वीर सावरकर के मुद्दे पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने संभलकर बात करने का मन बना लिया है। खबर है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार के दखल के बाद राहुल ने सहयोगी दलों की भावनाओं का ख्याल रखने का फैसला किया है।
हाल ही में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस नेता को सावरकर पर टिप्पणी को लेकर चेतावनी दी थी। राहुल कई मौकों पर सावरकर पर टिप्पणी करते नजर आए थे। इसे लेकर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने आपत्ति जताई थी। यहां तक कि पार्टी कांग्रेस की तरफ से सोमवार को बुलाए गए भोज में भी शामिल नहीं हुई थी। इसके बाद ही मामले में पवार ने दखल दिया।
एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि पवार ने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ चर्चा की थी। कहा जा रहा है कि राकंपा प्रमुख ने इस मुद्दे को उठाया और सावरकर के जीवन के बारे में जानकारी दी। खबर है कि पवार ने बताया है कि सावरकर कभी भी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के में नहीं रहे और साथ ही कई मामलों में उनके विचार आरएसएस से विपरीत थे।
खबर है कि राहुल की तरफ से शिवसेना की भावनाओं का सम्मान करने की बात मानने के चलते सहयोगी दलों में रार टल गई। पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल का कहना है, ‘हम इसे आपस में सुलझा लेंगे।’ इधर, शिवसेना नेता संजय राउत ने भी इस मुद्दे पर राहुल से मुलाकात की थी। उद्धव ने कांग्रेस नेता को सीधी चेतावनी दी थी और कहा था कि सावरकर का अपमान ‘बर्दाश्त’ नहीं किया जाएगा।
पवार ने तर्क दिया कि महाराष्ट्र में कुछ लोग सावरकर का सम्मान करते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सावरकर की हिंदू महासभा ने चुनाव में केवल एक बार ही सीट जीती है, तो ऐसे में उनपर बात क्यों करनी है। पवार ने यह भी बताया कि सावरकर पर इस तरह से बात करने का असर गठबंधन पर पड़ेगा।