चतुरी चाचा ने प्रपंच का श्रीगणेश करते हुए कहा- हमरी यू समझ नाय आवथय कि भारत म देवासुर संग्राम आखिर कब तलक चलि। हजारन साल तौ देउता असुरन ते लड़िन। वहिके बादि ते अदमी लड़ि रहा। भारत म रक्तबीज क तिना असुर पइदा होय रहे। पहिले समाज का दुःख-द्वंद देय वालेन का राच्छस, असुर, निशाचर कहा जात रहय। अब वनहिंका उग्रवादी, आतंकवादी, माफिया कहा जात हय।
पहिले देउता सगरी धरती प राच्छ्सन ते लड़त रहयँ। अब मनुष्य जगह-जगह लड़ि रहा। बाति सगरी वहय। इनते मानवता का खतरा तबहूँ रहय।अउ अबहूँ हय। इ कलयुगी असुर ते धरती कांप रही। भइय्या जहां द्याखव हुआँ आफत मचाय हयँ। अब तौ संगठन बनायक मनमानी कय रहे। अलक़ायदा, तालिबान, पीएफआई जाने कौने-कौन नाव त असुर मंडली बनी हयँ। इ ससुरे मारकाट, बम विस्फोट, गोलाबारी, आत्मघाती हमला करत हयँ। कलयुगी राच्छ्सन का बस अमन-चैन ते दिक्कत हय। चतुरी चाचा आज अपने चबूतरे पर चिंतन मुद्रा में बैठे थे। कासिम चचा, मुंशीजी, ककुवा, बड़के दद्दा मुसलमानों के पीएफआई नामक संगठन को बैन किये जाने पर कानाफूसी कर रहे थे। पुरई पशुओं को चारापानी कर रहे थे। गाँव के बच्चे कबड्डी खेल रहे थे।
आज सुबह मौसम बहुत ही बढ़िया था। खुले आसमान से सूरज चबूतरे का नजारा देख रहा था। चबूतरे की क्यारियों के तमाम फूल पुरवाई में मदमस्त झूम रहे थे। मेरे चबूतरे पर पहुंचते ही चतुरी चाचा ने प्रपंच का आगाज कर दिया। उनका कहना था कि संसार में शुरू से ही आसुरी ताकतें मानवता के कष्टकारी रही हैं। पहले हजारों साल देवताओं ने राच्छ्सों से युद्ध किया। उसके बाद मनुष्यों को कलयुगी राच्छ्सों से जंग लड़नी पड़ रही है। सतयुग, त्रेता व द्वापर युग में सभ्य समाज को प्रताड़ित करने वाले लोगों को असुर, निशाचर, राच्छ्स कहा जाता था। कलयुग में ऐसे लोगों को उग्रवादी, आतंकवादी, माफिया कहा जाता है। इन समाज विरोधी तत्वों से मानव मात्र हमेशा पीड़ित रहा है। अब तो यह लोग संगठन बनाकर काम कर रहे हैं। अलकायदा, तालिबान, पीएफआई और जाने कितने नाम होंगे। इनको सिर्फ समाज की सुख-शांति से कष्ट रहता है।
ककुवा बोले- चतुरी भाई, याक बात हमहुँ का समझ नाय आवथय। उह यू कि दुनिया भरेम जतनी अशांति हय। सगरी मुसलमानन केरी वजह ते हय। आखिर इन लोगन का अमन-चैन ते दिक्कत काहे हय? इ लोग मारकाट, लूटपाट, हत्या, बलात्कार, हिंसा, उपद्रव, अग्निकांड, तस्करी, अपहरण अउ अन्य तमाम अपराधन म सक्रिय रहत हयँ। जबरन लोगन का मुसलमान बनावा चाहत हय। युहु कौनव धरम आय। देस 1947 म आजाद भा। मुसलमान बोले हमका अलग देस चही। गांधीजी दुई देस बनवाय दीहिन।
पाकिस्तान अउ बंग्लादेश भारत ते निकरिगा। तब कुछ मुस्लिम आबादी भारत म रह गई। हम पंच वसुधैव कुटुम्बकम जइस विचारधारा वाले हन। सगरी धरती का अपन परिवार समझित हय। बंटवारा क समय जउन मुसलमान पाकिस्तान नाइगे। आज वनहिन कय आबादी लगभग 30 करोड़ होइगै। विदेशी आतंकी संगठन हिंया क मुस्लिम जवानन का जेहादी अउ आत्मघाती बनाय रहे। पीएफआई जइस संगठन भारत का 2047 म मुस्लिम राष्ट्र बनावयक सपन देखि रहा। अखबार म खबरय पढ़िके हमार तौ मन बड़ा खट्टा होइगा।
इसी बीच चंदू बिटिया हम प्रपंचियों के लिए जलपान लेकर आ गयी। आज जलपान में मक्के के उबले भुट्टे, काला नमक, नींबू, केला, सेब और तुलसी-अदरक वाली कड़क चाय थी। ककुवा व चतुरी चाचा को छोड़कर सबने नमक-नींबू लगाकर भुट्टे खाये। चाचा व ककुवा का नवरात्र व्रत चल रहा है। इसलिए दोनों बुजुर्गों ने केला और सेब खाया। फिर कुल्हड़ वाली चाय के साथ प्रपंच आगे बढ़ गया।
