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चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से…देश म नशेबाजी बढ़तय जाय रही

  नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान

ककुवा ने प्रपंच का श्रीगणेश करते हुए कहा- अपन देस आगे बढ़ि रहा। हर तरफ तरक्की होय रही। भारत का आजाद भये 75 साल होइगे। देस म अमृत महोत्सव मनावा जाय रहा। सब बड़ा नीक लागि रहा। मुदा, एकु काम बड़ा खराब होय रहा। देस म नशेबाजी बढ़तय जाय रही। अंग्रेजी, देसी, कच्ची दारू बम्पर पी जाय रही। घरन ते पान अउ पानदान विदा होय चुके। दुआरे ते हुक्का अउ चिलमव गायब होइगै।

यहिकी जगह गुटखा अउ खैनी तम्बाकू लय लिहिस हय। कोऊ क गलफरे म गुटखा भरा हय। कोऊ क होंठन म खैनी तम्बाकू दबी हय। सिगरेट अउ बियर तौ मानो फैशनै बनिगा। दारू क संझा केर दवा बतावत हयँ। नशेबाजन का हालु न पुछव भइय्या। गांजा, भांग, अफीम, चरस, हीरोइन अउर न जाने कौनु-कौनु नशा कीन जाय रहा। यहिते समाज अउ राष्ट्र केरा बड़ा नुकसान होय रहा। सरकार अउ समाज का मिलिकै कौनव रास्ता निकारय क चही। युवा पीढ़ी का नशा ते बचाव क परी। तबहें देस तरक्की करी अउ समाज खुशहाल रही।

चतुरी चाचा अपने प्रपंच चबूतरे पर पलथी रमाये बैठे थे। मुंशीजी, ककुवा, कासिम चचा व बड़के दद्दा आपस में नशे पर कुछ खुसुर-पुसुर करते थे। आज सुबह ही कड़ी धूप खिल गयी थी। चबूतरे पर पेड़ों की घनी छाया थी, जिससे गर्मी कम लग रही थी। पुरई आज अनुपस्थिति थे। वह कल दोपहर में अपने गांव चले गए थे। उनके घर में शराब को लेकर महाभारत हो गयी थी। उनका छोटा भाई शराब का लती है। वह दारू पीकर अक्सर बाहर बवाल करता है। इस बार घर में मारपीट की थी। तभी पुरई को अपने गांव जाना पड़ा।

श्यामा गाय की सेवा चतुरी चाचा के जिम्मे है। गांव के बच्चे चबूतरे से थोड़ी दूर पर कबड्डी खेल रहे थे। मेरे चबूतरे पर पहुंचते ही ककुवा ने पंचायत शुरू कर दी। ककुवा का कहना था कि आजकल देसी एवं अंग्रेजी शराब, बियर व ताड़ी से कहीं ज्यादा गुटखा व सिगरेट का सेवन हो रहा है। गांजा, भांग, खैनी तम्बाकू, बीड़ी, हुक्का का अपना बाजार है। वहीं, तमाम लोग चरस, अफीम, हीरोइन व ड्रग्स के आदी होते जा रहे हैं। युवा पीढ़ी भयंकर नशेड़ी होती जा रही है। अब तो कम उम्र के बच्चे, किशोर व लड़कियां भी धड़ल्ले से नशा कर रही हैं। सच पूछिए, अब नशे के खिलाफ बड़ी जंग लड़ने का समय आ चुका है। वरना, देश का बेड़ा गर्क हो जाएगा।

इस पर चतुरी चाचा ने कहा- ककुवा भाई, तुमरी चिंता जायज हय। कुछ सालन ते नशे क प्रचलन जादा होइगा हय। हाईस्कूल अउ इंटर केरे लरिका-बिटिया ‘मसाला’ खात हयँ। गांव-गांव, गली-गली ‘पुड़िया’ बिकाय रहीं। घरन म मेहरुये गुटखा चबाती हयँ। शहर म तौ बिटौनिव सिगरेट अउ बियर पीती हयँ। हुंवा मेहरुये एडवांस बनय क चक्कर म शराबव पी रहीं।

गनीमत या हय कि गांव क मेहरुये अबहीं दारू नाय पीती हयँ। गुटखा क तिना खैनी तम्बाकू शहर अउ गांव म बराबर खाई जाय रही। गांव म बीड़ी क खपत जादा हय। शहर म सिगरेट क मांग जादा हय। गुटखा, सिगरेट अउ खैनी तम्बाकू क सेवन ते मुँह, गले अउ फेफड़े क कैंसर होय रहा। शहर म अंग्रेजी शराब क बोलबाला हय। देहात म देसी शराब अउ कच्ची दारू नचाय रही सबका। शराब ते लिवर सिरोसिस अउ लिवर कैंसर होय रहा। भारत म जैसे-जैसे दारू-तम्बाकू क सेवन बढ़ि रहा। वैसे-वैसे कैंसर क मरीज बढ़ि रहे। लोगन का नशे ते बचाव क मुहिम चलय क चही।

इसी बीच चंदू बिटिया परपंचियों के लिए जलपान की ट्रे लेकर हाजिर हो गई। आज जलपान में चूरे का स्वादिष्ट पोहा और कुल्हड़ वाली स्पेशल चाय थी। सबने पोहा ख़ाकर पानी पीया। फिर अदरक-तुलसी वाली कड़क चाय के साथ प्रपंच आगे बढ़ा।

