- Published by- @MrAnshulGaurav
- Friday, June 17, 2022
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देश को समर्थ एवं सशक्त बनाने के उद्देश्य से शुरू किए डिजिटल इंडिया प्रोगाम के खाते में अब एक नई उपलब्धि जुड़ गई है। खबर यह है कि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानी यूपीआई और रुपे कार्ड जल्द ही अब आपको फ्रांस में चलते हुए देखने को मिलेंगे। क्योंकि एनपीसीआई इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड ने बताया कि उसने फ्रांसीसी भुगतान सेवा कंपनी लायरा नेटवर्क के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
इस समझौता ज्ञापन के मुताबिक, भारतीय नागरिक अब लायरा नेटवर्क की मशीनों पर यूपीआई और रुपे कार्ड का उपयोग कर भुगतान कर सकेंगे। जिसका सीधा लाभ वहां रह रहे भारतीय छात्रों और घूमने जाने वाले लाखों पर्यटकों को मिलेगा।
फ्रांस में भारतीय राजदूत जावेद अशरफ ने जानकारी दी कि भारत का यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) और रुपे कार्ड जल्द ही फ्रांस में स्वीकार किए जाएंगे। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया इंटरनेशनल और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की अंतरराष्ट्रीय शाखा ने फ्रांसीसी भुगतान कंपनी लायरा नेटवर्क के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
आपको बता दें कि मौजूदा समय में देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन का बड़ा क्रेज है। भारत में हर महीने 5.5 अरब के यूपीआई ट्रांजैक्शन होते हैं। वित्तीय वर्ष 2021-22 में देश में 7000 करोड़ से अधिक डिजिटल भुगतान दर्ज किए गए। यह पिछले साल की तुलना में 33 फीसदी ज्यादा है। अब फ़्रांस के साथ समझौता होने से इसमें और तेजी आएगी। भारत के लोग पहले से ही भूटान, यूएई और सिंगापुर में यूपीआई द्वारा लेन-देन कर रहे हैं।
गौरतलब है कि मौजूदा वक़्त में फ़्रांस में लगभग 10 हजार से ज्यादा छात्र पढ़ाई कर रहे हैं, जिनकी संख्या आने वाले कुछ सालों में 20 से ज्यादा हो जायेगी। वहीं 01 लाख से ज्यादा भारतीय प्रवासी वहां रह रहे हैं। ऐसे में फ्रांस में छात्रों के लिए यह योजना बहुत ही कारगर साबित होने वाली है, क्योंकि भारत से फ्रांस जाने वाले छात्रों को वहां कई तरह की मुद्रा संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। छोटी से छोटी चीजों के लिए भी उन्हें वहां की करेंसी में ही भुगतान करना पड़ता है। जिससे उन्हें न केवल बेवजह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है बल्कि उनके समय की भी काफी बर्बादी होती है।
वहीं भारत से हर साल लगभग सात लाख भारतीय पर्यटक फ्रांस की सैर करने जाते हैं। इस दौरान उन्हें वहां की स्थानीय मुद्रा पर निर्भर रहना पड़ता है। चूंकि पर्यटक एक निश्चित अवधि के लिए जाते हैं, इसलिए उन्हें वहां समय और मुद्रा दोनों से ही जुड़ी समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। ऐसे में भारत और फ़्रांस के बीच हुआ यह समझौता ज्ञापन आने वाले दिनों में भारतीय छात्रों, पर्यटकों और वहां रह रहे भारतीय प्रवासियों के जीवन को सरल और सहज बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकती है।
(रिपोर्ट: शाश्वत तिवारी)