- Published by- @MrAnshulGaurav
- Tuesday, July 05, 2022
निकाय चुनाव में योगी आदित्यनाथ ने हैदराबाद में भाग्य नगर का मुद्दा उठाया था. इसकी व्यापक चर्चा हुई थी. उन्होंने कहा था कि जब इलाहाबाद का नाम प्रयागराज और फैजाबाद का नाम अयोध्या हो सकता है तो हैदराबाद का भाग्य नगर क्यों नहीं हो सकता. योगी द्वारा उठाए गए इस मुद्दे का लाभ भाजपा को मिला था. इस बार योगी आदित्यनाथ भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल होने गए थे.
आन्ध्र और तेलंगाना के स्थानीय भाजपा नेताओं ने उन्हें भाग्य लक्ष्मी मन्दिर दर्शन के लिए आमंत्रित किया था. वैसे कहा जा रहा है कि योगी को आमन्त्रण ना मिलता तब भी वह दर्शक हेतु मन्दिर अवश्य जाते. योगी ने यहां बिधि विधान से पूजन किया. भाजपा की तेलंगाना और आंध्रप्रदेश इकाई ने योगी के भाग्यलक्ष्मी मंदिर में जाने को लेकर पहले से प्रचार शुरू कर दिया था। योगी मन्दिर में भक्ति भाव से ही गए थे. लेकिन कार्यकारिणी बैठक के अवसर पर भाजपा के साँस्कृतिक राष्ट्रवाद का मुद्दा उजागर हुआ. योगी की यह यात्रा बहुत चर्चित हुई.नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने सफलता के नए मुकाम हासिल किए हैं. इसके पहले देश गठबंधन राजनीति के दौर में था. परिवार आधारित क्षेत्रीय दलों का वर्चस्व बढ़ रहा था. भाजपा को उत्तर भारत तक सीमित माना जाता था.पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों में भाजपा निष्प्रभावी हुआ करती थी.
नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता ने पूरापरिदृश्य बदल गया. लोकसभा में लगातर दूसरी बार मान्यता प्राप्त प्रतिपक्ष नहीं है. पश्चिम बंगाल में भाजपा का अस्तित्व नहीं था. आज वहाँ भाजपा मुख्य विपक्षी पार्टी है. पिछले विधानसभा चुनाव में उसने तीन से तिहत्तर तक की यात्रा पूरी की है. असम में लगातर दूसरी बार उसे सरकार बनाने का जनादेश मिला है.पिछले राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार को सफ़लता मिली थी. इस बार भी भाजपा उम्मीदवार के राष्ट्रपति निर्वाचित होने की पूरी संभावना है. उत्तर प्रदेश में करीब चार दशक बाद योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लगातर दूसरी बार सरकार बनी है. उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर में हुए विधानसभा चुनावों और कुछ निकाय चुनावों एवं रामपुर, आजमगढ़ के लोकसभा उपचुनाव और त्रिपुरा के विधानसभा उपचुनावों में भाजपा की बहुत बड़ी विजय हुई है।
भाजपा केंद्र के अलावा सत्रह राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में अपने दम पर या सहयोगी दलों के साथ शासन कर रही है, अभी भी कुछ राज्य ऐसे हैं जहाँ उसकी स्थिति कमजोर है। भाजपा की रणनीति के केंद्र में वे राज्य होंगे, जहाँ कांग्रेस या विपक्षी दलों का शासन है। उत्साह के इस माहौल में भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई. हैदराबाद में आयोजित बैठक का विशेष सन्देश था. पार्टी ने दक्षिणी राज्यों में अपने विस्तार का मंसूबा दिखाया है. तेलंगाना की परिवार आधारित सरकार उसके निशाने पर रही.यह सन्योग था कि इसी समय राष्ट्रपति पद के विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा भी हैदराबाद पहुँचे थे. लेकिन उनके आगमन से विपक्षी एकता की असलियत सामने आ गई. कांग्रेस ने यशवन्त सिन्हा के कार्यक्रम का बहिष्कार किया. उसका कहना था कि यशवन्त सिन्हा को मुख्यमन्त्री ने बुलाया था. इसलिए कांग्रेस ने बहिष्कार का निर्णय लिया. दूसरी तरफ भाजपा और उसके सहयोगी दल राष्ट्रपति चुनाव के लिए एकजुट हैं. राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक के कुछ दिन पहले ही नरेन्द्र मोदी को गुजरात दंगों पर क्लीन चिट मिली. बैठक में यह मुद्दा भी उठा. कहा गया कि राजनीति से प्रेरित पत्रकारों और एनजीओ ने नरेन्द्र मोदी के खिलाफ साजिश रची थी। यूपीए सरकार का इनको पूरा सहयोग मिल रहा था. उसने नरेन्द्र मोदी को घेरने में जमीन आसमान एक कर दिया था.
कार्यकारिणी बैठक के पहले दिन आर्थिक प्रस्ताव पर चर्चा की गई थी। दूसरे दिन राजनीतिक प्रस्ताव पेश किया गया। इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। अमित शाह ने राजनीतिक प्रस्ताव पेश किया। कहा कि गुजरात सुप्रीम कोर्ट द्वारा नरेन्द्र मोदी पर लगे आरोपों को खारिज करना ऐतिहासिक है. सुप्रीम कोर्ट ने आरोपों को राजनीतिक झूठ माना है। कांग्रेस को मोदी फोबिया हो गया है। कांग्रेस देशहित के हर निर्णय का विरोध करने लगी है। वह हताशा और निराशा में है। सर्जिकल स्ट्राइक, अनुच्छेद 370 की समाप्ति जीएसटी, आयुष्मान भारत, वैक्सीनेशन कार्यक्रम और राम मंदिर जैसे हर विषय का विरोध करती रही है। पार्टी की ओर से पहले दलित और अब महिला आदिवासी को चुनाव में उतारा गया है। प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान आंतरिक और बाहरी दोनों तरफ से सुरक्षा को मजबूत किया गया. बैठक में आर्थिक औऱ गरीब कल्याण संकल्प प्रस्ताव पारित कर दिया गया। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने यह प्रस्ताव पेश किया था. आर्थिक रूप से देश की रफ्तार उत्साहजनक है। वर्तमान वर्ष में आठ प्रतिशत से अधिक की विकास दर हासिल की गई है. निर्यात में अभूत पूर्व वृद्धि हुई है.देश में प्रत्यक्ष विदेश निवेश ज्यादा आया हैं.
जीएसटी से लेकर पीएलआई तक अनेक निर्णय लिए गए.केंद्रीय योजनाओं के लाभर्थियों से संपर्क किया जाएगा. अंत्योदय के लिए भी व्यापक अभियान संचालित होगा.आगामी
लोकसभा चुनाव की अपनी रणनीति बनाने पर विचार विमर्श हुआ. पांच राज्यों की विधानसभा चुनाव परिणाम पर भी समीक्षा की गई. दक्षिणी राज्यों में सक्रियता बढ़ाई जाएगी.बैठक स्थल पर प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया. जिसमें राज्य की संस्कृति,हस्तशिल्प, तानाशाही निजाम के खिलाफ तेलंगाना का मुक्ति संघर्ष और तेलंगाना को राज्य का दर्जा दिलाने में भाजपा की भूमिका को प्रदर्शित किया गया है। प्रदर्शनी में निजामों द्वारा किए गए अत्याचार को दिखाया गया.