• उत्तर प्रदेश में भी अपनाया जाएगा डबल्यूएचओ का मॉडल
• पहले हर तीन माह पर 12-12 दिन खानी पड़ती थी दवा
लखनऊ, 30 अगस्त 2022। फाइलेरिया का इलाज अब साल में सिर्फ एक दिन की ही दवा से किया जाएगा। पहले यही इलाज प्रत्येक तीन-तीन महीने पर 12 दिन चलता था। यह कहना है डॉक्टर एके सिंह निदेशक, संचारी रोग का। डॉक्टर सिंह मंगलवार को 19 जिलों में हुए मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेटिव (एमडीए) राउंड की समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे।
निदेशक, संचारी रोग ने बताया कि फाइलेरिया को जड़ से समाप्त करने के लिए यूपी में अब डबल्यूएचओ का मॉडल अपनाया जाएगा। इस मॉडल के तहत संक्रमित व्यक्ति को साल में सिर्फ एक दिन की ही दवा खिलाई जाएगी। इससे उसके शरीर में मौजूद माइक्रो फाइलेरिया पूरी तरह नष्ट हो जाएंगे। पहले यही इलाज करवाने के लिए हर तीन-तीन माह पर 12-12 दिन यानि एक साल में कुल 48 दिन दवा खानी पड़ती थी। समीक्षा बैठक में उन्होंने गोरखपुर जिले की तारीफ करते हुए कहा कि अन्य जनपद भी बेहतर अभियान चलाएंगे तभी यह बीमारी पूरी तरह समाप्त होगी।
डॉ. वीपी सिंह, राज्य कार्यक्रम अधिकारी, फाइलेरिया ने बताया कि फाइलेरिया बीमारी के प्रति प्रदेश में जागरूकता बढ़ी है। पहले जहां हमारी स्वास्थ्य टीम को नाईट ब्लड सर्वेक्षण के लिए लोगों को काफी समझाना पड़ता था वहीं अब लोग स्वयं सहयोग कर रहे हैं। ब्लॉक स्तर की रणनीति भी काफी कारगर साबित हुई है। उन्होंने जनमानस से अपील की है कि यदि हर साल फाइलेरिया से बचाव की दवा नियमित रूप से पांच साल तक खा ली जाए तो यह बीमारी आपके पास नजर नहीं आएगी। आप स्वस्थ रहेंगे तो आप दूसरों को भी संक्रमित नहीं करेंगे।
बीएमजीएफ के डॉ. भूपेन्द्र त्रिपाठी ने इस बीमारी के राष्ट्रीय परिदृश्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि किसी बीमारी के समाज से अचानक खत्म करने की कल्पना नहीं की जा सकती है। हां, नियमित प्रयास से पूरी तरह समाप्त किया जा सकता है। इस मौके पर रीजनल ऑफिस के डॉ. चौधरी, डबल्यूएचओ, पीसीआई, पाथ, सीफार के राष्ट्रीय और राज्य ऑफिसर समेत 19 जिलों से अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (वेक्टर बोर्न) एवं अन्य वेक्टर बोर्न अधिकारी मौजूद थे।