लखनऊ विश्वविद्यालय के अंग्रेजी और आधुनिक यूरोपीय भाषा विभाग द्वारा आयोजित छात्र संवाद में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के अध्यक्ष डॉ विनय सहस्रबुद्धे ने छात्रों के साथ संस्कृति, राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीयता, वैश्वीकरण जैसे मुद्दों पर चर्चा किया। निदेशक अंतरराष्ट्रीय सहयोग और अंतरराष्ट्रीय छात्र सलाहकार प्रो आरपी सिंह ने अध्यक्ष और अतिथियों का स्वागत करते हुए डॉ सहस्त्रबुद्धे के विषय में बताया।
डॉ. विनय सहस्रबुद्धे ने राष्ट्रों के बीच सांस्कृतिक संबंधों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए अंतरसंस्कृति संवाद की स्थापना पर बल दिया। उन्होंने बताया भारत कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र है, इसलिए नहीं कि अंग्रेजों ने यहां लोकतंत्र स्थापित किया बल्कि इसलिए कि लोकतंत्र भारतीय समाज का जीवन रक्त है। उन्होंने भारतीय सांस्कृतिक परिवेश में आध्यात्मिक लोकतंत्र के विचार पर भी चर्चा किया।
‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के दर्शन की चर्चा करते हुए उन्होंने वैश्वीकरण के परिप्रेक्ष्य में कुछ सुझाव दिए। छात्रों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए उन्होंने अकादमिक ऊर्जावान नेतृत्व, वैश्वीकरण, शिक्षा आदि विषयों पर संवाद किया। मॉरीशस की नागरिक एवम लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्रा नंदिनी जूमक है, ने भारत में रहने और यहाँ अध्ययन करने के अपने अनुभव साझा किया। राजनीति विज्ञान के छात्र इस्कंदर ने डॉ. सहस्रबुद्धे से वैश्वीकरण पर उनके विचारों के बारे में प्रश्न किया. उन्होंने बताया कि वैश्वीकरण को हमेशा उस संदर्भ में अपनाया जाना चाहिए जहां यह सांस्कृतिक मूल्यों को भी बरकरार रखने की अवधारणा का पालन करता है।
बीए ऑनर्स के एक छात्र, अधिराज द्विवेदी ने डॉ सहस्रबुद्धे से पूछा कि छात्रों में बेहतर नेतृत्व क्षमता विकसित करने के लिए क्या करना चाहिए, और इस दिशा में उन्हे कैसे प्रशिक्षित किया जाए। डॉ. विनय सहस्रबुद्धे ने कुछ सवालों के जवाब देते हुए नई शिक्षा नीति के व्यापक महत्व और वर्तमान परिदृश्य में इसके निहितार्थ पर प्रकाश डाला, जहां यह उच्च शिक्षा से संबंधित विविध दृष्टिकोणों जैसे इंक्लूसिव कक्षाओं और नई शिक्षण विधियों को शामिल करने में उपयोगी है। अंग्रेजी एवम यूरोपीय भाषा विभाग की अध्यक्ष प्रो मैत्रेई प्रियदर्शिनी ने वार्ता के दौरान अंग्रेजी के पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान परंपरा पर निर्मित एक पाठ्यक्रम पर प्रकाश डाला और धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित किया।
कार्यक्रम में डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो पूनम टंडन, निदेशक अंतरराष्ट्रीय सहयोग प्रो आरपी सिंह, अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख प्रो मनोज अग्रवाल, अंग्रेजी विभाग के शिक्षक, छात्र एवम शोधार्थी उपस्थित थे।