किसानों और केंद्र सरकार के बीच एक बार फिर से टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है। संयुक्त किसान मोर्चा ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार की समिति को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि निरस्त कृषि कानूनों का समर्थन करने वाले तथाकथित किसान नेता इसके सदस्य हैं।
मोर्चे के लीडर अभिमन्यु कोहर ने कहा कि इस कमेटी में कथित किसान नेताओं को शामिल किया गया है, जिन्होंने तीन नए कृषि कानूनों का समर्थन किया था।यूनाइटेड किसान मोर्चा ने कहा कि उन्होंने केवल एमएसपी के आधार पर कमेटी बनाने की मांग की थी। समिति में पंजाब, हरियाणा और यूपी सरकार का कोई प्रतिनिधि नहीं होने पर भी सवाल उठाए गए हैं। स्वामीनाथन की तरह, यह एक कागजी समिति बनी रहेगी।
कृषि मंत्रालय की ओर से सोमवार को नोटिफिकेशन जारी करके समिति के गठन की जानकारी दी गई थी।इस पैनल में नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद, आर्थिक और कृषि मामलों के जानकार सीएससी शेखर, आईआईएम अहमदाबाद के एक्सपर्ट सुखपाल सिंह, नवीन पी. सिंह समेत कई लोगों को शामिल किया गया है।केंद्र सरकार के विभागों के 5 सचिवों और कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, सिक्किम और ओडिशा के मुख्य सचिवों को भी कमिटी का सदस्य बनाया गया है।