उत्तर प्रदेश सरदार पटेल बौद्धिक विचार मंच के प्रदेश महामंत्री जगदीश शरण गंगवार ने कहा कुर्मी-पटेल समाज के 90 प्रतिशत लोगों ने लोकसभा और उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में सत्ता में आसीन भाजपा के पक्ष में वोट किया था। प्रदेश में लगभग 12 प्रतिशत जनसंख्या होते हुए भी कुर्मी-पटेल समाज के जनप्रतिनिधियों को सरकार में समुचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला। अपने समाज के लिए हमें ये समुचित प्रतिनिधित्व अपने योगदान के बल पर अपनी आवाज़ बुलंद करके लेना है।
प्रतिनिधित्व के हिसाब से छह मंत्री
उन्होंने कहा आज तक केंद्र और प्रदेश सरकार में कुर्मी बिरादरी का कोई भी प्रतिनिधि कैबिनेट मंत्री नहीं बना और न ही समाज का कोई भी प्रतिनिधि राज्यपाल बनाया गया। उप्र में भाजपा के तीस विघायक होते हुए भी केवल दो लोगों को मंत्री बनाया गया है। जबकि, प्रतिनिधित्व के हिसाब से छह मंत्री होने चाहिए थे।
पूर्व की सरकारों में
जगदीश शरण ने आगे कहा प्रदेश में चार चयन आयोग हैं जिसमें आज तक कोई अध्यक्ष नहीं बना तथा उत्तरप्रदेश लोक सेवा आयोग में 2001 के बाद कोई सदस्य भी नहीं बनाया गया है। उन्होंने कहा कि पूर्व की कल्याण सिंह सरकार के मंत्रिमण्डल में कुर्मी समाज के सात, बसपा सरकार में नौ और रामप्रकाश गुप्ता व राजनाथ की सरकार में छह-छह मंत्री थे। प्रदेश में यादवों की संख्या कुर्मियों से कम होते हुए भी अब तक यादव समाज से तीन मुख्यमंत्री बन चुके हैं। लोधी समाज से कल्याण सिंह मुख्यमंत्री रह चुके हैं जिन्हें वर्तमान में राज्यपाल भी बनाया गया है। जिसको लेकर समाज के लोगों में काफी रोष व्याप्त है।
सियासी विकल्प तलाशने को मजबूर
उन्होंने चेताया की अगर आबादी के हिसाब से समाज को सेवा आयोगों-निगमों में भागीदारी नहीं मिली तो लोकसभा चुनाव में समाज को अन्य सियासी विकल्प तलाशने के लिए जागरूक किया जायेगा। इस दौरान डॉ. शिव मोहन सिंह पूर्व कुलपति अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद, डॉ. अवध राम पूर्व कुलपति काशी विद्यापीठ वाराणसी, उमाशंकर सिंह आईपीएस (सेवानिवृत्त), मुनीष गंगवार पूर्व मुख्य महाप्रवंधक नेबार्ड नें भी अपने विचार व्यक्त किए।