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अयोध्या का नया अध्याय

त्रेता युग से ही अयोध्या विश्व पटल पर प्रतिष्ठित रही है. आध्यात्मिक और भौतिक दोनों रूपों में यह नगरी समृद्ध थी. किन्तु विदेशी आक्रांताओं के समय उसकी समृद्धशाली विरासत को क्षति पहुंची. स्वतंत्रता के बाद भी यह उपेक्षित रही. देश की कथित सेक्युलर सियासत को ऐसे धार्मिक स्थलों से परहेज रहा. वर्तमान सरकार के कार्यकाल में अयोध्या का गरिमा के अनुरूप नया अध्याय लिखा जा रहा है. पांच सौ वर्षों के बाद भव्य श्री राम मन्दिर निर्माण का सपना साकार होने जा रहा है. विकास की यह यात्रा अध्यात्म तक सीमित नहीं है. बल्कि अर्थिक और व्यवसायिक रूप में भी अयोध्या समृद्ध होगी. यहां विश्व स्तरीय तीर्थाटन की सुविधाएं विकसित की जा रही हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ग्लोबल निवेश अभियान में अयोध्या को विशेष रूप में सम्मलित किया है। उनके अनुसार देश आज सांस्कृतिक व आध्यात्मिक नवजागरण का साक्षी बन रहा है। देश-दुनिया के लोग दिव्य, भव्य और नव्य अयोध्या के दर्शन को आतुर हैं। देश-विदेश की अनेक निजी कम्पनियां, राज्य सरकारें, धार्मिक संस्थाएं अयोध्या में निवेश को उत्सुक हैं।

आगामी दस से बारह फरवरी को आयोजित उत्तर प्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। राज्य में व्यापक निवेश से बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर सृजित होंगे. दस फरवरी से प्रारम्भ हो रहे यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के मुख्य समारोह से अयोध्या को जोड़ा गया है. सुदृढ़ कानून व्यवस्था, विशाल लैण्ड बैंक है, बेहतर कनेक्टिविटी है, कुशल मानव संसाधन, बेहतरीन इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास करके औद्योगिक विकास के लिए बेहतर माहौल तैयार किया गया है।

जिला स्तरीय निवेशक सम्मेलनों में हजारों करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिल रहे हैं। जनपद स्तरीय निवेशक सम्मेलन में बाराबंकी ने आठ सौ करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त किए हैं। अयोध्या, विन्ध्याचल और कानपुर मण्डल के जनपदों को भी निवेशक सम्मेलन आयोजित होंगे. इन जनपदों में हर सेक्टर के लिए अवसर हैं। श्री राम मन्दिर के निर्माण का समय निकट आ रहा है. इसके अनुरूप ही दुनिया की अयोध्या के प्रति जिज्ञासा बढ़ रही है. इसका सकरात्मक प्रभाव निवेश पर भी दिखाई देगा।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने राम मंदिर के अब तक के निर्माण कार्य को संतोषजनक बताया है। उन्होंने कहा कि श्रीराम मंदिर के पहले तल का निर्माण कार्य अक्टूबर में पूरा हो जाएगा। उसके बाद दिसंबर या अगले साल के मकर संक्रांति तक रामलला की प्राण प्रतिष्ठा शुभ मुहूर्त में की जाएगी। इसकी रूपरेखा तैयार की जा रही है। मंदिर निर्माण का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। इस वर्ष अक्टूबर तक मंदिर के प्रथम तल का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा।

अगले वर्ष मकर संक्रांति तक या उससे पहले रामलला की मंदिर के गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा हो जाएगी। रामलला की मूर्ति बालक स्वरूप में तैयार होगी। यह साढ़े आठ फुट लंबी होगी। अयोध्या में भगवान राम की पूजा बालक रूप में होती है। मूर्ति के लिए ऐसे पत्थर का चयन किया जाएगा जो आकाश के रंग का हो यानी आसमानी रंग का हो। इसके साथ ही महाराष्ट्र और ओडिशा के मूर्तिकला के विद्वानों ने आश्वासन दिया है कि ऐसा पत्थर उनके पास उपलब्ध है। ओडिशा के मूर्तिकार सुदर्शन साहू एवं वासुदेव कामत और कर्नाटक के रमैया वाडेकर रामलला की मूर्ति बनाएंगे। मूर्तिकारों से मूर्ति का डायग्राम तैयार करने को कहा गया है। गर्भ गृह की दीवार, खंभों, फ़र्श पर मकराना का मार्बल लगेगा। मंदिर के ग्राउंड फ्लोर पर पांच मंडप तैयार किये जा रहे हैं।

