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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मनाया Rakshabandhan Utsav

लखनऊ। आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ – लखनऊ पूरब भाग द्वारा गोमतीनगर विस्तार स्थित सिटी माण्टेसरी स्कूल में Rakshabandhan Utsav रक्षाबंधन उत्सव मनाया गया। जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में पूर्वी उत्तर प्रदेश आरएसएस के क्षेत्र संघचालक वीरेंद्र पराक्रमादित्य व अध्यक्ष के रूप में डॉ अखिल मेहरोत्रा मौजूद रहे। इस अवसर पर लखनऊ पूरब भाग समेत अन्य भागों के स्वयंसेवक व नागरिकजन उपस्थित रहे तथा सभी ने एक दूसरे को रक्षासूत्र बांधकर रक्षाबंधन का उत्सव मनाया।

Rakshabandhan Utsav : हर प्राणी भारतमाता की संतान

आरएसएस का स्वयंसेवक सभी लड़कियों-स्त्रियों को माता-बहन मानता है। क्योंकि इस धरती पर जन्म लेने वाला हर प्राणी भारतमाता की ही संतान है। ये संस्कार हमें हमारी संस्कृति से मिली है और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इसे विशाल रूप देने का कार्य कर रहा है। ऐसा सीएमएस गोमतीनगर में मनाये जा रहे लखनऊ पूरब भाग के रक्षाबंधन उत्सव में पराक्रमादित्य ने अपने उद्भोधन में कहा।

उन्होंने अपने वक्तव्य में महारानी कर्णवती के गौरवशाली इतिहास और हुमायूँ की संक्षिप्त कहानी सुनाते हुए रक्षाबंधन के मूल को बताया। उन्होने कहा की पहले भी रक्षाबंधन के उत्सव होते थे और संघ ने इसे शाखा पर भी मानना शुरू किया। इससे प्रत्येक स्वयंसेवक को यह बोध होता है की हम सब भारत माता की संताने हैं। हम सब भाई-बहन हैं। ये भाव ध्वज का वंदन ,रक्षाबंधन व घर-घर स्वयंसेवकों के मिलने से आता है। इसी वात्सल्य भावना से संघ का निर्माण हुआ।

रक्षासूत्र सुरक्षा की भावना को लेकर केवल भाई-बहन, स्त्री-पुरुष तक ही सीमित नहीं है , ये सम्पूर्ण समाज के अंदर प्रेम की भावना को जोड़ने का सूत्र है : वीरेंद्र पराक्रमादित्य

संघ द्वारा सामाजिक विकृतियों को दूर करने का अथक प्रयास

श्री पराक्रमादित्य ने कहा कि, “हमारी संस्कृति में जहाँ पहले नारी को माँ के समान देखा जाता था वही आज के वर्तमान परिपेक्ष में इसका लोप होता जा रहा है और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उसी संस्कृति के क्षरण को रोकने, इस सामाजिक विकृति को दूर करने का कार्य करने में निरंतर प्रयासरत है।

इस मौके पर पूर्वी उत्तर प्रदेश आरएसएस के क्षेत्र संघचालक पराक्रमादित्य ने कहा कि प्रय़ाग कुंभ से पहले पांच वैचारिक कुंभ का आयोजन होना है। इन्हीं में से एक व़ृंदावन में नारी सुरक्षा के विषय पर मातृशक्ति वैचारिक कुम्भ होगा, वहीं अयोध्या में सामाजिक समरसता बनाए रखने के विषय़ पर सामाजिक समरसता कुम्भ का आयोजन होगा।

वरुण सिंह

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