मुंशीजी ने कहा- नशे से तरह-तरह की बीमारियां हो रही हैं। लोग असमय काल-कलवित हो रहे हैं। भारत में बड़ी तेजी से कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैं। शराब और तम्बाकू लोगों को कैंसर की तरफ धकेल रही है। इसके अलावा शराब पीकर लोग सड़क दुर्घटना में अपनी जान गवां रहे हैं। नशेबाजी के कारण गांव-घर में आपसी कलह बढ़ती ही जा रही है। गांव से लेकर शहर तक न जाने कितनी मारपीट और कत्ल की घटनाएं होती हैं। इनके पीछे भी सबसे बड़ा कारण नशा होता है।

लोग शराब पीकर गाली-गलौच और मारपीट करते हैं। नशे के आदी लोग चोरियां भी करते हैं। उनको हर हाल में उनकी पसन्द का नशा चाहिए। उसके लिए वह कुछ भी कर सकते हैं। नशे की बढ़ती प्रवृत्ति के कारण बेरोजगारी भी बढ़ रही है। कुलमिलाकर स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। युवा पीढ़ी को नशे से बचाने के लिए हर मुमकिन कोशिश की जानी चाहिए। जो लोग नशा नहीं कर रहे हैं। उनको जीवन पर्यंत नशा न करने का संकल्प लेना चाहिए।

कासिम चचा ने इसी मुद्दे पर अपनी राय रखते हुए कहा- मोदी सरकार एक झटके में नोटबन्दी कर सकती है। कश्मीर घाटी से धारा 370 व 35ए को हटा सकती है। जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों में बांट सकती है। राम मंदिर बनने का मार्ग परस्त कर सकती है। देश को महीनों लॉकडाउन कर सकती है। पूरे देश को ताली-थाली बजवा सकती है। दिवाली के पहले दीपावली मनवा सकती है। रातोंरात किसी राज्य में चुनी सरकार गिरवा सकती है। तमाम बड़े-बड़े फैसले ले सकती है।

लेकिन, केंद्र सरकार शराबबन्दी, नशाबंदी, गुटखा-सिगरेट बंदी नहीं कर सकती है। आखिर ऐसा क्यों? सोचने वाली बात है कि नरेन्द्र मोदी जैसा दृढ़ इच्छाशक्ति वाला प्रधानमंत्री भी नशाबंदी पर निर्णय नहीं ले पा रहा है। जबकि नशाबंदी से अरबों-खरबों का जानमाल बच सकता है। मारपीट, हिंसा व कत्ल टल सकते हैं। घर-परिवार और समाज में सुख-शांति आ सकती है। हजारों हजार सड़क दुर्घटनाएं रुक सकती हैं। नशे से पीड़ित लोगों के इलाज में खर्च होने वाला हजारों करोड़ बच सकता है। इसके बाद भी कोई सरकार सम्पूर्ण नशाबंदी पर विचार नहीं करती है।

बड़के दद्दा बोले- कासिम चचा, आप जितनी आसानी से सबकुछ कह गये हैं। काश! देश में नशाबंदी लागू करना इतना आसान होता। बिहार में लागू तो है शराबबन्दी। वहां पता कर लो। क्या हो रहा? कैसे शराब का अवैध धंधा फलफूल रहा है? कैसे जहरीली दारू पीकर लोग मर रहे हैं। जनता पार्टी की सरकार तो आपने देखी है। मैंने तो सिर्फ सुना है कि जनता पार्टी सरकार ने देश में पहली बार शराबबन्दी लागू की थी। उसके बाद देश में क्या-क्या हुआ? कैसे सरकार गिर गई? कैसे जनता पार्टी टुकड़ों में बिखर गई थी।

जिस देश में शराब पिलाकर ग्रामसभा से लोकसभा तक के चुनाव जीते जाते हों। वहाँ सम्पूर्ण नशाबंदी लागू करना असम्भव है। देश में सिर्फ शराबबन्दी कर पाना भी बड़ा मुश्किल है। लोकतंत्र में बहुमत से सरकार बनती है। आज की तारीख में बहुमत किससे मिलेगा? नेता सब जानते हैं। सरकार की तरफ देखने के बजाय हम लोग खुद नशामुक्त होकर दूसरों से नशा छोड़ने का आग्रह करें। हम लोगों उन लोगों को जीवन में किसी भी प्रकार का नशा न लेने के लिए प्रेरित करें, जो लोग अभी तक नशे से दूर हैं। तभी बात बनेगी।

मैंने हमेशा की तरह कोरोना अपडेट देते हुए प्रपंचियों को बताया कि विश्व में अब तक 60 करोड़ 47 लाख से अधिक लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 64 लाख 84 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इसी तरह भारत में अब तक चार करोड़ 43 लाख 89 हजार से ज्यादा लोग कोरोना पीड़ित हो चुके हैं। इनमें पांच लाख साढ़े 27 हजार लोगों की अकाल मौत हो चुकी है। भारत के मुफ्त टीकाकरण अभियान की पूरी दुनिया में तारीफ हो रही है। भारत ने अपने स्वदेशी टीके के दम पर कोरोना महामारी को मात दी है।

अंत में चतुरी चाचा ने बताया कि मोदी सरकार के राज्यमंत्री कौशल किशोर इन दिनों पूरे देश में नशे को लेकर जनजागरण कर रहे हैं। वह अपना एक शराबी बेटा खोने के बाद से ‘नशामुक्त समाज आंदोलन-अभियान कौशल का’ चला रहे हैं। सब लोग इस आंदोलन से जुड़ जाओ। नशामुक्त परिवार और नशामुक्त दोस्ती बनाओ। तभी देश का कल्याण होगा। इसी के साथ आज का प्रपंच समाप्त हो गया। मैं अगले रविवार को चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर होने वाली बेबाक बतकही के साथ फिर हाजिर रहूँगा। तब तक के लिए पँचव राम-राम!

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