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शास्त्रों की रक्षा से ही राष्ट्र का विकास संभव : प्रो. हरेराम त्रिपाठी

  • अन्नदा देवी मातृ आश्रम में तीन दिवसीय उत्सव का श्रीगणेश
  • सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया आविर्भाव दिवस का किया शुभारंभ
  • गंगा देवी पंचतीर्थ वेदान्द सरस्वती के जीवन पर ब्रह्मचारिणी गौरी देवी रचित पुस्तक का लोकार्पण

वाराणसी। शिवाला स्थित श्री श्री अन्नदा देवी मातृ आश्रम में श्री अन्नदा देवी कन्या गुरुकुल संस्कृत महाविद्यालय का स्वर्ण जयंती समारोह एवं श्री अन्नदा देवी की अनन्य शिष्या श्री श्री 108 गंगा देवी पंचतीर्थ वेदान्द सरस्वती के आर्विभाव दिवस पर ‘भव्य उत्सव” का श्रीगणेश गुरुवार को हुआ। उत्सव के प्रथम दिन प्रांगण में श्री श्री 108 गंगा देवी पंचतीर्थ वेदान्द सरस्वती के आविर्भाव दिवस मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी उपस्थिति विशिष्टजनों एवं कन्या गुरुकुल संस्कृत महाविद्यालय की छात्र-छात्राओं और अध्यापकों को सम्बोधित करते हुए गुरुकुल शिक्षा, संस्कृत और शास्त्र की महत्ता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि संस्कृत के संवर्धन से शास्त्रों का संवर्धन होगा। शास्त्रों की रक्षा में ही राष्ट्र रक्षा निहित है और इसी माध्यम से राष्ट्र का विकास संभव है। इसलिए इसमें समग्र प्रयास होना चाहिए। कहा कि केन्द्र व राज्य सरकार भारतीय भाषाओं के संवर्धन का कार्य निरंतर कर रही है। सरकार की मंशा है कि संस्कृत विद्यालयों और विश्वविद्यालयों को तकनीकी रूप से भी मजबूत बनायी जाए।

कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने कन्या गुरुकुल के बारे में कहा कि सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ‘अंगी” है और कन्या गुरुकुल इसका महत्वपूर्ण अंग है। ऐसे महती अन्य अंगों से ही विश्वविद्यालय सुदृढ़ है। कहा कि अन्नदा देवी कन्या गुरुकुल में शास्त्रों का अध्ययन करते हुए यहां की छात्राएं देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में ज्ञान की अलख जगा रही हैं। यहां से शिक्षित नारी शक्तियों की राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के दर्शन संकायाध्यक्ष एवं दीनदयाल उपाध्याय कौशल केन्द्र, सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो. सुधाकर मिश्र ने विचार व्यक्त करते हुए काशी की महिमा का वर्णन किया।

वहीं, प्रारंभ में श्री अन्नदा देवी मातृ आश्रम की अध्यक्ष व संचालिका तथा श्री अन्नदा देवी कन्या गुरुकुल संस्कृत महाविद्यालय की अध्यक्ष ब्रह्मचारिणी गौरी देवी द्वारा हिन्दी में अपनी गुरुमाता के जीवन दर्शन पर रचित पुस्तक ‘श्री श्री 108 गंगादेवी पंचतीर्थ वेदांत सरस्वती जीवन दर्शन” का लोकार्पण मुख्य अतिथि एवं सभाध्यक्ष द्वारा किया गया।

मंचासीन अतिथियों का स्वागत असम के वासुदेव सेन एवं कोलकाता के गौतम वसु ने संयुक्त रूप से किया। गंगा देवी के जीवन परिचय का वाचन डा. सिद्धनाथ श्रीवास्तव ने, कार्यक्रम का संचालन डा. सरोज पांडेय ने एवं धन्यवाद ज्ञापन गोकुल शर्मा ने किया।

सांस्कृतिक संध्या भी सजी : उत्सव की संध्या बेला में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए। इसमें शिवनृत्य ‘ओम नम:शिवाय” की मनमोहक एकल प्रस्तुति शाश्वती दत्ता ने दी। इसी क्रम में रविन्द्र संगीत पर आधारित बांग्ला गीत पर समूह नृत्य की प्रस्तुति रोहिणी, प्रियांशी, गार्गी एवं वेदिका ने दी। तत्पश्चात भावनृत्य का अवतरण सौम्या शुचि ने किया। वहीं, गंगा माता के जीवन पर आधारित गीति नाट्य को ‘श्रीमातृसंघ” कोलकाता के कलाकारों ने प्रस्तुत किया। प्रारम्भ में वैदिक मंगलाचरण आचार्य मोहन दूबे एवं पौराणिक मंगलाचरण टुम्पा राय ने किया। इस अवसर पर डा. उर्वशी श्रीवास्तव सहित कई विशिष्ट एवं गुणीजन मौजूद रहे।

रिपोर्ट-संजय गुप्ता

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