बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल के लिए कमर कसनी शुरू कर दिया है। इसके संकेत इस बार दशहरा पर्व के दौरान देखने को मिला। प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अलग-अलग कार्यक्रम में शिरकत करते हुए अपने भाषणों और क्रिया-कलापों से जो संदेश दिए हैं।
उनसे साफ संकेत मिलता है कि आने वाले लोकसभा चुनावों के लिए जनता का मन टटोलने और किये गये होमवर्क की झलक दिखाने की कोशिश की गई है। इसे मोदी स्टाइल आफ पालिटिक्स ही कहा जा सकता है कि चुनावी इम्तहान के लिए अभी से चाक चौबंद और कसी हुई तैयारियां की जा रही है। इस दशहरे के मौके पर तीन इवेंट्स पर यदि नजर डाली जाये तो समझा जा सकता है कि मोदी की “टीम इंडिया” संसदीय चुनाव के फाइनल मैच के लिए पूरी तैयारी के साथ प्रैक्टिस में जुट गयी है।
हालांकि 2024 की तीसरी कसी हुई पारी खेलने लिए 2019 में ही दूसरे कार्यकाल के पहले कैबिनेट विस्तार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रफेशनल्स को अहम जगह दी है। नई मंत्रिपरिषद में 6 ऐसे मंत्री हैं जो पेशे से डॉक्टर हैं। वकालत करने वाले मंत्रियों की संख्या सबसे ज्यादा (13) है। मोदी की टीम में 7 पूर्व नौकरशाह भी हैं और 6 डॉक्टर्स भी। 7 मंत्री ऐसे हैं जिन्होंने पीएचडी कर रखी है। 5 इंजिनियर्स हैं जबकि तीन एमबीए डिग्री धारी हैं। ब्यूरोक्रेट्स और टेक्नोक्रेट्स पर मोदी ने भरपूर भरोसा दिखाया है। जिसका लाभ उन्हें मिल भी रहा है। आइए एक नजर डालते हैं मोदी स्टाइल आफ पालिटिक्स के तीसरे कदम यानि दशहरा पर्व के भाषणों और अन्य क्रिया कलापों पर।
पीएम मोदी ने हिमाचल को दिया एम्स का तोहफा, हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज भी किया समर्पित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दशहरे के दिन बुधवार को महर्षि वेद ब्यास की धरती बिलासपुर की बंदला धार में बने देश के दूसरे हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज को जनता को समर्पित कर दिया। प्रधानमंत्री ने 1471 करोड़ रुपये की लागत से बने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) का तोहफा भी दिया। इसके बाद लुहणू मैदान में जनसभा के दौरान मंच से रणसिंघा बजाकर विधानसभा चुनाव के लिए चुनावी शंखनाद भी किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों ने विकास को रोके रखा, लेकिन हमारी सरकार की पहचान है कि जिस प्रोजेक्ट का शिलान्यास करती है, उसका लोकार्पण भी करती है। अटकने, लटकने और भटकने के दिन चले गए।
बिलासपुर के बाद पीएम मोदी ने अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा महोत्सव में पहुंचकर भगवान रघुनाथ का आशीर्वाद लिया। भारी भीड़ के बीच से होकर मोदी रघुनाथ के रथ तक पहुंचे और करीब सात मिनट तक भगवान के आगे नतमस्तक रहे। मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं जो कुल्लू दशहरा में पहुंचे हैं। इससे पहले बिलासपुर में एम्स का उद्घाटन करने के बाद उन्होंने लुहणू मैदान से जनसभा में पीएम ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के लोगों के अब दोनों हाथों में लड्डू होंगे। यहां देश-दुनिया के लोग एम्स में इलाज करवाने आएंगे और इसका लाभ पर्यटन को भी होगा। मोदी ने कहा कि इसे ग्रीन एम्स के नाम से भी जाना जाएगा।
