नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने एक नई पॉलिसी लेकर आया है, जिसका नाम है – नो बिल, फ्री फूड पॉलिसी। रेलवे की इस पॉलिसी का मतलब है कि खाने का बिल नहीं तो पैसा नहीं। यानी यदि आप ट्रेन में सफर कर रहे हैं और आपको फूड वेंडर खाने का बिल नहीं देता है तो खाने का पैसा नहीं लगेगा। यह नई पॉलिसी द्वारा इस वजह से लाई गई है क्योंकि रेलवे में कई बार खाना खरीदने पर बिल नहीं दिया जाता है।
रेलवे ने मुसाफिरों के लिए
गौरतलब है कि बीते कई माह से रेलवे ने मुसाफिरों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए कई योजनओं की शुरुआत की गई है, जिससे रेलवे यात्रियों को सीधे तौर पर इसका फायदा भी मिल रहा है। सिर्फ ट्रेनों की लेटलतीफी की समस्या को खत्म करने पर गंभीरता से विचार कर रही है बल्कि टिकट आरक्षण में आने वाली समस्याओं को सुलझाने का भरपूर प्रयास कर रहा है।
इतना ही नहीं, अभी कुछ समय पहले ही ट्रेनों और स्टेशनों पर मिलने वाले खाने के सामानों के वास्तविक मूल्य की सूची जारी की थी इससे लोगों को ठगी का शिकार होने से बचने का फायदा मिला।
रेल यात्रियों की यह भी शिकायत है कि उनसे खाने की तय दाम से अधिक कीमत वसूली जाती है, और इस समस्या से निपटने के लिए हाल ही खाद्य सामानों के वास्तविक दामों की सूची जारी की थी। जिससे यात्रियों को वास्तविक दाम से अधिक पैसे ना देने पड़ें।
अब रेलवे के इस फैसले से उम्मीद है अब यात्रियों से ट्रेनों में खाने की अधिक कीमत वसूली नहीं जाएगी।
नई योजना के मुताबिक, यात्री अब खाना लेने के बाद इसका बिल मांगें और अगर कोई वेंडर बिल देने से मना करता है तो खाने के पैसे न दें। इस नई पॉलिसी का नोटिस को उन सभी ट्रेनों में लगाएं जाने का विचार किया जा रहा है जिन ट्रेनों में यात्री यात्रा के दौरान खाना खरीदते हैं।
नई योजना ठीक से काम कर रही है या नहीं इसके लिए रेलवे इंसपेक्टरों को बहाल करेगी जो इस बात की निगरानी करेंगे कि यात्रियों से तय दाम के मुताबिक पैसे लिए जा रहे हैं या नहीं और इसका सही-सही बिल दिया जा रहा है या नहीं दिया जा रहा है।