• पावन स्वरूपों को लेकर लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष का पूर्वानुमान हुआ सही साबित
• राजेन्द्र सिंह बग्गा ने ब्रद्धाश्रम के नाम पर संचालित बारात घर एवं विवादित भूमि पर साहिबजादा पार्क निर्माण कार्य की जांच को लेकर सीएम को लिखा पत्र
लखनऊ। श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पावन स्वरूपों को गुरुद्वारा आलमबाग, लखनऊ से आस्ट्रेलिया भेजे जाने को लेकर राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख एवं गुरुद्वारा आलमबाग अध्यक्ष सरदार निर्मल सिंह की मंशा पर लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष सरदार राजेन्द्र सिंह बग्गा द्वारा पूर्व में उठाए गए सवाल आखिर सही साबित हुए।
श्री बग्गा ने शुरू से ही आशंका व्यक्त की थी कि इन पावन स्वरूपों को चार्टर प्लेन द्वारा लखनऊ से आस्ट्रेलिया भेजे जाने के नाम पर राज्य मंत्री एवं गुरुद्वारा आलमबाग अध्यक्ष द्वारा अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए सिख समुदाय को गुमराह किया जा रहा है।
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श्री बग्गा ने इस कार्यक्रम को राजनीति से प्रेरित बताते हुए इस पर तीखी प्रतिक्रिया भी व्यक्त की थी एवं सिखों की आस्था के मद्देनजर इन 220 पावन स्वरूपों को आस्ट्रेलिया भेजे जाने की जानकारी सिख समाज में सार्वजनिक करने की मांग भी की थी। श्री बग्गा ने बरगाड़ी कांड जैसी पुनरावृत्ति की आशंका के मद्देनजर सीएम योगी आदित्यनाथ, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी एवम धर्म प्रचार कमेटी, अमृतसर को इस प्रकरण से संबंधित पत्र भी प्रेषित किया था।
आखिरकार इस प्रकरण को लेकर लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी अध्यक्ष स.राजेन्द्र सिंह बग्गा द्वारा की गई कार्यवाही रंग लाई। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के निर्देश पर गत 10 फरवरी को सरदार जगजीत सिंह के नेतृत्व में धर्म प्रचार कमेटी की तीन सदस्यीय टीम ने गुरुद्वारा आलमबाग पहुंचकर इन पावन स्वरूपों को अभी तक आस्ट्रेलिया न भेजे जाने संबंधित जांच की। जांच टीम अपनी रिपोर्ट शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, अमृतसर को सौंपेगी। गौरतलब है कि राज्य मंत्री एवं गुरुद्वारा आलमबाग अध्यक्ष द्वारा श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 220 पावन स्वरूपों को आस्ट्रेलिया भेजे जाने के नाम पर उन्हें अमृतसर साहिब से लखनऊ मंगवाने एवम यहां से चार्टर प्लेन द्वारा आस्ट्रेलिया भेजे जाने को लेकर सिख संगत को गुमराह किया जाता रहा है। जिस पर लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी अध्यक्ष स.राजेन्द्र सिंह बग्गा द्वारा तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त कर इनकी मंशा पर सवाल खड़े किए गए थे।
गुरुद्वारा आलमबाग कमेटी द्वारा पहले इन स्वरूपों को नवंबर माह में आस्ट्रेलिया भेजने की तैयारियों को लेकर सिख समुदाय को गुमराह किया गया, फिर चार्टर प्लेन की व्यवस्था न हो पाने का हवाला देकर गुमराह किया गया। श्री बग्गा ने गुरुद्वारा आलमबाग प्रबन्ध समिति को चार्टर प्लेन की व्यवस्था कराने का भी आश्वासन दिया लेकिन सरदार निर्मल सिंह की ओर से इस बाबत कोई उत्तर नही मिला। श्री बग्गा का कहना है कि क्योंकि सरदार निर्मल सिंह की मंशा पावन स्वरूपों को आस्ट्रेलिया भेजने की नही थी जिस कारण उनके द्वारा कोई उत्तर नही दिया गया।
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श्री बग्गा ने कहा कि लखनऊ में 25 सितंबर को सिखों की भावनाओं एवं आस्था से जुड़ा धार्मिक कार्यक्रम भी केवल राजनीतिक षड्यंत्र की भेंट चढ़कर रह गया था। इतना ही नही सिख समाज को गुमराह कर श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पावन स्वरूपों को ऑस्ट्रेलिया न भेजकर अब आनन-फानन में सरदार निर्मल सिंह द्वारा इन पावन स्वरूपों, सैंचियों एवम ऐतिहासिक पुस्तकों को गुरुद्वारा साहिब से मुख्य ग्रंथी गुरदेव सिंह, स.दविंदर पाल सिंह बग्गा, सरदार अजीत सिंह, सरदार मंजीत सिंह तलवार, सरदार हरमिंदर सिंह मिंदी से निशुल्क रूप में प्राप्त करने की पोस्ट सोशल मीडिया पर डाली गई है।
आखिर इस प्रकरण पर लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष श्री बग्गा का पूर्वानुमान सही साबित हुआ। श्री बग्गा ने निर्मल सिंह द्वारा गुरुद्वारा आलमबाग, लखनऊ के निकट वृद्धा आश्रम के नाम पर आर्थिक लाभ अर्जित करने की दृष्टि से संचालित किए जा रहे बारात घर एव विवादित भूमि पर साहिबजादा पार्क निर्माण कार्य की जांच को लेकर भी सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है। श्री बग्गा ने बताया कि इस प्रकरण की जांच भी शीघ्र होने की संभावना है।
यूपी सिख प्रतिनिधि बोर्ड के अध्यक्ष डॉ गुरमीत सिंह ने महापौर संयुक्ता भाटिया से इस प्रकरण में वार्ता करते हुए उन्हें इस विवादित भूमि पर साहिबजादा पार्क का निर्माण कार्य न कराकर साहिबजादा पार्क को शहर में अन्य किसी स्थान को चिन्हित कर बनवाने का सुझाव दिया था। उनका कहना है साहिबजादा पार्क किसी विवादित भूमि पर न बने। लखनऊ की अन्य प्रतिष्ठित सिंह सभाओं में सदर गुरुद्वारा साहिब, कृष्णा नगर गुरुद्वारा साहिब, सरोजनी नगर गुरुद्वारा साहिब, चंदर नगर गुरुद्वारा साहिब इत्यादि के प्रतिनिधियों ने विवादित भूमि पर साहिबजादा पार्क न बनवाने की बात कही है।
रिपोर्ट-दया शंकर चौधरी