इन जनपदों में मुख्यतः रायबरेली, हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर व लखनऊ जनपद को सम्मिलित किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों के महाविद्यालयों को ग्रामीण एवं पारम्परिक खेलों से जोड़ने की रूपरेखा तैयार की जा रही है।
- Published by- @MrAnshulGaurav
- Thursday, April 28, 2022
लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल की प्रेरणा से लखनऊ विश्वविद्यालय परम्परागत खेलों को प्रोत्साहन देगा। इसके अनुरूप कार्ययोजना बनाई गई है। पिछले दिनों नरेंद्र द्वारा ‘मन की बात’ कार्यक्रम के उद्बोधन में खेल जगत के लिए ग्रामीण एवं पारम्परिक खेलोें को बढ़ावा देने का संदेश दिया गया था। उन्होंने देश के सभी क्षेत्रों में प्रचलित पारम्परिक खेलों जिनमें कुश्ती कबड्डी, खो-खो, रस्साकसी, गुल्ली-डंडा, शतरंज, तीरंदाजी, पतंगबाजी इत्यादि को बढ़ावा देने का आह्वान किया था।
राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल ने भी प्रधानमंत्री के इस संदेश को आगे बढ़ाते हुए यह प्रस्ताव दिया है, कि उत्तर प्रदेश के सभी शैक्षिक संस्थान पारम्परिक खेलों के विकास हेतु विस्तृत रूपरेखा तैयार करें। इन खेलों के प्रति छात्र एवं छात्राओं में रुचि पैदा करें। इस क्रम में लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आलोक कुमार राय ने पारम्परिक खेलों के विकास हेतु रूपरेखा तैयार करने का निर्देश दिया है। लखनऊ विश्वविद्यालय क्रीड़ा परिषद के सचिव प्रो रूपेश कुमार ने पारम्परिक खेलों के विकास हेतु दिये गये निर्देशों के आधार पर पारम्परिक खेलों के लिए विभिन्न खेल एवं खेल के संसाधनों हेतु पाँच जनपदों को चिन्हित किया है। जिसमें जनपदों के संसाधनों एवं प्रचलन के आधार पर खेलों का चयन किया गया है।
इन जनपदों में मुख्यतः रायबरेली, हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर व लखनऊ जनपद को सम्मिलित किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों के महाविद्यालयों को ग्रामीण एवं पारम्परिक खेलों से जोड़ने की रूपरेखा तैयार की जा रही है, जिससे ग्रामीण अंचल के खिलाडि़यों की प्रतिभा एवं ऊर्जा की पहचान कर उनहें राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के खेलों के लिए प्रेरित किया जा सके। पारम्परिक खेलों के विकास हेतु लखनऊ विश्वविद्यालय क्रीड़ा परिषद शीघ्र ही समिति का निरूपण करेगी, जो पारम्परिक खेलों के विषय में विस्तृत रूप से खेलों के चिन्हीकरण निर्धारण एवं क्रियान्वयन का प्रस्ताव प्रस्तुत करेगी।