत किया गया। संगोष्ठी का संचालन पंडित राजेन्द्र शुक्ल ने किया। ब्रह्मसागर महासंघ के अध्यक्ष कैप्टन संतोष कुमार द्विवेदी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि आप प्रबुद्धजनों के एक साथ एकमत होकर ज्ञान के प्रकाश द्वारा राष्ट्र के गौरवशाली सनातन परंपरा और विरासत के पुनर्स्थापन हेतु प्रयास सराहनीय हैं।

राष्ट्र निर्माण हेतु ब्रह्मसागर महासंघ द्वारा संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर बोलते हुए सभा के मुख्य अतिथि और देश के प्रख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉo ओम प्रकाश पाण्डेय ने देश में शिक्षा के गिरते स्तर और उसकी वजह से शासन प्रशासन में बैठे जिम्मेदारों में राष्ट्र निष्ठा और अपने दायित्वों के प्रति उदासीनता पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होने बताया कि भारतीय शिक्षा पद्धति की परिकल्पना मानव बनने तक सीमित नहीं रही बल्कि उससे भी आगे महामानव अर्थात देवता बनने की रही है।

राष्ट्रधर्म प्रकाशन के प्रभारी निदेशक सर्वेश चन्द द्विवेदी ने कहा कि आधुनिक मैकाले शिक्षा पद्धति की दुर्गति से हमे बाहर आना होगा उन्होने बताया कि आजकल की शिक्षा प्रणाली में संस्कृत भाषा वाला विज्ञान नहीं जानता, विज्ञान वाला संस्कृत नही जानता जबकि भाषा भगवती का स्वरूप है, इसका बहुत बड़ा महत्व है। वैखरी वाणी वहीं से प्रकट हुई है। आज हमारे शिक्षा पद्धति में अक्षर विज्ञान नहीं है, जबकि अगर एक अक्षर सिद्ध हो जाय तो बहुत कुछ हो सकता है। आपका कर्तव्य विद्या दान होना चाहिए वह भी भारतीय विद्या न कि अंग्रेजों द्वारा थोपी हुई विद्या।

पूर्व उप कुलपति डॉ. मनोज दीक्षित ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा प्रदेश में 6 नए विश्वविद्यालयों के बनने का कार्य चल रहा है इनमे से एक विश्वविद्यालय संस्कृति के लिए अयोध्या में बनेगा यह पूरा प्रोजेक्ट लगभग 12 हज़ार करोड़ का है, इन विश्वविद्यालयों अंदर जो मुख्य समस्या है वो है उनकी प्राण शक्ति की, भारतीय पद्धतियों का अभी तक जो नुकसान हुआ है उनकी पुनर्प्रतिष्ठा करना हमारा कर्तव्य होना चाहिए।

संगोष्ठी में ब्रह्मसागर महासंघ के सक्रिय 50 मुख्य महानुभावों ने भाग लिया, कार्यक्रम मे प्रमुख रूप से सवर्ण महासंघ फाउंडेशन (इंडिया) के संस्थापक_गजेन्द्र त्रिपाठी, वरिष्ठ पत्रकार शाश्वत तिवारी, प्रमिल द्विवेदी, श्वेता शुक्ल, सुसज्जित कुमार, अभिषेक शर्मा आदि उपस्थित रहे।

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