हम सभी जानते हैं कि स्त्री-पुरुष विवाहबंधन में बंधते हैं तो अग्नि को साक्षी मान कर फेरे लेते हुए एक-दूसरे को वचन देते हैं। ये फेरे कहीं चार होते हैं तो कहीं सात होते हैं। सप्तपदी के सात वचनों के अनुसार पहले सात फेरे कराए जाते थे। अग्नि को साक्षी मान कर स्त्री और पुरुष जब सात फेरे लेते थे तो विवाह कराने वाले पंडित जी फेरे लेते समय सात वचन पढ़ते हैं और पति पत्नी को वचन दे और पत्नी पति को वचन दे यह समझाते हैं। हमारे समाज में विवाह को पवित्र बंधन माना जाता है।
इस पवित्र बंधन में जुड़ने से स्त्री के अपने पति के प्रति क्या फर्ज होंगे और पुरुष के अपनी पत्नी के प्रति क्या फर्ज होंगे, यह सप्तपदी के वचनों में स्पष्ट बताया जाता है। हां, यह अलग बात है कि अब या पहले भाग्य से ही किसी ने विवाह के दौरान सात फेरे लेते समय एक-दूसरे को जो वचन दिए थे, वे याद रहते हों। इसमें जब कोई विधिवत विवाह कराता है तो संस्कृत में श्लोक के रूप में पंडित द्वारा ये सात वचन बोले जाते हैं। कुछ तो इसका भावानुवाद भी समझाते हैं। अगर सप्तपदी के सातों वचनों को ध्यान से पढ़ें तो पता चलेगा कि आप कितने गहरे और तात्पर्य रहे हैं। कितनी सुंदरता से ये लिखे गए हैं। अगर हर जोड़ा अपने विवाह के समय लिए गए सप्तपदी के इन वचनों को हमेशा याद रखे तो शायद ही कभी एक-दूसरे से झगड़ा हो। सच बात तो यह है कि हम कभी सप्तपदी में क्या कहा गया था, इसका गूढ़ार्थ क्या है, यह नवविवाहित की समझ में कितना आता है, यह जानते ही नहीं हैं। जाने नए जमाने के वचन।
मोबाइल के बदले एकदूसरे को महत्व देने का वचन
समय के साथ परिस्थितियां भी बदलती रहती हैं। वैसे तो सप्तपदी के सातो फेरों में बहुत कुछ आ जाता है, पर आज के युगलों को विवाहबंधन में बंधते समय इन वचनों में खुद कुछ बातें जोड़नी चाहिए। जब एकदूसरे के साथ हों तो मात्र एक-दूसरे के साथ रहने का वचन, मोबाइल को अपना साथी बनाने के बदले एक-दूसरे के साथ क्वालिटी समय गुजारने का वचन, मोबाइल के युग में ज्यादातर कपल्स डेट पर गए हों या एक-दूसरे से एकांत में मिलते हों, तब सेल्फी लेने में, सोशल मीडिया स्क्रोल करने में और रील्स देखने में समय खराब करते हैं। इस वजह से तमाम महत्वपूर्ण बातें छूट जाती हैं। ऐसे में कपल्स में कम्युनिकेशन गैप होने लगता है। इसलिए सब से बड़ा वचन साथ होने पर मोबाइल को महत्व देने के बजाय एक-दूसरे को महत्व देने का वचन लें।
एक-दूसरे को सभी बातें शेयर करने का वचन
उपर्युक्त कहे अनुसार मोबाइल ने हमारे जीवन पर इतना अधिक कब्जा कर लिया है कि हमारे अपने लोगों के साथ कम्युनिकेशन कमजोर हो रहा है। परिणामस्वरूप तमाम बातें कपल्स एक-दूसरे से छुपाने लगे हैं। यही छुपाने की आदत ही संबंध में समस्या पैदा कर सकती है। इसलिए एक-दूसरे को प्यार करने के साथ सब कुछ एक-दूसरे से शेयर करने का वचन दें।
क्या हैं सप्तपदी के वचन
सप्तपदी के सात वचन और उसमें चले जाने वाले सात कदमों में पहला कदम भोजन व्यवस्था के लिए है, दूसरा कदम शक्ति संयम, आहार संयम के लिए, तीसरा कदम धन व्यवस्था के लिए, चौथा कदम आत्मिक सुख के लिए, पांचवा पशुधन के लिए, छठवां हर ऋतु में उचित रहन-सहन के लिए और अंतिम और सातवां कदम यानी हमेशा पति के साथ चलने का कदम। यह तो हुईं सात कदमों की बातें, पर सात वचन क्या हैं? सात वचनों में पहला वचन यानी पति कहीं भी जाए तो पत्नी को साथ लेकर जाने का वचन पहले फेरे में पति के पास से लेती है।
दूसरे फेरे में पत्नी कहती है कि जिस तरह तुम अपने माता-पिता का सम्मान करते हो, उसी तरह मेरे माता-पिता को सम्मान देना। दूसरी ओर पत्नी को भी इसका अनुसरण करना जरूरी है। तीसरे फेरे में हर अवस्था में एक-दूसरे की रक्षा करने का वचन, चौथे फेरे में परिवार की जिम्मेदारी लेने का वचन, पांचवे फेरे में घर का कहीं कोई निर्णय लेना हो तो एक-दूसरे का मंतव्य लेने का वचन, छठवें फेरे में सम्मान का वचन मांगा जाता है। अंतिम फेरे में परस्त्री को मां मानने का वचन, पत्नी के प्यार में किसी पर स्त्री को हिस्सेदार न बनाने का वचन लिया जाता है।
काम में एक-दूसरे की मदद करने का वचन
आज के समय में यह वचन भी अत्यंत जरूरी है। आज भी तमाम माताएं अपने बेटे को पत्नी का काम कराते नहीं देख पातीं। पत्नी अगर कमाई करने में सहभागी है तो क्या पति पत्नी का काम कराने में सहभागी नहीं हो सकता? सही बात तो यह है कि पति-पत्नी एक-दूसरे का पर्याय तभी बन सकते हैं, जब हर तरह से एक-दूसरे की परवाह करते हों। नौकरी से थकी-मांदी आई पत्नी के साथ काम करा कर उसकी मदद का वचन देने में क्या नुकसान होगा।