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शरिया अदालतों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

नई दिल्ली। निकाह, तलाक और अन्य मामलों पर फैसले के लिए Sharia Courts शरिया अदालतों के गठन को असंवैधानिक घोषित करने की मांग को लेकर 21 वर्षीय एक मुस्लिम महिला जिकरा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। महिला की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने विचार किया है।

Sharia Courts के गठन पर

शरिया अदालतों Sharia Courts के गठन पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डी. वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने याचिका दायर करने वाली जिकरा से कहा कि बहुविवाह और निकाह-हलाला के मामले में चल रही सुनवाई में पक्षकार बनने के लिए वह नए सिरे से अर्जी दायर करे। बताते चलें कि पिछले साल सुन्नी मुसलमानों में तीन-तलाक की पुरानी परंपरा को खत्म करने का फैसला सुनाने वाले कोर्ट ने समुदाय में व्याप्त बहु-विवाह और निकाह हलाला को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 26 मार्च को पांच सदस्यीय संविधान पीठ का गठन किया था।

उत्तर प्रदेश की रहने वाली दो बच्चों की मां जिकरा ने याचिका में कहा है कि धारा 498ए के तहत तीन-तलाक को क्रूरता और ‘निकाह हलाला’, ‘निकाह मुताह’ और ‘निकाह मिस्यार’ को धारा 375 के तहत बलात्कार घोषित किया जाए। कोर्ट में महिला की तरफ से अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय पेश हुए थे। महिला ने अपनी याचिका में कहा है कि बहु-विवाह भारतीय दंड संहिता की धारा 494 के तहत अपराध है, जबकि भारत में मुस्लिम पर्सनल लॉ निकाह-हलाला और बहु-विवाह की अनुमति देता है। जिकरा ने अपनी अर्जी में तीन तलाक, निकाह हलाला और अन्य कानूनों और परंपराओं के हाथों अपनी प्रताड़ना की बात कही है। महिला को दो बार तलाक का सामना करना पड़ा और अपने ही पति से निकाह करने के लिए निकाह-हलाला से गुजरना पड़ा।

 

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