लखनऊ। आज बप्पा श्री नारायण वोकेशनल पीजी कॉलेज लखनऊ, के वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा “जल स्रोत उसकी उपयोगिता एवं जल संरक्षण” विषय पर एक दिवसीय व्याख्यान एवं पोस्टर व मॉडल की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता डॉ राजेंद्र गुप्ता प्रधान वैज्ञानिक भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान आईसीएआर लखनऊ ने अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम का प्रारंभ महाविद्यालय के अध्यक्ष टीएन मिश्रा तथा मुख्य वक्ता द्वारा मां सरस्वती को दीप प्रज्वलित तथा पुष्प अर्पण द्वारा किया गया। तत्पश्चात मुख्य वक्ता, अध्यक्ष महोदय तथा उप प्राचार्य व वनस्पति विज्ञान की विभागाध्यक्ष को एक औषधीय पौधे किए गए। डॉ राजेंद्र गुप्ता ने अपने व्याख्यान का प्रारंभ महाभारत की कुछ पंक्तियां “जल से संसार के सभी प्राणी उत्पन्न होते हैं जीवित रहते हैं अतः सभी दानों में जल का दान सर्वोत्तम दान है “से आरंभ किया उन्होंने आगे बताया कि पृथ्वी पर उपलब्ध जल में 97.5% समुद्री जल तथा ग्राउंडवाटर 20% सतह जल तालाबों में 52% ,तथा मृदा में 38 परसेंट है।
केवल 1% से कम फ्रेश वाटर शुद्ध जल उपयोग में हेतु उपस्थित है, भारत में 2025 तक जल की कमी होने लगेगी तथा भारत में जनसंख्या दर अधिक होने के कारण 93% जल कृषि कार्यों के लिए 9 परसेंट उद्योगों के लिए तीन परसेंट गृह कार्यों के लिए उपयोग होता है। इस वजह से जल का संचयन अति आवश्यक है इसके लिए बहुत सारी विधियों पर चर्चा की जिसमें रूफ केचमेंट सिस्टम, रॉक केचमेंट सिस्टम को डोमेस्टिक कंजप्शन के लिए तथा उन्होंने रेन वाटर हार्वेस्टिंग द्वारा कैसे टूरिज्म, कृषि में उपयोगिता के महत्व को बताया तत्पश्चात पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित की गई।
जिसमें जल प्रदूषण में प्रथम स्थान अंतरा सरकार, द्वितीय स्थान अंजली, तृतीय स्थान उत्कर्ष कुमार पाल तथा सांत्वना पुरस्कार आस्था तिवारी को दिया गया तथा जल संचयन में प्रथम पुरस्कार साक्षी सिंह, द्वितीय पुरस्कार दीपिका चौबे, तृतीय पुरस्कार अनुष्का तथा सांत्वना पुरस्कार कोमल रावत को दिया गया।
कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर मृदुला सिंह द्वारा तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ सारिका श्रीवास्तव द्वारा किया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के विभिन्न शिक्षकों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। जिसमें प्रोफ़सर अशोक दुबे, प्रोफेसर राजीव दीक्षित, प्रोफ़ेसर दीपक श्रीवास्तव, प्रोफ़ेसर गुंजन पांडे, प्रोफेसर डीके गुप्ता, एसोसिएट प्रोफेसर उमेश सिंह, डा राजेश राम तथा वनस्पति विज्ञान विभाग के समस्त शिक्षक उपस्थित रहे।