बड़के दद्दा ने मुस्लिम आतंकवाद की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा- केंद्र में अगर कांग्रेस सरकार ही होती तो अबतक भारत की बड़ी दुर्दशा हो चुकी होती। धर्म निरपेक्ष का राग अलापते-अलापते कांग्रेस मुस्लिम आतंकियों के आगे नतमस्तक हो गयी होती। कांग्रेस को तो सिर्फ वोट चाहिए। कांग्रेसी नेताओं को केवल कुर्सी से मतलब रहता है। देश बंटे या बिगड़े या फिर गुलाम बन जाये। इससे कांग्रेस का कोई लेना देना नहीं है। राहुल दक्षिण भारत में भारत जोड़ो यात्रा का स्वाँग भर रहे है।
इधर, दिल्ली में मल्लिकार्जुन खड़गे को राष्ट्रीय अध्यक्ष (कठपुतली) बनाने की रणनीति को अमली जामा पहनाया जा रहा है। इन लोगों ने ही पीएफआई जैसे खतरनाक मुस्लिम संगठन को खाद-पानी देकर पाला है। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया नामक यह संगठन मुस्लिम देशों से हर साल करोड़ों रुपये का चंदा लेता है। यह संगठन भारत को इस्लामिक देश बनाने पर जुटा है। पीएफआई ने आरएसएस की तर्ज पर अपने तमाम फ्रंटल भी गठित किये हैं।
कासिम चचा ने कहा- भारत का सच्चा मुसलमान कभी अपने वतन के साथ गद्दारी नहीं कर सकता है। हमारे दीन में माँ और वतन को बड़ा ही अहम दर्जा दिया गया है। वतन की मिट्टी को इतना पाक माना गया है कि पानी न मिलने की स्थिति में वतन की मिट्टी से वजू करने की हिदायत दी गयी है। हमारा धर्म कहता है कि पड़ोसी अगर भूखा है तो तुम्हारा भोजन हराम है। पड़ोसी किसी भी जाति/धर्म का हो। ऐसे में अलकायदा, तालिबान, पीएफआई या अन्य भारत विरोधी किसी भी संगठन को देश के मुसलमानों का साथ नहीं मिल सकता है।
अभी देखो, 15 राज्यों में पीएफआई के 100 से अधिक ठिकानों पर एक साथ छापा पड़ा था। तमाम संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई। अनेक पीएफआई वर्कर्स को जेल भेजा गया। पीएफआई की संपत्ति सील की गई। इतना ही नहीं, बल्कि केंद्र सरकार ने पीएफआई को पांच साल के लिए प्रतिबंधित भी कर दिया। इसको लेकर क्या कहीं किसी आम मुसलमान में कोई गुस्सा देखा है? चंद पीएफआई वर्करों को छोड़कर किसी मुसलमान ने कहीं कोई विरोध प्रदर्शन किया? नहीं किया न। भारत पँथ निरपेक्ष था और धर्म निरपेक्ष ही रहेगा। आतंकवाद, अलगाववाद, अपराध से आम मुसलमानों को जोड़ने की कोई जरूरत नहीं है।
मैंने कोरोना अपडेट देते हुए परपंचियों को बताया कि विश्व में अब तक क़रीब 62 करोड़ 29 लाख से अधिक लोग कोरोना पीड़ित हो चुके हैं। इनमें 65 लाख 48 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। वहीं, भारत में कोरोना महामारी के आंकड़ों में ठहराव आ चुका है। पूरे देश में कोरोना नियंत्रित चल रहा है। भारत में कोरोना वैक्सीन की 218 करोड़ डोज दी जा चुकी है। देश में 94.8 करोड़ आबादी को वैक्सीन की डबल डोज लग चुकी है। अंत में चतुरी चाचा ने सबको विजय दशमी की बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। इसी के साथ आज का प्रपंच समाप्त हो गया। मैं अगले रविवार को चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर होने वाली बेबाक बतकही के साथ फिर हाजिर रहूँगा। तब तक के लिए पँचव राम-राम!