मोदी ने कहा कि यह भी संयोग देखिए कि आज विजयदशमी है और उन्हें रणसिंघा फूंकने का अवसर मिला। यह भविष्य के लिए हर विजय का आगाज लेकर आया है। जाहिर है, उनका ये संदेश 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर भी हो। उन्होंने कहा कि बीते आठ साल में डबल इंजन की सरकार ने हिमाचल की विकास गाथा को नए आयाम पर पहुंचा दिया है। मोदी ने कहा कि ऊना में रेल लाइन बिछाने के मामले में 35 साल पहले संसद में घोषणा हुई थी, पर काम नहीं हुआ। हिमाचल को कौन पूछेगा। मोदी ने अपनी ओर इशारा कर कहा-यह तो हिमाचल का बेटा है। हिमाचल को भूल नहीं सकता। आज हिमाचल प्रदेश में केंद्रीय विवि, आईआईटी, ट्रिपल आईटी, आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थान हैं। अब एम्स भी प्रदेश की जनता की आन-बान और शान बढ़ा रहा है।
469 करोड़ में तैयार होगा पिंजौर-नालागढ़ फोरलेन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिंजौर नालागढ़ फोरलेन मार्ग का वर्चुअल शिलान्यास भी किया। 30 माह में तैयार होने वाला यह मार्ग 469 करोड़ की लागत से तैयार किया जाएगा। इसके बनने से बीबीएन में लगने वाले जाम से वाहन चालकों को राहत मिलेगी।
नालागढ़-पिंजौर मार्ग पर प्रतिदिन 30,000 छोटे-बड़े वाहनों की आवाजाही होती है। मार्ग पुराना है लेकिन वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हालात यह है कि सुबह और शाम को यहां पर जाम की स्थिति बनी रहती है। जाम से निपटने के लिए राष्ट्रीय राज्य मार्ग प्राधिकरण इस मार्ग को फोरलेन बना रहा है। 31 किमी लंबे इस मार्ग का ठेका पटेल इंफ्रा कंपनी ने लिया है। हिमाचल में बद्दी से नालागढ़ तक 17 किमी मार्ग फोरलेन बनेगा। एनएच विभाग ने इस मार्ग के दोनों ओर पेड़ों की कटाई का कार्य पूरा कर लिया है। बद्दी से नालागढ़ तक 460 मकान फोरलेन की जद में आए थे। मकान मालिकों को मुआवजा देने की प्रक्रिया जारी है। यह फोरलेन 39 मीटर चौड़ा बनेगा। इसमें चार बड़े और 15 छोटे पुल बनेंगे।
अमित शाह ने विजय दशमी पर आतंकी हिंसा व अलगाववाद के समूल नाश का किया ऐलान
विजयादशमी- अधर्म पर धर्म की विजय का दिन- इस बार आतंकी हिंसा व अलगाववाद से त्रस्त रहे जम्मू कश्मीर में शांति और खुशहाली की नयी सुबह का एलान करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बारामुला मेें एक जनसभा को संबोधित किया। यह रैली ही नहीं, यह दिन भी बारामुला ही नहीं पूरे कश्मीर के लिए खास है। आज से 75 वर्ष पूर्व 1947 में दशहरे के दिन कबाइलियों के वेष में पाकिस्तानी फौज ने बारामुला को घेरा हुआ था और उसके बाद शहर में ऐसा कहर बरपाया गया कि इंसानियत भी शर्मसार जाए।
कश्मीर में आतंकवाद मरणासन्न है इस बार- विजयदशमी पर केंद्रीय गृहमंत्री जम्मू कश्मीर में विकास की नई गाथा लिखने पहुँचे थे। आतंकवाद के समूल नाश के लिए अंतिम प्रहार के एलान के साथ ही यह रैली कश्मीर की जिहादी और अलगाववादी राजनीति से पूर्ण मुक्ति का संदेश भी दे गई। केंद्रीय नेताओं की कुछ चुनावी सभाओं के अलावा बीते 30 साल में पहली बार देश का गृहमंत्री या कोई बड़ा नेता यहां जनसभा करने पहुंचा था।