प्रभु श्रीराम के यहां अवतार लेने से पहले यह चक्रवर्ती सम्राटों की वैभवशाली राजधानी थी। प्रभु के अवतार ने इसे आध्यात्मिक रूप से भी दिव्य बना दिया था। पांच सौ वर्षों बाद यहां जीर्णोद्धार प्रारंभ हुआ है. हजारों करोड़ रुपये की विकास योजनाओं का क्रियान्वयन चल रहा है। इसमें मूलभूत सुविधाओं का विकास, ढांचागत निर्माण कार्य, शिक्षा स्वास्थ्य, सड़क कनेक्टिविटी आदि सभी क्षेत्र शामिल है।अयोध्या मास्टर प्लान में सभी विकास परियोजनाओं को शामिल किया गया है। इसमें पुरातत्व महत्व के मंदिरों और परिसरों का जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण शामिल है। बीस हजार करोड़ रुपए के इन प्रोजेक्ट में क्रूज पर्यटन परियोजना, राम की पैड़ी परियोजना, रामायण आध्यात्मिक वन, सरयू नदी आइकॉनिक ब्रिज, प्रतिष्ठित संरचना का विकास पर्यटन सर्किट का विकास, ब्रांडिंग अयोध्या, चौरासी कोसी परिक्रमा के भीतर दो सौ आठ विरासत परिसरों का जीर्णोद्धार, सरयू उत्तर किनारे का विकास आदि शामिल हैं।

इसके साथ ही अयोध्या को आधुनिक स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित किया जा रहा है। सरकार ने सैकड़ों पर्यटकों के सुझाव के बाद एक विजन डॉक्यूमेंट भी तैयार किया है। अयोध्या के विकास की परिकल्पना एक आध्यात्मिक केंद्र, वैश्विक पर्यटन हब और एक स्थायी स्मार्ट सिटी के रूप में की जा रही है। कनेक्टिविटी में सुधार के प्रयास जारी है। इनमें एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन के विस्तार, बस स्टेशन, सड़कों और राजमार्गों व ढांचा परियोजनाओं का निर्माण शामिल है। ग्रीनफील्ड टाउनशिप भी प्रस्तावित है। इसमें तीर्थ यात्रियों के ठहरने की सुविधा, आश्रमों के लिए जगह, मठ, होटल, विभिन्न राज्यों के भवन आदि शामिल हैं।

अयोध्या में पर्यटक सुविधा केंद्र व विश्व स्तरीय संग्रहालय बेजोड़ होगा। सरयू के घाटों के आसपास बुनियादी ढांचा सुविधाओं का विकास हो रहा है. अयोध्या के आस-पास संचालित लगभग दो हजार करोड़ रुपए की परियोजनाओं कार्य चल रहा है। अयोध्या विजन के विभिन्न विभागों की दो सौ से ज्यादा परियोजनाओं की नियमित निगरानी के लिए डैशबोर्ड तैयार किया गया है। इसकी नियमित समीक्षा भी होती रहेगी। अयोध्या के आगामी विकास में तीन प्रमुख पथ निर्धारित किए गए हैं। पहला पथ राम पथ- सहादतगंज से नयाघाट, दूसरा पथ- श्रीराम जन्मभूमि पथ-सुग्रीव किला मार्ग से श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर, तीसरा पथ- भक्ति पथ-श्रृंगार हाट से रामजन्मभूमि मन्दिर तक हैं।

रिपोर्ट-डॉ दिलीप अग्निहोत्री

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