बारामुला नियंत्रण रेखा के साथ सटा है। वर्ष 1947 में पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर कबाइली बारामुला तक आ पहुंचे थे और यहां दरींदगी और आतंक की जो कहानी लिखी गई उसे याद कर बुजुर्ग आज भी कांप जाते हैं। उसके बाद हमलावर श्रीनगर की ओर बढ़ चले थे पर बारामुला के “लाल” मकबूल वानी ने पाकिस्तानी फौज को तीन दिन तक भटकाए रखा और तब तक भारतीय सेना श्रीनगर पहुंच गई। पाकिस्तानी सैनिकों को जब असलियत का पता चला तो उन्होंने उसे सरेआम पूरे शरीर में कील ठोंक दी और उसे गोलियों से छलनी कर दिया गया। आज भी देश उनकी कुर्बानी को नमन करता है।
दशकों तक बारामुला आतंकियों और अलगाववादियों का गढ़ रहा है और उन्होंने लोगों के अमन में लगातार खलल डाले रखा। कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी, नईम खान जैसे अलगाववादी इसी जिले से थे। हिजबुल मुजाहिदीन और जमायतुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों का पहला कमांडर मास्टर अहसान डार भी बारामुला का ही रहने वाला है। अब भी हिजबुल, लश्कर और जैश के कई नामी कमांडर इसी जिले से हैं। अगर इक्का-दुक्का घटनाओं को छोड़ दें तो बारामुला में आतंकियों का वर्चस्व समाप्त हो चुका है। अमित शाह की अक्टूबर में राजौरी और बारामुला में रैलियों के पीछे भी संयोग नजर आता है। 1947 में जब पाकिस्तान ने कश्मीर को हथियाने के लिए हमला किया था तो इन जिलों में पाकिस्तानी सेना ने आम लोगों पर जुल्म की इंतहा कर दी थी लेकिन लोगों ने झुकना कबूल नहीं किया और डटकर विरोध किया।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने की एक व्यापक जनसंख्या नीति की वकालत
दशहरे के मौक़े पर इस बार नागपुर में अपने संबोधन में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि जनसंख्या के ‘असंतुलन’ के कारण भारत ने गंभीर परिणाम भुगता है। भागवत ने कहा कि धर्म आधारित जनसंख्या के ‘असंतुलन’ का मामला नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए। उनके अनुसार जनसंख्या में ‘असंतुलन’ से भौगोलिक सीमा में बदलाव होता है।
उन्होंने 1947 में भारत के विभाजन और पाकिस्तान के बनने के लिए धर्मों के बीच जनसंख्या में कथित असंतुलन को ज़िम्मेदार ठहराया। इस मौक़े पर उन्होंने ईस्ट तिमोर, दक्षिण सूडान और कोसोवो थका उदाहरण देते हुए कहा कि जनसंख्या में असंतुलन के कारण ही यह नए देश बने हैं। उन्होंने जन्म दर के अलावा कथित जबरन धर्म परिवर्तन और सीमा पार से अवैध प्रवासियों के भारत आने का भी ज़िक्र किया। भागवत ने अपने भाषण में किसी धर्म का सीधे तौर पर नाम तो नहीं लिया, लेकिन यह सबको पता है कि संघ या बीजेपी के नेता जब भी जनसंख्या नियंत्रण या धर्म परिवर्तन की बात करते हैं उनका सीधा मतलब मुसलमानों या ईसाइयों से ही होता है। इससे पहले भी संघ या बीजेपी के नेता इस तरह की बातें करते रहे हैं। हालांकि कई बार उनके बयानों में विरोधाभास भी देखा गया है।
पिछले साल (2021) जुलाई में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉक्टर भारती प्रवीण ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा था, ”मोदी सरकार नेशनल फ़ैमिली प्लानिंग प्रोग्राम के ज़रिए ही भारत में जनसंख्या को नियंत्रित रखने का काम कर रही है, जो स्वैच्छिक है और जनता को परिवार नियंत्रण के कई विकल्प देती है। मोदी सरकार ‘टू चाइल्ड पॉलिसी’ लाने पर कोई विचार नहीं कर रही और ना ही किसी दूसरी नीति पर।” संघ प्रमुख या बीजेपी नेताओं के द्वारा चलाए गये शब्दबाणों के संकेत को यदि ध्यान से समझा जाये तो उनका इशारा संभवतः 2024 के चुनाव की ओर ही इंगित करेगा।